राजस्थान कैबिनेट में फेरबदल की चर्चाओं पर गजेंद्र सिंह शेखावत ने तोड़ी चुप्पी, कहा- 'रास्ता भले ही कठिन हो...'

राजस्थान की राजनीति में कैबिनेट बदलाव को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं. इस बीच गजेंद्र सिंह शेखावत का बयान आया है. जानिए दिल्ली से जयपुर यात्रा पर क्या बोले केंद्रीय मंत्री.

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राजस्थान की राजनीति में अटकलों के बीच गजेंद्र सिंह शेखावत का बयान आया सामने
X@gssjodhpur

Rajasthan News: राजस्थान की राजनीति में पिछले कुछ दिनों से कैबिनेट फेरबदल (Cabinet Reshuffle) और मंत्रिमंडल विस्तार (Cabinet Expansion) को लेकर अटकलें तेज थीं. इन अटकलों को हवा तब मिली जब मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा (Bhajan Lal Sharma) और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत (Gajendra Singh Shekhawat) एक ही विमान से दिल्ली से जयपुर लौटे. राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो गई कि क्या राज्य में बड़ा बदलाव होने वाला है?

हालांकि कैबिनेट बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने साफ किया कि इस तरह की किसी चर्चा पर विचार नहीं हुआ. इसके बावजूद सियासी हलकों में सवाल उठते रहे.

गजेंद्र शेखावत ने दी सफाई

इन चर्चाओं के बीच केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बयान देकर स्थिति स्पष्ट की. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के साथ उनकी यात्रा पूरी तरह सरकारी समन्वय का हिस्सा थी. दिल्ली से जयपुर लौटते समय दोनों नेताओं के बीच कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई. शेखावत ने बताया कि बातचीत में राजनीतिक और प्रशासनिक दोनों पहलुओं पर विचार हुआ. राज्य में आने वाले समय में किन प्राथमिकताओं पर काम करना है, किन क्षेत्रों में बेहतर तालमेल बैठाना है—इन सभी विषयों पर विमर्श हुआ.

'काम को मेडिटेशन की तरह करें'

जब उनसे पूछा गया कि इतने व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद वह हमेशा मुस्कुराते कैसे रहते हैं, तो शेखावत ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी को मेडिसिन से ज्यादा मेडिटेशन की जरूरत है. उन्होंने कहा कि अगर व्यक्ति अपने काम को ही मेडिटेशन की तरह पूरी एकाग्रता और आनंद के साथ करे तो थकान महसूस नहीं होती. उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रार्थना की एक पंक्ति का उल्लेख करते हुए कहा— 'यत् कण्टकाकी मार्गं, स्वयं कृतं च सुगमम् कार्यम्.' यानी रास्ता भले ही कठिन हो, लेकिन अगर हमने उसे खुद चुना है और पूरी निष्ठा से स्वीकार किया है, तो वही मार्ग आसान लगने लगता है.

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राजनीतिक संदेश क्या है?

शेखावत का यह बयान ऐसे समय आया है जब राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चर्चाएं तेज हैं. हालांकि उन्होंने किसी भी फेरबदल पर टिप्पणी नहीं की, लेकिन यह साफ किया कि सरकार की प्राथमिकताओं पर फोकस है. गजेंद्र सिंह शेखावत ने साफ कर दिया है कि उनकी यात्रा का मकसद प्रशासनिक तालमेल था, न कि कोई राजनीतिक कार्यक्रम. लेकिन राजस्थान की राजनीति में अटकलों का दौर फिलहाल थमने वाला नहीं दिखता. राजस्थान में बीजेपी सरकार के सामने कई चुनौतियां हैं—किसानों के मुद्दे, पानी की समस्या, और निवेश को बढ़ावा देना. ऐसे में मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री के बीच समन्वय को राजनीतिक हलकों में अलग नजरिए से देखा जा रहा है.

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