Sikar News: सीकर के खाटूश्यामजी में चल रहे लक्खी मेले के दौरान प्रशासन ने भक्तों की सुविधा के मद्देनजर कई इलाकों में बैरिकेडिंग कर रास्तों और गलियों को सील कर दिया है. इस फैसले के विरोध में खाटू कस्बे के व्यापारी सड़क पर उतर आए हैं. स्थानीय लोगों और व्यापारियों का कहना है कि प्रशासन की इन पाबंदियों की वजह से न केवल लोगों को घरों में कैद जैसा महसूस हो रहा है, बल्कि व्यापार भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है. हालांकि, प्रशासन का तर्क है कि भक्तों के लिए बेहतर इंतजाम करना उनकी प्राथमिकता है और स्थानीय निवासियों के आवागमन में कोई बाधा नहीं है.
अनिश्चितकालीन बंद की घोषणा
व्यापारियों और स्थानीय लोगों ने बीते तीन दिनों से प्रशासनिक अधिकारियों से लगातार बातचीत कर समाधान निकालने की कोशिश की, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. इसके बाद व्यापारियों ने बैठक कर सोमवार दोपहर से अनिश्चितकालीन बंद की घोषणा कर दी. नतीजतन, खाटूश्यामजी कस्बे के अंदरूनी इलाके की सभी दुकानें पूरी तरह से बंद हैं, जबकि बाहरी इलाके की दुकानें खुली हुई हैं.
बाजार बंद होने से न केवल व्यापारियों को नुकसान हो रहा है, बल्कि श्रद्धालुओं को भी असुविधा हो रही है. ऐसा पहली बार हुआ है कि मेले के दौरान व्यापारियों ने इस तरह का विरोध प्रदर्शन किया है.
मेले में पहुंच रहे बाबा श्याम के भक्त
''व्यापारियों को अनावश्यक रूप से परेशान किया जा रहा है''
खाटूश्यामजी व्यापार मंडल के अध्यक्ष सोनू जोशी का कहना है कि स्थानीय लोगों और व्यापारियों को अनावश्यक रूप से परेशान किया जा रहा है. उन्होंने प्रशासन पर आरोप लगाया कि रास्ते बंद करने से व्यापारियों का कारोबार ठप हो गया है और आम लोगों की आवाजाही भी प्रभावित हुई है. इसी के विरोध में व्यापार मंडल ने बाजार बंद करने का फैसला किया है. उनका कहना है कि प्रशासन को व्यापारियों और स्थानीय लोगों की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए और जल्द से जल्द समाधान निकालना चाहिए.
रींगस डिप्टी संजय बोथरा को हटाने की मांग
व्यापारियों की प्रमुख मांगों में सील किए गए रास्तों और गलियों को खोलना, व्यापारियों के लिए विशेष कार्ड बनाना, स्थानीय निवासियों को आधार कार्ड के आधार पर आने-जाने की अनुमति देना, दुकानों के लिए माल लाने वाले वाहनों को छूट देना, और मेले की व्यवस्थाओं की देखरेख कर रहे रींगस डिप्टी संजय बोथरा को हटाने की मांग शामिल है. व्यापारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होतीं, तब तक उनका विरोध जारी रहेगा.
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