Sambhar Lake Rajasthan: डीडवाना जिले के नावां कस्बे से सटी है विश्व प्रसिद्ध सांभर झील, जो नमक उद्योग के लिए विश्व प्रसिद्ध है. इस झील में सुदूर सात समुंदर पार करके हजारों परिंदे भी अपना पेट भरने के लिए आते हैं, लेकिन अब यही झील बे जुबान परिंदों की कब्रगाह बनती जा रही है. सांभर झील में आने वाले प्रवासी पक्षियों पर एक बार फिर 'बोटूलिज्म' नामक वायरस का कहर बरस रहा है, जिसकी वजह से रोज प्रवासी पक्षी मौत के आगोश में समा रहे हैं. सांभर झील में होती पक्षियों की मौत ने एक बार फिर से प्रशासन को सकते में ला दिया है, वहीं पक्षी विशेषकों को भी चिंतित कर दिया है.
आपको बता दें कि डीडवाना जिले के नावां शहर से सटी सांभर झील में पक्षियों की पिछले कई दिनों से लगातार मौत हो रही है. पिछले कुछ दिनों में ही सांभर झील क्षेत्र में 250 से अधिक पक्षियों की मौत हो चुकी है. बीती रात को ही सांभर झील से 32 प्रवासी पक्षियों के शव बरामद किए गए हैं. पक्षियों की मौत के बाद प्रशासन अलर्ट मोड पर है. इसके तहत आज दीपावली के दिन भी विशेष अभियान चला कर झील में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है. रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान कल ही 32 पक्षी मृत पाए गए हैं.
बीमार पक्षियों को भी रेस्क्यू सेंटर पहुंचाया गया
सभी लोग मिलकर झील क्षेत्र से मृत पक्षियों के शव हटा रहे हैं, साथ ही घायल और बीमार पक्षियों की तलाश कर उन्हें रेस्क्यू सेंटर पहुंचा रहे हैं.
रेस्क्यू टीम द्वारा झील में जगह-जगह बने टापुओं का निरीक्षण कर वहां से बीमार पक्षियों को उपचार के लिए लाया जा रहा है. बताया जा रहा है कि जितना जल्दी मृत ओर बीमार पक्षियों को झील से निकाला जाएगा, उतनी जल्दी बॉटलिज्म को फैलने से रोका जा सकता है.
क्या है बोटूलिज्म वायरस? कैसे असर करता है ये वायरस?
बोटूलिज्म एक ऐसी बीमारी है, जिसमें पक्षियों को लकवा मार जाता है, बोटूलिज्म एक गम्भीर न्यूरोमस्कुलर बीमारी है, जो क्लोस्ट्रीडियम बोटूलिज्म नामक जीवाणु द्वारा उत्पन्न विष के कारण होती है. यह बीमारी पक्षियों के तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है, जिससे उनके पंखों ओर पैरों में शिथिल पक्षाघात हो जाता है और गर्दन जमीन को छूने लगती है. एक तरह से पक्षी को लकवा मार जाता है और पक्षी खड़ा होने की स्थिति में नही होता है, जिससे उसकी मौत हो जाती है.
जिला कलक्टर ने दिए थे रेस्क्यू ऑपरेशन के निर्देश
सांभर झील में प्रवासी पक्षियों की लगातार होती मौत के बाद डीडवाना जिला कलेक्टर पुखराज सेन ने गत दिवस सांभर झील का निरीक्षण किया था और प्रशासन, वन विभाग, पशुपालन विभाग तथा एसडीआरएफ के अधिकारियों को झील क्षेत्र में तत्काल रेस्क्यू ऑपरेशन चला कर पक्षियों को बचाने के निर्देश दिए थे.
जिला कलक्टर पुखराज सैन ने कहा कि हमारा प्रयास है की झील क्षेत्र में पक्षियों की मौत के सिलसिले को प्रयास करके रोका जा सके. बीमार पक्षियों को रेस्क्यू करके पशु चिकित्सा विभाग द्वारा बनाये गये रेस्क्यू सेंटर भेजा गया है. जहां बीमार पक्षियों का इलाज किया जा रहा है. इसके लिए नागौर से एसडीआरएफ की टीम भी बुलाई गई है जो पूरे झील क्षेत्र का दौरा कर पक्षियों को रेस्क्यू कर रही है.
नॉर्दन शॉवलर, स्विकल की मौत
सांभर झील में जिन पक्षियों के शव मिले है, उनमें नॉर्दन शॉवलर, स्विकल प्रमुख है. ये माइग्रेटी पक्षी है, जो अमेरिका, अफ्रीका, यूरोप से चलकर नावां - सांभर झील में प्रवास करने के लिए आते है और इनमें फ्लेमिंगो, नॉर्थन शॉवलर सहित अन्य पक्षियों के प्रवास की पसंदीदा जगह सांभर झील और डीडवाना नमक झील है.
2019 में हुई थी 25 हजार पक्षियों की मौत
साल 2019 में भी सांभर झील में प्रवासी पक्षियों में 25000 प्रवासी पक्षियों की मौत हुई थी, जो भारत मे सामूहिक पक्षी मृत्यु दर की पहली घटना थी. रिसर्च में यह भी सामने आया था कि जुलाई, अगस्त 2019 में ज्यादा बारिश की वजह से साम्भर झील में नमक का स्तर कम हो गया था, जिससे बैक्टीरिया के पनपने के लिए सही माहौल बन गया था. उसी प्रकार इस वर्ष भी अधिक वर्षा होने के कारण फिर से उसी तरह की पक्षी त्रासदी का डर सताने लगा है.
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