Rajasthan: राजस्थान की राजनीति में एक सवाल इन दिनों सबसे ज्यादा चर्चा में है. चुनाव हारने और पार्टी में किसी बड़ी जिम्मेदारी के बगैर भी अचानक फिर से अशोक गहलोत इतने सक्रिय क्यों हो गए हैं? वो प्रदेश कांग्रेस में किसी बड़ी भूमिका में नहीं हैं, लेकिन फिर भी वो लगातार प्रदेश के दौरे कर रहे हैं, जनसभाओं को संबोधित कर रहे हैं, प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं और सोशल मीडिया पर रोज सरकार की नीतियों पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं.
राजस्थान में इन दिनों कांग्रेस की तरफ़ से सोशल मीडिया पर उनकी सक्रियता सबसे ज़्यादा है. रोज़ाना सोशल मीडिया पोस्ट के ज़रिए भजनलाल सरकार पर निशाना साधने की बात हो या लोगों से मुलाक़ात के वीडियो शेयर करने से बनी चर्चा हो, अशोक गहलोत ख़बरों में बने हुए हैं.
अशोक गहलोत लगातार अपनी सभाओं और दौरों के Video पोस्ट करते हैं -
प्रासंगिक रहने की रणनीति
सियासी जानकार मानते हैं कि असल में यह गहलोत की एक सोची-समझी रणनीति है. जब वे अतीत में सत्ता गंवाते थे तब पार्टी उन्हें दिल्ली में संगठनात्मक जिम्मेदारियां सौंपती थी. वो कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रहे, कई राज्यों के प्रभारी बने, और गुजरात जैसे राज्यों के चुनावों में अहम रणनीतिक भूमिका निभाई. लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में हार के बाद ना तो उन्हें संगठन में कोई बड़ा पद मिला न ही कोई राष्ट्रीय जिम्मेदारी उनके पास है. ऐसे में गहलोत ने खुद को प्रासंगिक बनाए रखने के लिए राजस्थान की ज़मीन को ही अपना मैदान चुना है.
iगहलोत का मकसद है कि राज्य की भाजपा सरकार को कोई राहत न मिले और वो भजनलाल सरकार के हर फैसले और हर नीति पर विपक्ष की तरफ से करारा हमला करें. वो ऐसे हर मौके को भुनाते हुए ना केवल सरकार की आलोचना करते हैं, बल्कि अपनी पिछली सरकार की योजनाओं, फैसलों और उपलब्धियों को भी सामने रखते हैं. एक ओर वो भाजपा सरकार को घेर रहे हैं दूसरी ओर अपनी सरकार के कामों को याद दिलाकर अपनी छवि को बनाए रख रहे हैं.
अशोक गहलोत के बीकानेर दौरे का Video -
निजी एजेंसी से ले रहे मदद- सूत्र
विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक गहलोत ने इस रणनीति को व्यवस्थित रूप देने के लिए एक निजी एजेंसी की भी मदद ली है. यह एजेंसी उनके जनसभाओं, प्रेस कॉन्फ्रेंस, जिला दौरों और जनता से मुलाकातों की प्रोफेशनल रिकॉर्डिंग करती है. बाद में इन्हीं वीडियो क्लिप्स, रील्स और ग्राफिक्स के जरिए गहलोत सोशल मीडिया पर प्रभावी ढंग से अपनी बात रखते हैं. उनके सोशल मीडिया अकाउंट पर अब नियमित रूप से पोस्ट, विज़ुअल्स और वीडियो देखने को मिलते हैं जो खासतौर से युवाओं और डिजिटल दर्शकों को ध्यान में रखकर बनाए जाते हैं.
जानकारों का मत है कि गहलोत की सक्रियता को केवल व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा से नहीं जोड़ा जा सकता. वो पार्टी के भीतर और बाहर यह संकेत देना चाहते हैं कि भले ही उनके पास कोई औपचारिक पद न हो लेकिन वे अभी भी कांग्रेस के सबसे अनुभवी और लोकप्रिय नेताओं में हैं और भविष्य की किसी भी राजनीतिक भूमिका के लिए तैयार भी हैं.
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