आचार संहिता लगने से ठीक पहले राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) के सदस्य बनाए गए कर्नल केसरी सिंह राठौड़ (Kesari Singh Rathore) को लेकर राजस्थान की राजनीति में सियासी भूचाल आया हुआ है. मामला इतना बढ़ चुका है कि शुक्रवार शाम मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) को जनता के सामने आकर माफी तक मांगनी पड़ी.
'मेरे से दुर्भाग्यपूर्ण घटना हो गई'
गहलोत ने जयपुर में कहा, 'हमने तो आर्मी का बैकग्राउंड देखकर कर्नल केसरी सिंह को RPSC मेंबर बनाया था, लेकिन उनके पुराने बयान देखकर मुझे बहुत दुख हुआ. यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना हो गई और मेरे से हो गई. मैंने ही आर्मी के बैकग्राउंड को देखते हुए बनाया. हमारा लालच भी था कि हमारी मकराना की सीट खराब क्यों हो? मेंबर बनने के बाद केसरी सिंह ने मुझसे शिष्टाचार भेंट तक नहीं की. हमनें प्रयास किया, उन्हें वापस बुलाकर बातचीत की जाए, पर वे नहीं आए. मुझे दुख है कि मैंने उनके नाम की सिफारिश की.'
'न अप्लाई किया, न सिफारिश आई'
इतना ही नहीं, सीएम ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट से भी पोस्ट करते हुए कहा, 'एक तरफ हमारी सरकार ने 3 लाख भर्ती निकालने का ऐतिहासिक कार्य किया जो शायद देश में सर्वाधिक है. पर दूसरी तरफ पेपर लीक की कुछ घटनाएं सामने आईं. ये सोचकर सरकार ने प्रयास किया कि आर्मी बैकग्राउंड के अधिकारियों को राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) एवं राजस्थान अधीनस्थ सेवा बोर्ड (RSSB) जैसी संस्थाओं में स्थान दिया जाए जिससे इन संस्थाओं की विश्वसनीयता कायम रहे. हाल ही में सरकार ने RSSB के अध्यक्ष के रूप में मेजर जनरल आलोक राज एवं RPSC में सदस्य के रूप में कर्नल केसरी सिंह की नियुक्ति की सिफारिश की थी. इन दोनों ने ना तो अप्लाई किया और ना ही इनकी कोई सिफारिश आई. इनकी 37 साल और 20 साल की सैन्य सेवाओं को देखते हुए इनको नियुक्त किया गया.'
'जाति विशेष पर बयान निंदनीय हैं'
सीएम ने आगे लिखा, 'किसी भी सेना में रहे व्यक्ति से जाति, धर्म, वर्ग इत्यादि से ऊपर उठकर देशसेवा की उम्मीद की जाती है. सैनिक देश की सीमाओं की रक्षा के लिए अपनी जान तक न्यौछावर कर देते हैं, इसलिए उनका समाज में सम्मान होता है. कर्नल केसरी सिंह की नियुक्ति के बाद सोशल मीडिया पर उनके कुछ बयान वायरल हुए हैं जो जाति विशेष और व्यक्ति विशेष को लेकर दिए गए हैं जो निंदनीय, पीड़ादायक एवं दुर्भाग्यपूर्ण हैं. उनकी टिप्पणियों से मुझे भी बेहद दुख पहुंचा है. हमारी सरकार ने उनके सैन्य बैकग्राउंड को देखते हुए उनकी नियुक्ति की सिफारिश की थी.
कौन हैं कर्नल केसरी सिंह राठौड़?
कर्नल केसरी सिंह राठौड़ नागौर जिले में मकराना विधानसभा के गांव शिवरासी के रहने वाले हैं. केसरी ने भारतीय सेना में 21 वर्षों तक सेवाएं देकर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी. इसके बाद वह राजनीति और सामजिक कार्यों में सक्रिय हो गए. कुछ समय पहले तक मकराना सीट से केसरी सिंह के चुनाव लड़ने की उनकी चर्चाएं तूल पकड़ रही थी, लेकिन सीएम गहलोत की सिफारिश पर उन्हें आरपीएससी का सदस्य बना दिया गया.
क्यों हो रहा केसरी सिंह का विरोध?
कर्नल केसरी सिंह के सोशल मीडिया पेज पर अपलोड किए गए फोटो और वीडियो ही उनके विवादों का मुख्य कारण बने हैं. 22 साल तक सेना में रहने के बाद जब केसरी सिंह समाज के कार्यक्रमों में व्यस्त हो गए, तो राजपूत समाज के लोगों की लगातार बैठके लेते वक्त उन्होंने कई ऐसे भाषण दिए जिसमें वे दूसरी जातियों के प्रति द्वैषता फैलाने वाली बातें कहते नजर आए. जाट, गुर्जर और अन्य जातियों के बारे में अशोभनीय टिप्पणियां केसरी सिंह द्वारा की गईं, जो उनके आरपीएससी मेंबर बनते ही सोशल मीडिया पर वायरल होने लगीं. अपने बयानों में वे लोकतांत्रिक व्यवस्था पर भी सवाल उठा चुके थे. कुख्यात गैंगस्टर रहे आनंदपाल सिंह को आदर्श बता चुके थे. यहां तक की उसकी पुण्यतिथि पर रक्तदान शिविरों का आयोजन भी उन्होंने करवाया था. इन्हीं सब कारणों से केसरी सिंह का विरोध शुरू हो गया, और बीते गुरुवार को केसरी सिंह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' (पुराना नाम - ट्विटर) पर ट्रेंड करने लगे.
दिल्ली तक पहुंची शिकायत
ट्विटर पर केसरी सिंह के ट्रेंड करने के साथ ही मामला दिल्ली में कांग्रेस हाईकमान तक पहुंच गया. केसरी सिंह द्वारा मुख्य रूप से जाट और गुर्जर समाज के लिए की गईं विवादित टिप्पणियां को लेकर समाज के लोगों ने भारी नाराजगी प्रकट की. समाज के लोग केसरी सिंह की नियुक्ति रद्द करने की मांग करने लगे. राजस्थान जाट महासभा सहित कई संगठनों ने ना केवल मुख्यमंत्री तक बल्कि दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और गांधी परिवार के सामने सीधी नाराजगी प्रकट की. राजस्थान जाट महासभा के अध्यक्ष राजाराम मील ने राठौड़ के तो पक्षपातपूर्ण बयानों के मद्देनजर केसरी सिंह की नियुक्ति रद्द करने के लिए राज्यपाल और कांग्रेस नेताओं को पत्र भी लिखा, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि राठौड़ एक विवादास्पद और पक्षपाती व्यक्ति हैं और उन्होंने कुछ जातियों के खिलाफ अपने बयानों के जरिए समाज में नफरत फैलाने का काम किया है.
गहलोत की माफी पर बयान
मील ने कहा, 'आयोग की पवित्रता बनाए रखने के लिए आरपीएससी में स्वच्छ छवि और निष्पक्ष दृष्टिकोण वाले व्यक्ति को नियुक्त किया जाना चाहिए'. वहीं मुख्यमंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, 'आज मुख्यमंत्री ने स्वीकार किया है कि केसरी सिंह के बयान वैमनस्य फैलाने वाले थे, जिसे देखकर उन्हें भी दुख हुआ है. मैं मुख्यमंत्री गहलोत से मांग करता हूं कि उन्हें केसरी सिंह का इस्तीफा मांगना चाहिए. नैतिकता के आधार पर केसरी सिंह को भी इस्तीफा देना चाहिए.' राठौड़ राजपूत समुदाय से हैं. मील ने कहा, 'हम किसी समुदाय के खिलाफ नहीं हैं, हम केवल उस व्यक्ति के खिलाफ हैं जो दुश्मनी फैलाने वाले बयान देता है और जातिगत भेदभाव की मानसिकता से पीड़ित है. अगर राजपूत समुदाय से एक सक्षम व्यक्ति को नियुक्त किया जाता है जो सभी ‘36 कौम्स' (समुदायों) को साथ लेकर चल सकता है, तो हम उसका स्वागत करेंगे.'
जाट समाज का ट्विटर पर रिप्लाई
वहीं गहलोत की सोशल मीडिया पोस्ट पर जाट समाज ने प्रतिक्रिया देते हुए अपनी पोस्ट में लिखा, 'गहलोत जाते जाते कांग्रेस की कब्र खोद गए आखिरी घंटो में. जो काम भाजपा राजस्थान में पिछले 5 सालों में नहीं कर पाई थी. खुद भी डूबे और सरकार को भी डूबा दिया. लोकतंत्र की ह्त्या की जो बात करता था, उसको ही राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने RPSC सदस्य नियुक्त किया है. 35 कौम के लिए जहर उगलने वाला व्यक्ति राजस्थान के युवाओं के साथ न्याय नहीं कर सकता.'