CM Bhajan Lal Sharma: बीजेपी के एक आम कार्यकर्ता भजनलाल शर्मा ने दिसंबर 2023 में राजस्थान के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. अब उनके मुखमंत्री पद पर कार्यकाल का एक साल पूरा होने जा रहा है. इस एक साल की सरकार के दौरान भजनलाल शर्मा ने कई उपलब्धियां हासिल की है. अब वह राजस्थान के बड़े नेताओं में से एक हैं जिनकी पहुंच सीधे आलाकमान तक है. जबकि राज्य के उत्थान को लेकर भजनलाल शर्मा ने एक के बाद एक फैसला ले रहे हैं. भजनलाल शर्मा ने सियासत की लंबी सीढ़ी चढ़ी है, लेकिन इसके बावजूद वह अपने सियासत की पहली सफर को याद कर प्रेरणा लेते हैं.
सीएम भजनलाल शर्मा ने अपने एक्स प्लेटफॉर्म पर अपनी पहली सियासी जीत की तस्वीर को साझा किया है. जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. भजनलाल शर्मा की पहली सियासी जीत तब हुई थी जब वह पहली बार सरपंच के लिए निर्वाचित हुए थे.
सीएम भजनलाल शर्मा ने तस्वीर शेयर कर क्या लिखा
मुख्यमंत्री भजनलाल ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर अपनी एक पुरानी तस्वीर की शेयर कर लिखा, यह अविस्मरणीय तस्वीर उस ऐतिहासिक क्षण की साक्षी है. जब वर्ष 2000 में पैतृक गांव अटारी का सरपंच निर्वाचित हुआ था. तस्वीर में परिलक्षित जन-जन के मुखमंडल पर विद्यमान हर्षोल्लास, बुजुर्गों का स्नेहाशीर्वाद, और युवाओं की उत्साहपूर्ण सहभागिता भारतीय लोकतंत्र की जीवंत परंपरा का प्रतीक है.
भजनलाल शर्मा ने आगे कहा, आज राजस्थान के मुख्यमंत्री के गरिमामय दायित्व का निर्वहन करते हुए, वह प्रेरणादायक क्षण मेरे मानस-पटल पर सदैव अंकित है. यह मेरी राजनीतिक यात्रा का वह महत्वपूर्ण पड़ाव था, जिसने जन-सेवा के प्रति मेरे संकल्प को और भी सुदृढ़ किया. प्रदेश सरकार का एक वर्षीय कार्यकाल पूर्ण होने के उपलक्ष्य में यह स्मृति जन-कल्याण के लिए समर्पित रहने की प्रेरणा को और सशक्त करती है और मेरे संकल्प को सदैव नवीन ऊर्जा से परिपूर्ण करती है.
सीएम भजनलाल शर्मा का सियासी सफर
भजनलाल शर्मा राजनीति विज्ञान विषय से पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई के बाद 1991-92 में भारतीय जनता युवा मोर्चा से जुड़े और अपने सियासी सफर की शुरुआत की. वहीं साल 2000 में वह पहली बार अटारी में सरपंच नियुक्त हुए. यह उनकी पहली सियासी जीत थी. इस बीच भारतीय जनता युवा मोर्चा और भारतीय जनता पार्टी में करीब एक दर्जन पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके थे. उनकी सियासी सफर में सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब वह साल 2023 में पहली बार सांगानेर सीट से विधायक चुने गए. जबकि पहली बार विधायक बनने के साथ ही वह पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर चुने गए.
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