Rajasthan: कहां से हुआ भरतपुर राजपरिवार का निकास? पूर्व मंत्री के बयान से छिड़ी बहस, जानें इत‍िहास

विवाद की जड़ यह है कि कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि भरतपुर के पूर्व राजपरिवार का निकास करौली से है, जिसे विश्वेंद्र सिंह ने खारिज किया है.

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भरतपुर में लोगों को संबोधित करते हुए विश्वेंद्र सिंह की तस्वीर.

Rajasthan News: राजस्थान के पूर्व कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह (Vishvendra Singh) ने 23 जून को भरतपुर-डीग में आयोजित एक कार्यक्रम में पूर्व राजपरिवार (Former Royal Family of Bharatpur) के निकास को लेकर बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि भरतपुर की भूमि अजेय योद्धाओं की भूमि है और युवाओं को महाराजा सूरजमल और जवाहर सिंह जैसे पूर्वजों से प्रेरणा लेनी चाहिए.

विवाद क्या है?

विवाद की जड़ यह है कि कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि भरतपुर के पूर्व राजपरिवार का निकास करौली से है, जिसे विश्वेंद्र सिंह ने खारिज किया है. उन्होंने कहा कि अगर किसी को ज्ञान है तो वह जवाहर बुर्ज पर जाकर देख सकता है, जहां श्रीकृष्ण भगवान से लेकर भरतपुर के पूर्व राजपरिवार के अंतिम शासक बृजेन्द्र सिंह का नाम लिखा हुआ है.

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'भरतपुर का राज घराना जाट वंशीय है'

इतिहासकार रामवीरसिंह वर्मा ने बताया कि श्रीकृष्ण से लेकर भरतपुर राज्य के अंतिम नरेश महाराजा बृजेन्द्र सिंह तक 101 पीढ़ी हैं. यह सब चंद्रवंश में यदुवंशीय जाट क्षत्रिय हैं. यह वंश थून से सिनसिनी व सिनसिनी से कुम्हेर और उसके बाद डीग को राजधानी बनाकर सन 1743 ई. में भरतपुर का किला बनाकर 1748 ई. मत्स्य राज तक निरन्तर शासक रहा है. जिन्होंने जयपुर के राजपूत राजा को अनेक युद्धों मे हराया है. किले के जवाहर बुर्ज पर अष्टधातु की लगी लाट पर योगीराज कृष्ण से लेकर राज्य के अन्तिम यदुवंशीय जाट शासक बृजेन्द्र सिंह की अंकित वंशावली आज भी इसकी साक्षी है कि भरतपुर का राज घराना जाट वंशीय है.

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जवाहर बुर्ज के 1 फीट मोटे इस लौह स्तंभ पर अंकित है भरतपुर के राजाओं की वंशावली 

  • महाराजा बदन सिंह (1723-1756) पहली बार राजा का खिताब मिला. इनके सूरजमल समेत 26 पुत्र थे. 
  • महाराजा सूरजमल (1707-1763) इनके 5 पुत्र जवाहर सिंह, नाहर सिंह, रतन सिंह, नवल सिंह और रणजीत सिंह थे.
  • महाराजा जवाहर सिंह (1763-1768) इनके कोई संतान नहीं थी. भाई रतन सिंह को राजपाट मिला.
  • महाराजा रतन सिंह (1768-1769) इनके केहरी सिंह हुए.
  • महाराजा केहरी सिंह (1769-1776) कोई संतान नहीं. महाराजा जवाहर सिंह के भाई रणजीत सिंह को राजपाठ मिला. 
  • महाराजा रणजीत सिंह (1776-1805) इनके 4 पुत्र रणधीर सिंह, बलदेव सिंह, पृथ्वी सिंह और लक्ष्मण सिंह हुए.
  • महाराजा रणधीर सिंह (1805-1823) इनके कोई पुत्र नहीं था. छोटे भाई बलदेव सिंह को राजपाठ मिला.
  • महाराजा बलदेव सिंह (1823-1825) इनके पुत्र बलवंत सिंह हुए.
  • महाराजा बलवंत सिंह (1826-1853) इनके पुत्र जसवंत सिंह हुए.
  • महाराजा जसवंत सिंह (1853-1993) इनके चार पुत्र थे, जिनके नाम फतह सिंह, राम सिंह, नारायण सिंह और रघुनाथ सिंह थे. 
  • महाराजा राम सिंह (1893-1900) इनके दो पुत्र कृष्ण सिंह और गिरिराज सिंह हुए.
  • महाराणा कृष्ण सिंह (1900-1929) इनके चार पुत्र थे. बृजेंद्र सिंह, मान सिंह, गिरेंद्र सिंह और गिरिराज सरन सिंह.
  • महाराजा बृजेंद्र सिंह (1929- 1948) इनके पुत्र विश्वेंद्र सिंह हुए, जो गहलोत सरकार में मंत्री रह चुके हैं.

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