Rajasthan Election 2023: वोटिंग के 24 घंटे बाद 'सत्ता की देवी' के दर्शन करने आ रहीं वसुंधरा राजे, जानें इस मंदिर का इतिहास

Vasundhara Raje Banswara Visit: मान्यता है कि इस मंदिर में सत्ता पाने की कामना को लेकर जो भी नेता आता है उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है. इसके चलते मां त्रिपुरा सुंदरी को 'सत्ता देने वाली देवी' के रूप में भी जाना जाता है.

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मां त्रिपुरा सुंदरी मंदिर में पूजा करतीं वसुंधरा राजे (फाइल फोटो)

Banswara News: राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) हर विधानसभा चुनाव की मतगणना के दिन सुबह बांसवाड़ा जिले के प्रसिद्ध शक्तिपीठ मां त्रिपुरा सुंदरी मंदिर (Shree Tripur Mata Bala Sundari Mandir) में पूजा अर्चना करती हैं, और प्रारंभिक चुनावों के रुझान जानने के बाद ही जयपुर रवाना होती हैं. लेकिन यह पहली बार है कि वसुंधरा राजे मतदान संपन्न होने के महज 12 घंटे बाद ही आज मां त्रिपुरा सुंदरी मंदिर में पूजा अर्चना करने आने वाली हैं. 

सत्ता देने वाली देवी

मान्यता है कि इस मंदिर में सत्ता पाने की कामना को लेकर जो भी नेता आता है उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है. इसके चलते मां त्रिपुरा सुंदरी को 'सत्ता देने वाली देवी' के रूप में भी जाना जाता है. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे  रविवार की सुबह बांसवाड़ा के त्रिपुर सुंदरी मंदिर में दर्शन करने पहुंचेगी. इस दौरान वह मंदिर के गर्भगृह के पास बैठ कर पूजा अर्चना करेंगी. वसुंधरा राजे सिंधिया का त्रिपुरा सुंदरी मंदिर में खास लगाव है. वह हर चुनाव के दौरान यहां जाती हैं और काउंटिंग के दिन भी दर्शन करती हैं. ऐसा वह पिछले 5 चुनाव से कर रही हैं. 

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3 दिसंबर को रिजल्ट

हर चुनाव में काउंटिंग के दिन वसुंधरा मंदिर जाती हैं और देवी की आराधना करती हैं. वसुंधरा साल 2013 में राजस्थान चुनाव जीतने में सफल रही थीं और उन्हें 165 सीटें मिली थीं. इस एकतरफा और बड़ी जीत के बाद वह दूसरी बार सीएम की कुर्सी पर बैठी थीं. 2018 में भी वह काउंटिंग के दिन मां त्रिपुरा सुंदरी मंदिर पहुंची थीं, लेकिन उनके सिर जीत ताज नहीं सजा था. इस साल परिणाम क्या होगा? यह तो तीन दिसंबर की शाम को ही स्पष्ट हो जाएगा.

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शक्ति पीठ के रूप में प्रसिद्ध

बता दें कि त्रिपुर सुंदरी मंदिर राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के मुख्यालय से 19 किमी की दूरी पर स्थित है. त्रिपुरा सुंदरी देवी के मंदिर को तरतई माता यानी तुरंत परिणाम देने वाली मां के नाम से भी जाना जाता है. मंदिर में काले पत्थर पर खुदी हुई देवी की एक मूर्ति प्रतिष्ठित है. बताया जाता है कि यह मंदिर कुषाण तानाशाह के शासन से भी पहले बनाया गया था. मंदिर एक 'शक्ति पीठ' के रूप में प्रसिद्ध है और जो हिंदू देवी शक्ति या देवी पार्वती की पूजा करते हैं, वे यहां पहुंचते हैं.

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