Rajasthan Politics: आखिर सदन में प्रमुख विभागों की मांगों पर बहस से क्यों डर गई राजस्थान सरकार?

Rajasthan Budget Session 2024: राजस्थान की भजनलाल सरकार ने विधानसभा में मुखबंद का प्रयोग किया है. वर्ष 2019 में भी पूर्व सीएम गहलोत ने इसका प्रयोग किया था ताकि बजट की महत्वपूर्ण घोषणाओं पर चर्चा और मतदान से बचा जा सके.

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Rajasthan News: राजस्थान विधानसभा में पहला पूर्ण बजट (Rajasthan Budget 2024) पेश करने के बाद भजनलाल सरकार (Bhajanlal Government) ने एक ऐसा फैसला लिया है, जिसकी चर्चा इस वक्त पूरे प्रदेश में हो रही है. राजनीतिक गलियारों में इसे मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा (Bhajanlal Sharma) का 'मास्टरस्ट्रोक' कहा जा रहा है, जिसके तहत अब गृह-शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभागों की अनुदान मांगों पर अब सदन में बहस और मतदान नहीं होगा. 

5 साल बाद 'मुख बंद' का प्रयोग

इस फैसले के पीछे कोई ठोस वजह अभी तक सामने नहीं आई है. लेकिन कहा जा रहा है कि जिस तरह सदन में विपक्ष ने कानून व्यवस्था व शिक्षा मंत्री के बयान को मुद्दा बनाया है, इससे राज्य सरकार को चिंता सताने लगी है. ऐसे में अगर इन विभागों पर बहस के बाद मतदान हुआ और उसमें विपक्ष जीत गया तो बजट घोषणाओं पर पानी फिर सकता है. इस लिहाज से प्रदेश सरकार ने 'मुख बंद' का प्रयोग किया है. इससे पहले जुलाई 2019 में पूर्व सीएम अशोक गहलोत भी इस दांव को चलकर ऐसे संकट से उबर चुके हैं.

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मदन दिलावर ने बढ़ाई परेशानी?

हालांकि अभी साफ तौर पर पाना मुश्किल है, मगर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर द्वारा दिया गया विवादित बयान भी इस फैसले के पीछे एक वजह हो सकता है. सदन में शिक्षा मंत्री के प्रति विपक्ष का कड़ा रुख देने को मिला है. 3 जुलाई को बजट सत्र की शुरुआत के बाद से अभी तक एक भी मौका ऐसा नहीं रहा है जब मदन दिलावर के भाषण पर विपक्ष ने हंगामा करने हुए उनका इस्तीफा न मांगा हो. इस हंगामा के चलते मदन दिलावर को विधानसभा में अपने बयान को लेकर सफाई भी देनी पड़ी थी. मगर विपक्ष लगातार शिक्षा मंत्री की माफी के बाद इस्तीफे की मांग कर रहा है.

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महिला अत्याचार के आंकड़े बने परेशानी

इतना ही नहीं, प्रश्नकाल की कार्यवाही के दौरान जब कांग्रेस विधायक इंदिरा ने महिला प्रताड़ना के दर्ज मामलों को लेकर सवाल पूछा तो सरकार के जवाब पर सदन में जमकर हंगामा हुआ. चिकित्सा मंत्री ने सदन में बताया कि 1 जनवरी 2024 से 30 जून 2024 तक राज्य में महिलाओं के खिलाफ 20 हजार से अधिक मामले दर्ज हुए हैं. भजनलाल सरकार में क्राइम का ये आंकड़ा सुनकर सभी हैरान रह गए और सरकार पर सवाल उठाने लगे. हालांकि चिकित्सा मंत्री ने बीते 4 साल का डेटा जारी करते हुए बताया कि ये आंकड़े गहलोत सरकार में दर्ज हुए मामलों से 6 प्रतिशत कम हैं.

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