Vasundhara Raje: राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज बीजेपी नेता वसुंधरा राजे सिंधिया का झालावाड़ जिले और यहां के लोगों से अनमोल रिश्ता है. वसुंधरा राजे के हर झालावाड़ दौरे में उनके लिए साड़ी लेकर पहुंचने वाले तथा हर साल रक्षाबंधन पर राखी लेकर राजे के निवास पर पहुंचने वाले राम और श्याम की जोड़ी आखिरकार बिछड़ गई. श्याम ने दुनिया को अलविदा कह दिया, वह भी रक्षाबंधन वाले दिन. ऐसे में यकीनन अब वसुंधरा राजे सिंधिया जब भी झालावाड़ के दौरे पर होगी तो उनकी निगाहें श्याम को तलाश करेंगी.
राखी और साड़ी लेकर पहुंचते थे राम-श्याम
स्थानीय लोग बताते हैं कि राम और श्याम पिछले दो दशकों से अधिक समय से वसुंधरा राजे सिंधिया से लगातार राखी बंधवाते आ रहे थे. वहीं राजे जब भी झालावाड़ पहुंचतीं राम और श्याम राजे के लिए साड़ी लेकर उनसे मिलने पहुंचते थे. जबकि रक्षाबंधन के अवसर पर राम और श्याम राजे जहां कहीं भी होती वहीं पहुंचकर उनसे राखी बंधवाते थे. दोनों भाई झालावाड़ जिले के पिड़ावा क्षेत्र के भगवानपुर गांव के रहने वाले थे तथा जुड़वा थे. दोनों के असली नाम नाथू सिंह और बापू सिंह थे लेकिन दोनों भाइयों को वसुंधरा राजे ने राम और श्याम का नाम दिया था. अब बापू सिंह यानी श्याम का निधन हो गया है और राम अकेला रह गया है.
झालावाड़ में राजे के अनमोल रिश्ते
वसुंधरा राजे सिंधिया के झालावाड़ जिले में रिश्तों की यदि बात करें तो अकेले राम और श्याम ही ऐसे नहीं, जिनसे राजे के इतनी आत्मीयता वाले रिश्ते हो. इनके अलावा भी जिले में कई ऐसे लोग और परिवार हैं जहां राजे लगातार अपने मुंह बोले रिश्तों को निभाती चली आ रही है. झालावाड़ जिले के रायपुर क्षेत्र का रहने वाला राजेंद्र और बावड़ी खेड़ा निवासी कालू गुर्जर भी ऐसा ही उदाहरण है.
राजेंद्र वसुंधरा राजे सिंधिया को मां कहता है तथा वह कहीं भी राजे के सामने पहुंच जाता है. उनसे किसी भी मामले को लेकर जिद तक कर लेता है. लेकिन राजे बड़ी ही आत्मीयता के साथ कभी उसको डांट लगा देती हैं तो कभी उसकी बात को सुनकर हंस देती हैं.
झालावाड़ के समीप बावड़ी खेड़ा निवासी कालू गुर्जर राजे को समधिन मानते हैं और राजे के झालावाड़ में होने वाले किसी भी दौरे के दौरान वह वहां मौजूद रहते हैं. इतना ही नहीं राजे के पुत्र सांसद दुष्यंत सिंह भी राजेंद्र और कालू गुर्जर से खूब रिश्ता निभाते हैं. जब वह झालावाड़ होते हैं तो अक्सर सुबह के वक्त चाय पीने कालू गुर्जर के घर पहुंच जाते हैं. गांव में कालू के घर के बाहर चबूतरे पर बैठकर चाय की चुस्कियां लेते हैं और खूब हंसी मजाक करते हैं.
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