राम को नहीं मानना, संविधान का अपमान... उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ बोले- संविधान में भी राम-सीता के फोटो

राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा का न्योता ठुकरा कर कांग्रेस ने नई बहस छेड़ दी है. इस बीच शनिवार को जयपुर पहुंचे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि राम को नहीं मानना संविधान का अपमान है.

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जयपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़.
जयपुर:

अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा (Ram Mandir Pran Pratsiita) को लेकर पूरे देश में उत्साह का माहौल है. जगह-जगह इस आयोजन को खास बनाए जाने की तैयारी जारी है. इस बीच कांग्रेस ने राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा का न्योता ठुकरा कर नया विवाद शुरू कर दिया है. कांग्रेस के इस फैसले की आलोचना हो रही है. कांग्रेस के फैसले पर जारी बहस के बीच शनिवारर को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Vice President Jagdeep Dhankhar) ने कहा कि राम-राज्य का आदर्श भारत के संविधान में निहित है और संविधान निर्माताओं ने बहुत सोच समझ कर मौलिक अधिकारों के ऊपर राम, लक्ष्मण, सीता का चित्र रखा है.

राम को काल्पनिक कहना पीड़ादायकः उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ जयपुर में आयोजित ‘नेशनल इलेक्ट्रो होम्योपैथी' संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि राम को नहीं मानना संविधान का अपमान है. उपराष्ट्रपति ने कहा ‘‘मुझे बहुत पीड़ा होती है जब कोई अज्ञानी इतिहास से अनभिज्ञ, यह हलफनामा दे देते हैं कि राम काल्पनिक है.''

'संविधान में 20 से ज्यादा चित्र, उसमें राम दरबार भी शामिल'

उन्होंने कहा, ‘‘राम और राम-राज्य का आदर्श भारत के संविधान में निहित है और संविधान के निर्माताओं ने इसको पराकाष्ठा पर रखा है.'' धनखड़ ने बताया कि हमारे संविधान में बीस से ज्यादा चित्र हैं और उनमें मौलिक अधिकारों के ऊपर जो चित्र है उसमें राम, लक्ष्मण, सीता हैं. जो लोग भगवान राम का निरादर कर रहे हैं वास्तव में वह हमारे संविधान निर्माताओं का अनादर कर रहे हैं. हमारे संविधान निर्माताओं ने बहुत सोच समझकर विवेकपूर्ण तरीके से प्रभु राम के उन चित्रों को वहां रखा है.

उपराष्ट्रपति ने कहा कि समाज तभी स्वस्थ रहेगा जब समाज के सभी अंग एक साथ रहेंगे। हमारी संस्कृति यही कहती है सब मिलकर काम करो एकजुटता से रहो. उन्होंने कहा, ‘‘जो लोग समाज को हिस्सों में बांटना चाहते हैं, तात्कालिक राजनीतिक फायदे के लिए जहर फैलाना चाहते हैं, वे ही 35 बनाम एक की बात करते हैं, 20 बनाम 10 की बात करते हैं.''

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समाज बांटने वाले लोगों को सबक सिखाने की दरकार

धनखड़ ने कहा कि ऐसे लोग समाज के दुश्मन नहीं, बल्कि खुद के भी दुश्मन हैं और उनका आचरण अमर्यादित ही नहीं, घातक है. उन्होंने आगे कहा, ‘‘मेरा आपसे अनुरोध है कि ऐसे तत्वों को सबक सिखाने की दरकार नहीं है, क्योंकि वह अपने हैं. उनको जागरूक करने की दरकार है, उनको समझाने की दरकार है, सही रास्ते पर लाने की दरकार है. यह काम संस्थागत तरीके से नहीं अपने पड़ोस में होना चाहिए, अपने समाज में होना चाहिए, जिस वर्ग से हम जुड़े हुए हैं वहां होना चाहिए.''

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उन्होंने कहा कि हम सबका परम कर्तव्य है कि समाज को जोड़ने का कार्य करें. बयान के अनुसार उपराष्ट्रपति ने राजस्थान के नये नेतृत्व के प्रति विश्वास जताया। उन्होंने भरोसा जताया कि नये नेतृत्व में राजस्थान प्रगति में देश का सर्वोच्च राज्य होगा. उपराष्ट्रपति ने उपस्थित लोगों से आग्रह किया कि वे भारतीयता और राष्ट्रवाद के लिए प्रतिबद्ध रहें.

राष्ट्रहित सदैव सर्वोपरि रहना चाहिए

उप राष्ट्रपति ने आगे कहा कि राष्ट्रहित सदैव सर्वोपरि रहना चाहिए. इस संदर्भ में उन्होंने लोगों को ऐसे तत्वों के विरुद्ध भी चेताया जो तात्कालिक राजनीतिक स्वार्थों के लिए समाज में बंटवारे और वैमनस्य के बीज डालते हैं, देश की उपलब्धियों को कमतर आंकते हैं और समाज में देश की प्रगति के बारे भ्रांतियां फैलाते हैं.

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उन्होंने किसानों से भी आग्रह किया कि वे अपने युवाओं को कृषि और कृषि संबंधित व्यवसाय अपनाने के लिए प्रोत्साहित करें. इस अवसर पर राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा तथा उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा भी उपस्थित रहे। उपराष्ट्रपति ने अपनी जयपुर यात्रा के दौरान राजस्थान के पूर्व उप-मुख्यमंत्री हरिशंकर भाभड़ा के घर जाकर उनकी कुशलक्षेम जानी.

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