Rajasthan News: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ बुधवार को जयपुर दौरे पर रहे. इस दौरान उपराष्ट्रपति ने जयपुर में लघु उद्योग भारती द्वारा बनाए सोहन सिंह मेमोरियल कौशल विकास केंद्र के लोकार्पण समारोह में हिस्सा लिया है. समारोह को संबोधित करते हुए धनखड़ ने कहा कि ज्ञान और कौशल के भरोसे ही विकसित भारत का संकल्प सार्थक होगा. कौशल से व्यक्ति को सामर्थ्य और सम्मान दोनों ही मिलते हैं. विकसित भारत का रास्ता ग्रामीण परिवेश और लघु उद्योग से होकर जाता है. विकसित भारत की जो चुनौती है, वह हमारी प्रति व्यक्ति आय है और उसमें आठ गुना बढ़ोतरी होना आवश्यक है.
राष्ट्रवाद से कभी समझौता नहीं कर सकते- उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि ये बात ठीक है, चाहे जल हो, चाहे थल हो, चाहे आकाश हो, चाहे अंतरिक्ष हो भारत बड़ी छलांग लगा रहा है. संस्थागत ढांचा विश्व स्तरीय बन रहा है. पर इन सबके बाद भी एक चीज जो हमारे भीतर है राष्ट्रवाद, राष्ट्र प्रेम, हम भारतीय हैं भारतीयता हमारी पहचान है. राष्ट्रवाद से हम कभी समझौता नहीं कर सकते. यह राष्ट्रवाद में निहित है कि देश का हर व्यक्ति अपने आप को समृद्ध और सुखी पाये और यह तभी संभव है, जब हमारा सोच कुटीर और ग्रामीण उद्योगों पर जाए.
सिर्फ डिग्री से कुछ हासिल नहीं होता- धनखड़
धनखड़ ने कहा कि लंबे अंतराल के बाद एक नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू किया गया, उसमें कौशल और नवाचार दोनों पर बहुत ध्यान दिया गया है क्योंकि सिर्फ डिग्री से कुछ हासिल नहीं होता. यदि आप किसी भी काम में कौशल रखते हैं, तो आप समाज के विकास में बहुत बड़ा योगदान करते हैं.
कार्यक्रम में आरएसएस के सह सरकार्यवाह डॉ.कृष्ण गोपाल ने कहा कि किसी विशेष कारण से अगर किसी परिवार के बच्चे दसवीं या बारहवीं से अधिक नहीं पढ़ पाए, तो उनके लिए आगे बढ़ने के सारे रास्ते ही बंद हो जाते हैं. ऐसे बच्चे बहुत ही मामूली से वेतन पर अपने परिवार की आजीविका के लिए संघर्ष करते हैं. आईआईटी और एनआईटी से परे भी बहुत कुछ है जो हमारे युवा संसाधन के लिए सम्बल प्रदान करने वाला है.
उन्होंने कहा कि भारत का वैश्विक जीडीपी में करीब 30 फीसद तक योगदान रहा है, लेकिन अंग्रेजों ने हमारे उद्योग धंधों को योजनापूर्वक ख़त्म कर दिया और आज सिर्फ दो फीसद पर आ गए. डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि हमारी प्रकृति, नदियों और भूमिगत जल को षड्यंत्र पूर्वक प्रदूषित किया जा रहा है, उसे रोकना होगा. उन्होंने भारतीय चिंतन पर आधारित आर्थिक विकास पर बल दिया.