Rajasthan: अकबर-जोधा बाई की शादी को लेकर क्यों है विवाद?

राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने अकबर और जोधा बाई (Akbar and Jodha Bai) की शादी को एक 'कहानी' बताया है. इतिहासकार भी मानते हैं कि इसे लेकर विवाद है और उसकी एक ख़ास वजह है.

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वर्ष 2008 में जोधा अकबर नाम की एक फिल्म बनी थी जिसमें ऋतिक रोशन ने अकबर और ऐश्वर्या राय बच्चन ने जोधा बाई की भूमिका निभाई थी

Rajasthan: राजस्थान में राज्यपाल हरिभाऊ बागडे (Haribhau Bagde) की एक टिप्पणी ने एक बार फिर एक पुरानी बहस को चर्चा में ला दिया है. बागडे ने बुधवार (29 मई) को उदयपुर में एक कार्यक्रम में अपने भाषण में दावा किया कि अकबर और जोधा बाई की शादी सिर्फ़ एक कहानी हैं और इसमें कोई सच्चाई नहीं है. उन्होंने कहा कि अबुल फ़ज़ल की लिखी पुस्तक 'अकबरनामा' (Akbarnama) में जोधा और अकबर की शादी का कोई उल्लेख नहीं है. राज्यपाल ने दावा किया कि भारतीय इतिहास लेखन पर अंग्रेजों के प्रभाव के कारण उसमें कई झूठे तथ्य दर्ज हैं. इनमें जोधाबाई और मुगल सम्राट अकबर की शादी की 'कहानी' भी शामिल है. राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने कहा था- "कहा जाता है कि जोधा और अकबर की शादी हुई. उस पर फिल्म भी बनी. इतिहास भी वही बोल रहा है. लेकिन यह झूठ है. दरअसल भारमल नाम के एक राजा थे जिन्‍होंने अपनी एक दासी की पुत्री की शादी अकबर से करवाई थी."

लेकिन, राज्यपाल हरिभाऊ बागडे से पहले भी कई बार इस बात को लेकर बहस होती रही है कि क्या वाक़ई अकबर की शादी जोधा बाई से हुई थी. इस बारे में इतिहास में क्या दर्ज है? और इसे लेकर विवाद क्यों होता है? लखनऊ स्थित बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफ़ेसर डॉ. सुशील पांडेय ने NDTV से एक बातचीत में विस्तार से इस विवाद की वजह को समझाया. पढ़िए उन्होंने क्या बताया.

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अकबर की पत्नियों के नाम अलग-अलग

यह बिल्कुल सही बात है कि भारतीय इतिहास को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया. कई विदेशी इतिहासकारों ने, और खासतौर पर मध्यकालीन मुस्लिम इतिहासकारों ने भारतीय इतिहास को बिना किसी तथ्य के प्रस्तुत किया. इसी की वजह से ये विवाद हो रहा है. ऐसा कहा जाता है कि 6 फरवरी 1562 को अकबर अजमेर से ख्वाज़ा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह से वापस आ रहे थे. उस समय आमेर में कशवाहा वंश के राजा भारमल का शासन था, जो कि आज जयपुर का क्षेत्र है. राजा भारमल ने अपनी पुत्री हरखाबाई का विवाह अकबर से किया.

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"कहीं पर अकबर की पत्नी का नाम हरखाबाई मिलता है, तो कहीं जोधाबाई मिलता है, और अधिकांश स्थानों पर उनका नाम मरियम उज्जमानी मिलता है."

लेकिन यहां पर विवाद ये है कि कहीं पर अकबर की पत्नी का नाम हरखाबाई मिलता है, तो कहीं जोधाबाई मिलता है, और अधिकांश स्थानों पर उनका नाम मरियम उज्जमानी मिलता है. तो ये तीन अलग-अलग नाम हैं. अगर आप फतेहपुर सीकरी के महल की वास्तुकला को देखेंगे तो वहां मरियम का महल अलग है. कुछ यूरोपी इतिहासकार लिखते हैं कि अकबर ने संभवत: किसी ईसाई महिला से विवाह किया था.

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फतेहपुर सीकरी में जोधाबाई का महल भी है जिसे हम आज भी देख सकते हैं. ऐसा कहा जाता है कि अकबर की पत्नी हिंदू थीं जिन्हें हिंदू धर्म का पालन करने की पूरी आज़ादी दी गई थी. सिकंदरा में अकबर के मकबरे के पास उनकी एक समाधि भी है.

फ़तेहपुर सीकरी में जोधा बाई का महल
Photo Credit: ASI

जोधा बाई को लेकर विवाद की जड़

विवाद का मूल कारण यह है कि हरखाबाई के प्रारंभिक जीवन के बारे में कोई भी जानकारी प्राप्त नहीं है. इसलिए यह पूर्ण रूप से नहीं कहा जा सकता कि वह राजा भारमल की ही पुत्री रही होंगी. ऐसा कोई भी प्रारंभिक स्रोत और विश्वसनीय स्रोत उपलब्ध नहीं है.

कई इतिहासकारों का दावा है कि उस दौर में राजाओं की कई ऐसी पत्नियां होती थीं. उनके हरम में कई महिलाएं भी होती थीं. उनका कहना है कि राजा भारमल के हरम में एक दासी थी, और राजा ने उससे पैदा हुई पुत्री का विवाह अकबर के साथ किया था. लेकिन, मूल समस्या ये है कि ऐसा कोई भी प्रमाणिक स्रोत नहीं है कि वह राजा भारमल की पुत्री थी.

"हरखाबाई के प्रारंभिक जीवन के बारे में कोई भी जानकारी प्राप्त नहीं है. इसलिए यह पूर्ण रूप से नहीं कहा जा सकता कि वह राजा भारमल की ही पुत्री रही होंगी."

राजनीतिक वजहों से होती थीं शादियां

इस चर्चा का एक दूसरा पक्ष ये भी है कि विवाह के बाद राजा भारमल को मुगल दरबार में काफी महत्व मिला. उनके बेटे भगवान दास को 5000 का मनसब दिया गया, और उन्हें उच्च प्रशासनिक पद दिया गया. उनके बेटे मानसिंह को भी उच्च प्रशासनिक पद दिया गया. मानसिंह अकबर के सेनापति भी रहे और उन्होंने अकबर के कई महत्वपूर्ण सैन्य अभियानों का नेतृत्व भी किया. 

तो इस संबंध की दोनों को आवश्यकता थी. जहां राजा भारमल अपनी आंतरिक राजनीति से काफी परेशान थे, वहीं अकबर को भी उनकी ज़रूरत थी. उस समय कई मुगल शहजादियों का विवाह भी राजपूतों से हुआ था, और राजपूतों ने भी मुग़लों से वैवाहिक संबंध बनाए थे. यह तब एक राजनीतिक विषय था, धार्मिक नहीं.

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