Rajasthan Election 2023: क्या एक ट्रैक पर आ गए वसुंधरा-सतीश? पूनिया के बयान से मिल रहे नए सियासी संकेत

वसुंधरा राजे की अहमियत खत्म होने के सवाल पर पूनिया ने कहा कि न नेता की अहमियत खत्म होती है, न सम्मान. उन्होंने अनेक अवसरों पर नेता विकसित किए हैं. जितने हमारे नेता हैं उनका इतिहास, विरासत, स्किल है. पार्टी समय-समय पर उनका उपयोग करती है.

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वसुंधरा राजे और सतीश पूनिया (फाइल फोटो)

Rajasthan News: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया (Satish Poonia) परिवर्तन यात्रा के दूसरे दिन अलवर पहुंचे. यहां एक प्रेस वार्ता करते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) पर जमकर निशाना साधा. पूनिया ने कहा, 'राजस्थान में कानून व्यवस्था पूरी तरह चौपट हो गई है. खुलेआम बहन बेटियों की इज्जत लूटी जाती है, बेरोजगारों के साथ छलावा हो रहा है, भर्ती पेपर लीक हो रहे हैं, और सरकार का ऐसा रवैया है कि बेरोजगार आत्महत्या जैसी घटना को अंजाम दे रहे हैं. इसलिए बीजेपी की ओर से संकल्प परिवर्तन यात्रा निकाली जा रही है. जो उत्साह इस यात्रा में दिखाई दे रहा है, वह पूरी तरह सत्ता परिवर्तन की ओर अग्रसर है.' 

'10 दिन से नहीं हुई बातचीत'

इस दौरान सतीश पूनिया पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की तारीफ करते नजर आए. उन्होंने वसुंधरा राजे की अहमियत खत्म होने के सवाल पर कहा, 'न नेता की अहमियत खत्म होती है, न सम्मान. उन्होंने अनेक अवसरों पर नेता विकसित किए हैं. जितने हमारे नेता हैं उनका इतिहास, विरासत, स्किल है. पार्टी समय-समय पर उनका उपयोग करती है. वसुंधरा राजे प्रदेश की चारों यात्राओं की शुरुआत के समय मौजूद रही हैं. बदलाव की जरूरत पहले थी अब भी है, लेकिन जब लीडर होता है तो उसका आकर्षण होता है. वसुंधरा 2003 उस समय पार्टी में प्रोजेक्ट होकर आईं. उनका ग्लैमर भी था. जब लीडर लीड करता है तो उसका असर होता है. लेकिन इसका सैट फिनोमिना नहीं होता है. यह पार्टी डिसाइन करती है. उस समय मजबूरी ये थी कि पूरे राजस्थान की 200 विधानसभाओं का नापना था. 20 दिन में सारा काम करना था. इस यात्रा का क्रेज व मोटिव और समर्थन के प्रति बदलाव नहीं है. यही नहीं, पूनिया ने कई बार वसुंधरा राजे का नाम लिया. इतना भी कहा कि उनके प्रति कभी अश्रद्धा का भाव मन में नहीं रखा. जब भी कार्यक्रम में मिलते हैं, बातें करते हैं. लेकिन पिछले 10 दिनों से वसुंधरा राजे से न मिले न बात हुई है.'

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एक ट्रैक पर आए दोनों नेता?

इस दौरान पूनिया से पूछा गया कि जब आप प्रदेशाध्यक्ष थे तब वसुंधरा राजे का नाम आपकी जुबां पर इतना नहीं आता था. लेकिन आज कुछ ही मिनटों में आप 4 बार नाम ले चुके हैं. क्या दोनों एक ट्रैक पर आ गए? इस सवाल पर पूनिया ने कहा, 'पार्टी के हित के लिए एक रहे हैं. मैंने व्यक्तिगत संबंधों पर कभी कुछ नहीं कहा. मेरा व्यक्तिगत तौर पर किसी नेता व कार्यकर्ता के प्रति असम्मान व अश्रद्धा नहीं रहा. हम सब एकमुखी होकर साथ चले. मैं पहले भी उनका सम्मान करता था, आज भी करता हूं.' 

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यात्रा में भीड़ पर भी दिया जवाब

हर चीज का समय होता है. कोई जमाने में कांग्रेस का गाय बछड़ा अच्छा लगता था. आज कमल का फूल अच्छा लगता है. उन्होंने यात्रा के दौरान होने भीड़ को लेकर कहा कि ये नरेगा व आंगनबाड़ी की भीड़ नहीं है. सरकारी कर्मचारियों की पाबंद वाली भीड़ नहीं है. यह आर्गेनिक भीड़ है. जनता खुद चल कर आ रही है. हर परिस्थिति में भीड़ उस जगह का पैमाना नहीं है. प्रेस वार्ता के दौरान भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री सी आर चौधरी भाजपा के जिला अध्यक्ष अशोक गुप्ता सहित तमाम नेता मौजूद थे.

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