Rajasthan News: राजस्थान की अपार खनिज संपदा में अब ब्रिटेन ने भी गहरी रुचि दिखाई है. ब्रिटिश डिप्टी हाईकमीशन के एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने मिनरल एक्सप्लोरेशन (खनिज अन्वेषण) के कार्यों में राजस्थान के साथ मिलकर काम करने की इच्छा जताई है. इस संबंध में शुक्रवार को सचिवालय में प्रमुख सचिव, माइंस, टी. रविकान्त के साथ ब्रिटिश डिप्टी हाईकमीशन के अधिकारियों ने विस्तृत चर्चा की.
क्रिटिकल मिनरल्स की खोज पर विशेष ध्यान
ब्रिटिश डिप्टी हाईकमीशन के गुजरात-राजस्थान के डिप्टी हाईकमीश्नर स्टिफेन हिकलिंग के नेतृत्व में यह दल जयपुर पहुंचा. उनके साथ वरिष्ठ सलाहकार मोमिता भट्टाचार्य, वरिष्ठ ट्रेड सलाहकार अनूप नारायण और ब्रह्मदथा माया भी थे. प्रतिनिधिमंडल ने खासतौर से राजस्थान में क्रिटिकल और स्ट्रेटेजिक मिनरल्स की खोज और खनन पर विस्तार से चर्चा की.
ब्रिटिश डिप्टी हाईकमीशन ने बताया कि वे इस समय गुजरात और ओडिशा में भी वहां के उपक्रमों के साथ मिलकर सहयोग कर रहे हैं. राजस्थान में खनन क्षेत्र की विपुल संभावनाओं को देखते हुए, ब्रिटिश डिप्टी हाईकमीशन यहां भी कोलोब्रेशन (सहयोग) के साथ काम करने की संभावनाएं तलाश रहा है. यह साझेदारी राजस्थान के खनन क्षेत्र के लिए एक बड़ा अवसर साबित हो सकती है.
राजस्थान में हेवी रेयर अर्थ एलिमेंट के विशाल भंडार
प्रमुख सचिव माइंस टी. रविकान्त ने ब्रिटिश दल को राजस्थान की खनिज संपदा की विविधता के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि राजस्थान में विविध प्रकार के खनिजों के विशाल भंडार मौजूद हैं. विशेष रूप से, राजस्थान के सिवाना रिंग क्षेत्र में हेवी रेयर अर्थ एलिमेंट (REE) के डिपोजिट्स (भंडार) मिले हैं. इसके अलावा, ग्रेफाइट, यूरेनियम और पोटाश जैसे अन्य महत्वपूर्ण क्रिटिकल मिनरल्स भी यहाँ उपलब्ध हैं.
टी. रविकान्त ने बताया कि केंद्र सरकार नेशनल क्रिटिकल मिशन के तहत आरईई (REE) की खोज और खनन कार्य पर विशेष जोर दे रही है. इसके लिए इंडियन रेयर अर्थ लिमिटेड, ऑयल इंडिया, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग स्टार्टअप्स को भी लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है.
सहयोग के लिए आवश्यक औपचारिकताएं
प्रमुख सचिव रविकान्त ने सहयोग की संभावनाओं पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए स्पष्ट किया कि ब्रिटिश डिप्टी हाईकमीशन, राजस्थान स्टेट मिनरल व माइंस, राजस्थान स्टेट मिनरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट या भारत सरकार द्वारा एम्पेनल्ड संस्थाओं के साथ मिलकर काम कर सकता है.
हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि विदेशी सहयोग के लिए विदेश मंत्रालय सहित संबंधित विभाग स्तर पर आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने के बाद ही इस दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है. उन्होंने विश्वास दिलाया कि राज्य सरकार नवाचारों को बढ़ावा दे रही है और सस्टेनेबल माइनिंग (टिकाऊ खनन) को अपनाया जा रहा है.
चर्चा के दौरान अतिरिक्त निदेशक भूविज्ञान आलोक प्रकाश जैन और अधीक्षण भूवैज्ञानिक संजय सक्सैना भी मौजूद रहे.
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