Rajasthan News: राजस्थान के उदयपुर में नवरात्रि (Navratri 2025) के पावन अवसर पर भक्ति और भव्यता का एक ऐसा अनूठा संगम देखने को मिल रहा है, जिसकी चर्चा पूरे देश में हो रही है. उदयपुर (Udaipur) के भुवाणा स्थित बालेश्वरी माता के मंदिर (Maa Bamleshwari Temple) में देवी का श्रृंगार सोने-चांदी या फूलों से नहीं, बल्कि करोड़ों रुपये की भारतीय करेंसी (नोटों) से किया गया है.
51 लाख 51 हजार 551 रुपये के नोट
इस साल बालेश्वर नवयुवक मंडल द्वारा माता रानी और उनके पूरे दरबार को 51 लाख 51 हजार 551 रुपये के नोटों से भव्य रूप से सजाया गया है. माता की प्रतिमा को यह विशेष 'श्रृंगार' या 'आंगी' 50 रुपये, 100 रुपये, 200 रुपये और 500 रुपये तक के नए नोटों को मिलाकर किया गया है. माता के इस अद्भुत और आकर्षक स्वरूप के दर्शन करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है.
हर साल बढ़ रही है 'नोटों की आंगी' की भव्यता
बालेश्वरी नवयुवक मंडल के पदाधिकारियों ने बताया कि पिछले 4 सालों से लगातार नवरात्रि के अवसर पर माता रानी को नोटों की आंगी धराई जा रही है. हर साल इसकी भव्यता और राशि में बढ़ोतरी की जा रही है, जो श्रद्धालुओं के अटूट विश्वास को दर्शाती है.
- पहला साल: 11 लाख 11 हजार 111 रुपये
- दूसरा साल: 21 लाख 21 हजार 121 रुपये
- तीसरा साल: 31 लाख 31 हजार 131 रुपये
- चौथा साल (इस साल): 51 लाख 51 हजार 151 रुपये
मंडल का कहना है कि यह श्रृंगार भक्तों द्वारा दिए गए सहयोग से तैयार किया जाता है, जिसे बाद में पूरी सुरक्षा के बीच वापस कर दिया जाता है. यह अनूठी परंपरा भक्तों के समर्पण और माता रानी के प्रति उनके प्रेम को प्रदर्शित करती है.
उदयपुर में पहले भी हो चुका है ऐसा अनोखा श्रृंगार
उदयपुर में इस तरह का नोटों से श्रृंगार का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले, इसी साल, गणेश चतुर्थी के दौरान भी उदयपुर के गणपति का ऐसा ही भव्य और अनोखा श्रृंगार किया गया था, जिसकी चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर हुई थी. बापू बाजार स्थित स्वास्तिक विनायक गणपति मित्र मंडल द्वारा स्थापित "उदयपुर चा राजा" के गणेश पंडाल को 200, 500, 100 और 50 रुपये के 1 करोड़ 51 लाख रुपये के नए नोटों से सजाया गया था.
1 करोड़ 51 लाख की आंगी
गणेशोत्सव के दौरान "उदयपुर चा राजा" की मूर्ति और उनके पूरे दरबार को 1 करोड़ 51 लाख के नोटों से सजाकर 'आंगी' तैयार की गई थी. इस भव्य आंगी को बनाने के लिए मुंबई से आठ कारीगरों की एक विशेष टीम बुलाई गई थी, जिन्होंने लगातार चार दिन मेहनत कर इसे तैयार किया था. पंडाल का हर कोना नोटों से लिपटा नजर आया था. गणपति के इस अनोखे रूप के दर्शन के लिए रोजाना 10 से 12 हजार श्रद्धालु पहुंच रहे थे.
नवरात्रि के दौरान बालेश्वरी माता का 51 लाख से अधिक के नोटों का श्रृंगार भी उसी कड़ी को आगे बढ़ाता है, जो दिखाता है कि मेवाड़ की धरती पर आस्था और उत्सव को कितने भव्य और रचनात्मक तरीके से मनाया जाता है. सुरक्षा के लिहाज से प्रशासन और मंदिर समिति ने व्यापक इंतजाम किए हैं ताकि भक्त आसानी से माता के इस अद्भुत स्वरूप का दर्शन कर सकें. यह परंपरा न सिर्फ धार्मिक आस्था का केंद्र बन गई है, बल्कि उदयपुर के इस अनूठे उत्सव को देशभर में पहचान भी दिला रही है.
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