Kanwar Lal Meena: राजस्थान के बर्खास्त भाजपा विधायक कंवरलाल मीणा से जुड़ी दया याचिका मामले में नया मोड़ आया है. सूत्रों के मुताबिक राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने इस याचिका को लेकर राज्य सरकार को पत्र लिखा है और निर्णय के लिए स्पष्टीकरण मांगा है. जानकारी के अनुसार यह याचिका हरिभाऊ बागड़े को सजायाफ्ता कैदी की सजा माफ करने के लिए भेजी गई थी. कंवरलाल मीणा की ओर से यह दया याचिका झालावाड़ के पुलिस अधीक्षक कार्यालय के माध्यम से भेजी गई थी.
इसी कार्यालय से जारी एक पत्र में इसका खुलासा हुआ है. अब राज्य सरकार इस याचिका पर मंथन कर रही है और आगे की प्रक्रिया तय कर रही है. कंवरलाल मीणा को एक आपराधिक मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद विधायक पद से अयोग्य घोषित किया गया था. अब उनकी ओर से सजायाफ्ता व्यक्ति के लिए दया याचिका की सिफारिश को लेकर राजनीतिक गलियारों में बहस तेज हो गई है.
विपक्ष सरकार को इस मुद्दे पर घेर रहा है
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और वरिष्ठ कांग्रेस नेता टीकाराम जूली ने इस मुद्दे पर भाजपा और राज्य सरकार को घेरा है.
गहलोत ने सदस्यता रद्द करने में हुई देरी को लेकर भाजपा पर सीधा हमला बोला. उन्होंने पूछा कि जब मीणा को दोषी ठहराया गया था तो तत्काल उनकी सदस्यता समाप्त क्यों नहीं की गई. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और आरपी एक्ट के प्रावधान स्पष्ट हैं सजा मिलते ही सदस्यता स्वतः समाप्त होनी चाहिए. लेकिन यह निर्णय 23 दिन बाद लिया गया. गहलोत ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य सरकार भाजपा और आरएसएस के दबाव में कार्य कर रही है, न कि अपने संवैधानिक दायित्वों के अनुसार.
जूली बोले- लोकतंत्र के नाम पर ढोंग
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने भाजपा पर लोकतंत्र के नाम पर ढोंग रचने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि यह याचिका भाजपा का असली चेहरा उजागर करती है. क्या आम आदमी को भी ऐसी माफी प्रक्रिया मिलती है या यह सुविधा सिर्फ भाजपा नेताओं के लिए आरक्षित है. भाजपा पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा कि एक सजायाफ्ता व्यक्ति के लिए माफी का रास्ता बनाना संविधान और न्याय के खिलाफ है. फिलहाल राज्य सरकार की सिफारिश और राज्यपाल के निर्णय का इंतजार है लेकिन मामला राजनीतिक गंभीर बहस का विषय बन गया है.
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