New Guidelines For Coaching Centers: केंद्र सरकार की शिक्षा मंत्रालय ने देशभर के कोचिंग सेंटर्स के लिए नई गाइडलाइन जारी की है. जिसमें कई ऐसे आदेश हैं जो छात्रों को राहत दे सकती है. इस गाइडलाइन में उन छात्रों का खासस ध्यान रखा गया है जो JEE, NEET, CLAT जैसे एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी करते हैं. ऐसे छात्र कई बार भ्रामक वादों में फंसकर अपनी लाइफ बर्बाद करते हैं. बल्कि दवाब में आकर सुसाइड तक जैसे कदम उठा लेते हैं. इस मामले में राजस्थान के कोटा का नाम सबसे ऊपर आता है. जहां आत्महत्या करने वाले स्टूडेंट की संख्या ज्यादा मिलती है. यहां पूरे देश से कोचिंग करने के लिए छात्र पहुंचते हैं.
छात्र कई बार लोक लुभावन वादों में फंस जाते हैं. कोचिंग सेंटर्स द्वारा लगाए गए भ्रामक बोर्ड से छात्र भ्रमित हो जाते हैं. वहीं, कोचिंग सेंटर्स फीस और कई चीजों के लिए दवाब भी देते हैं. कुछ छात्र अगर कोचिंग छोड़ कर जाना भी चाहते हैं तो उनकी फीस कोचिंग सेंटर वाले लौटाने से इनकार करते हैं. ऐसे में केंद्र द्वारा जारी की गई गाइडलाइन काफी अहम है. क्योंकि अब न केवल कोचिंग सेंटर पर कड़ी कार्रवाई होगी. बल्कि लाखों का जुर्माना भी लगाया जाएगा. छात्रों को अब फीस वापस करने का भी प्रावधान किया गया है. वहीं, कोचिंग सेंटर के प्रति राज्य सरकार को भी जिम्मेदार बनाया जाएगा कि वह गाइडलाइन को फॉलो करवाएं.
कोचिंग सेंटर्स के लिए गाइडलाइन
- ग्रेजुएट से कम योग्यता वाले ट्यूटर्स फैकल्टी नियुक्त नहीं होंगे.
- कोचिंग सेंटर्स पैरेंट्स को भ्रामक वादे, या अच्छे नंबर और रैंक की गारंटी नहीं दे सकते हैं.
- कोचिंग 16 साल से कम उम्र के स्टूडेंट्स का इनरोलमेंट नहीं कर सकते हैं.
- इनरोलमेंट केवल सेकेंड्री स्कूल एग्जाम के बाद ही किया जाएगा.
- मोरल क्राइम के दोषी टीचर्स को फैकल्टी नियुक्त नहीं किया जाएगा.
- काउंसलिंग सिस्टम के बगैर किसी कोचिंग को रजिस्ट्रेशन नहीं दिया जाएगा.
- कोचिंग सेंटर को अपनी वेबसाइट पर फैकल्टी की योग्यता, कोर्स पूरा होने की अवधि, हॉस्टल सुविधाओं और फीस की पूरी जानकारी देनी होगी.
- कोचिंग को बच्चों को होने वाले मेंटल स्ट्रेस पर ध्यान देना होगा और क्लासेज में उनपर अच्छे परफॉर्मेंस का प्रेशर नहीं बनाया जाएगा.
- कोचिंग को इमरजेंसी या स्ट्रेसफुल सिचुएशन से छात्रों को मदद देने के लिए एक सिस्टम बनाना होगा.
- एक अधिकारी यह सुनिश्चित करेगा कि कोचिंग सेंटर में साइकोलॉजिकल काउंसलिंग का चैनल मौजूद हो.
- साइकोलॉजिस्ट, काउंसलर के नाम और उनके वर्किंग टाइम की जानकारी भी सभी छात्रों और अभिभावकों को दी जानी चाहिए.
- ट्यूटर भी स्टूडेंट्स को गाइडेंस देने के लिए मेंटल हेल्थ के टॉपिक्स में ट्रेनिंग ले सकते हैं.
- अलग-अलग कोर्सेज के लिए ट्यूशन फीस भी फिक्स होनी चाहिए और फीस की रसीद भी उपलब्ध कराई जानी चाहिए.
- अगर छात्र ने कोर्स के लिए पूरी फीस दी है और तय अवधि के बीच में कोर्स छोड़ रहा है, तो छात्र 10 दिनों के भीतर बची हुई फीस वापस की जानी चाहिए.
- अगर छात्र कोचिंग सेंटर के हॉस्टल में रह रहा था तो हॉस्टल फीस और मेस फीस भी वापस की जानी चाहिए.
- किसी भी परिस्थिति में, कोर्स के बीच में कोर्स की फीस बढ़ाई नहीं जाएगी.
- गाइडलाइंस फॉलो न करने पर कोचिंग सेंटर्स पर 1 लाख तक का जुर्माना लगाया जाएगा या ज्यादा फीस वसूलने पर कोचिंग का रजिस्ट्रेशन भी रद्द कर दिया जाएगा.
इन गाइडलाइंस की मदद से कोचिंग सेंटर्स के काम करने का लीगल फ्रेमवर्क को तय किया जाएगा. शिक्षा विभाग अब कोचिंग इंस्टिट्यूट्स के छात्रों के लिए को-करिकुलम एक्टिविटीज, करियर गाइडेंस और साइकोलॉजिकल गाइडेंस देने के लिए कोचिंग्स को रेगुलेट करेगा. वहीं, सरकार ने दिशानिर्देश लागू होने के 3 महीने के भीतर नए और मौजूदा कोचिंग सेंटर्स के रजिस्ट्रेशन का प्रस्ताव दिया है. इसके अलावा, राज्य सरकार की यह जिम्मेदारी होगी की सभी कोचिंग सेंटर्स जारी गाइडलाइंस का पालन करें.