Rajasthan News: राजस्थान के पाली जिले के बाली उपखंड के आदिवासी क्षेत्र में एक ऐसी बीमारी फैल रही है. जिसमें मरीज को तीन से चार दिन बुखार ओर सिरदर्द रहता और फिर उसकी मौत हो जाती. पूरे क्षेत्र में पिछले डेढ़ महीन में करीब 90 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. मरने वालों में बच्चों से लेकर युवा और वृद्ध भी है. वहीं इस बीमारी के साथ रही सही कसर बंगाली झोला छाप डॉक्टर पूरी कर रहे हैं. झोला छाप डॉक्टरों के चंगुल में पूरा आदिवासी क्षेत्र ही फंसा पड़ा है. सरकारी अस्पताल पहुंचने से पहले ही कई बार मरीज की मौत हो जाती है, लेकिन चिकित्सा विभाग की ओर से अभी तक कोई जानकारी नहीं ली गई.
बिना जानकारी के झोला छाप डॉक्टर कर रहे इलाज
यातायात के साधन और शिक्षा की कमी पूरा आदिवासी क्षेत्र में है. पहाड़ी क्षेत्र उत्तर टीलों पर अलग-अलग जगह पर कच्चे झोपड़े ओर केलूपोश मकान बनाकर रहते हैं. रात को तबीयत खराब भी हो जाय तो एंबुलेंस जाने के लिए रास्ता कठिन हो जाता है. अपने स्तर पर ही लोग आसपास के झोला छाप डॉक्टर के पास पहुंचते हैं. जबकि डॉक्टर इंजेक्शन ओर दवाई दे देता जिस बीमारी की जानकारी तक उसे नहीं होती. नतीजा तबीयत बिगड़ती जाती है और मरीज की मौत तक हो जाती है.
एनडीटीवी राजस्थान की टीम आदिवासी क्षेत्र में पहुंच कर जब स्थिति का जायजा लिया. हम उन घरों तक भी पहुंचे जहां मरीज को दो तीन दिन बुखार ओर सिर दर्द रहने के बाद उसकी मौत हो गई.
केस 1- आदिवासी क्षेत्र का निचला भारला में झोपड़े और पक्का बरामदे में कुछ महिलाएं और एक घर का आदमी बैठा था, वह सभी गमजदा थे. जब उनसे पूछा तो घर के आदमी वना राम ने बताया की उसके चार साल के पोते की मौत हो गई. कारण जानने की कोशिश की तो बताया कि तीन चार दिन बुखार आया. उसे नाना बंगाली डॉक्टर के पास ले गए उसने दवाई दी और फिर उसकी मौत हो गई. कौन सी दवाई बंगाली डॉक्टर ने दी तो बताया कि वो सब बाहर फेंक दी. आज घर में सन्नाटा पसरा है जहां बच्चे के खेलने कूदने की आवाजें आती रहती थी आज सन्नाटा पसरा है.
केस 2- इसी क्षेत्र में एक 15 वर्षीय लक्ष्मण की भी मौत हो गई , बताया जा रहा की उसकी भी बुखार के साथ तबीयत बिगड़ी और डॉक्टर के पास ले जाने से पहले ही मौत हो गई. फिर भी उसे लेकर अस्पताल पहुंचे लेकिन डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया.
केस 3- 45 वर्षीय माना राम की भी इसे ही मौत हुई , परिवार में उसके सात बेटा बेटी है और कमाने वाला एक मात्र माना राम ही था. बताया जाता है कि उनको भी तीन-चार दिन बुखार और सिर दर्द की शिकायत थी. इसके बाद उसकी भी मौत हो गई.
मतलब क्षेत्र के निचला भारला, उपला भारला, रोटियां फली, गुंडसेरी,खारडा, बारालिया, गोराकड पूरा, सामंटी भीमाना, उपला भीमाना,दाता फैली,कोयल वाव,चिमटा भाटा, काकराड़ी सहित पूरे क्षेत्र में इस बीमारी ने घर कर रखा. कोई न कोई हर दूसरे घर में बीमार है, लेकिन चिकित्सा विभाग चैन की नींद सोया है.
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