राजस्थान में अगर इस बार भी सत्ता परिवर्तन होता है और बीजेपी की सरकार बनती है तो मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा, इस पर संशय बरकरार है? लेकिन इस बीच एक शख्सियत पर चर्चा हो रही है, जिसे बीजेपी राजस्थान चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री का चेहरा भी बना सकती है. वह चेहरा है राजकुमारी, राजनीतिज्ञ और सोशलाइट दीया कुमारी का, जयपुर के अंतिम शासक महाराजा मान सिंह द्वितीय की पोती अपने शानदार वंश की विरासत आगे बढ़ा रही हैं. शाही खानदान से लेकर राजनीति की हलचल भरी दुनिया में उनका सफरनामा बेहद रोचक रहा है. आइए जानते हैं कौन हैं महारानी दीया कुमारी...
प्रारंभिक जीवन
दीया कुमारी (Diya Kumari) का जन्म 30 जनवरी 1971 को राजस्थान के जयपुर में एक प्रतिष्ठित भारतीय सेना अधिकारी और होटल व्यवसायी भवानी सिंह (Bhavani Singh) और पद्मिनी देवी के घर हुआ था. पिता के सेना में होने के नाते उनका जीवन शाही ठाट-बाट से दूर था. वे अपने राजशाही जीवन से दूर सैन्य अधिकारियों के बच्चों के बीच रहती और खेलती थीं. जयपुर के एक अखबार में लिखे गए एक कॉलम में वह याद करती हैं 'मुझे बेहद अनुशासित रखा गया था, मुझे कभी लगा ही नहीं की मैं शाही खानदान से हूं या कोई बहुत खास हूं.'
उनकी शिक्षा प्रतिष्ठित संस्थानों में जैसे नई दिल्ली के मॉडर्न स्कूल से लेकर मुंबई के जीडी सोमानी मेमोरियल स्कूल और अंततः जयपुर के महारानी गायत्री देवी गर्ल्स पब्लिक स्कूल में हुई. दीया का कला के प्रति विशेष लगाव था. अपनी लगन की वजह से उन्होंने लंदन के प्रतिष्ठित पार्सन्स आर्ट एंड डिज़ाइन स्कूल से फाइन आर्ट्स डेकोरेटिव पेंटिंग डिप्लोमा हासिल किया, जिससे उनकी रचनात्मक भावना और परिष्कृत सौंदर्य बोध में वृद्धि हुई.
आम आदमी से की शादी
प्यार, जैसा कि एक उम्र में प्रत्येक इंसान को होता है दीया को भी प्यार हुआ. 6 अगस्त, 1997 को उन्होंने सार्वजनिक रूप से एक आम आदमी नरेंद्र सिंह राजावत (Narendra Singh Rajawat) जो एक चार्टर्ड अकाउंटेंट थे, के साथ शादी की. उनके इस मिलन ने साबित कर दिया कि प्यार की कोई सीमा नहीं होती. प्यार और महत्वाकांक्षा से बंधे इस जोड़े ने एक साथ एक अविश्वसनीय यात्रा शुरू की. उनकी दुनिया में तीन खूबसूरत बच्चों का जन्म हुआ, जिनमें से प्रत्येक की अपनी विरासत थी.
2011 में भवानी सिंह के असामयिक निधन के बाद, दीया कुमारी ने अपने किशोर बेटे के स्थान पर शाही परिवार के मामलों की जिम्मेदारी संभाली. एक राजकुमारी के समान अपने पुर्खों के विरासत को सहेजा. उदाहरण पेश करते हुए, दीया कुमारी ने एक कुलमाता और अभिभावक के रूप में अपनी भूमिका निभाई, उन्होंने सामाजिक मानदंडों को चुनौती दी और अपना रास्ता खुद बनाया.
लेकिन उनका सफर यहीं खत्म नहीं हुआ. दीया कुमारी की अदम्य भावना और सामाजिक कार्यों के प्रति अटूट समर्पण ने उन्हें प्रिंसेस दीया कुमारी फाउंडेशन (Princess Diya Kumari Foundation- PDKF) की स्थापना करने के लिए प्रेरित किया. उनकी बेटी जयपुर की राजकुमारी गौरवी कुमारी फाउंडेशन के महासचिव के रूप में जुड़ीं जहां वे महिलाओं को सशक्त बनाने और हाशिये पर पड़े लोगों के उत्थान हेतु कार्य करती हैं.
राजनीतिक करियर
दीया कुमारी 10 सितंबर 2013 को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुईं. जयपुर में भव्य रैली के दौरान दो लाख लोगों की भारी भीड़ के बीच उन्होंने तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह और वसुंधरा राजे जैसी हस्तियों की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ली. यहीं से उनकी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत हुई.
कुमारी ने 2013 के राजस्थान विधान सभा चुनाव में सवाई माधोपुर (Sawai Madhopur) से भाजपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और सफलतापूर्वक विधान सभा सदस्य (एमएलए) का पद हासिल किया. उनके समर्पण की वजह से उन्होंने 2019 लोकसभा चुनाव में करिश्मा कर दिखाया और राजसमंद से लोकसभा के लिए संसद सदस्य के रूप में निर्वाचित होकर एक और मील का पत्थर हासिल कीं.
श्री राम के वंशज होने का दावा
दीया कुमारी भगवान श्री राम के वंंशज से होने का दावा भी करती रही हैं. दीया कहती हैं कि दुनियाभर में भगवान श्रीराम जी के वंशज हैं और हम भी भगवान श्रीराम के पुत्र कुश के वंशज हैं.' इस दावे का आधार हमारे पास है, हस्तलिपि, वंशावली और दस्तावेज हमारे पोथी खाने में मौजूद हैं.' सांसद ने इन दस्तावेजों को भी सार्वजनिक किया है.
दीया का कहना है कि उनके पास एक पत्रावली है, जिसमें भगवान श्रीराम के वंश के सभी पूर्वजों का नाम क्रमवार दर्ज हैं. उनके पास 9 दस्तावेज, 2 नक्शे हैं जो साबित करते हैं कि अयोध्या के जयसिंहपुरा और राम जन्मस्थान सवाई जयसिंह द्वितीय के अधीन ही थे. 1776 के एक हुक्म में लिखा था कि जयसिंहपुरा की भूमि कच्छवाहा के अधिकार में हैं. भगवान श्री राम के कुशवाहा वंश के 63वें वंशज थे. इसी तरह पूर्व राजकुमारी दीयाकुमारी भगवान श्री राम की 310वीं पीढ़ी है.
संपत्ति
एक समृद्ध विरासत के संरक्षक के रूप में शाही परिवार को विरासत में बहुत कुछ मिला है वर्तमान में उनका कुल हासिल वही है. उनका एक रामबाग पैलेस है, जो जयपुर से लगभग 8 किलोमीटर दूर स्थित है. मूल रूप से 1835 में राजकुमार राम सिंह द्वितीय की एक मामूली झोपड़ी धीरे-धीरे एक शानदार महल में बदल गई. वर्तमान में दीया कुमारी परिवार के साथ यहीं रहती हैं.
इसका प्रबंधन द ताज होटल्स रिसॉर्ट्स एंड पैलेसेस (The Taj Hotels Resorts and Palaces) द्वारा किया जाता है. एक रिपोर्ट के अनुसार शाही परिवार की संपत्ति राजवंश के महाराजा, पद्मनाभ सिंह, जो वर्तमान में 23 वर्ष के हैं उनके पास $697 मिलियन से $855 मिलियन तक की उल्लेखनीय संपत्ति है. हालांंकि किसी शाही परिवार की पूरी संपत्ति का अनुमान लगाना मुश्किल है, लेकिन एक अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक उनका कुल संपत्ति $2.8 बिलियन तक पहुंच जाता है.