Rajasthan: अस्‍पताल के गेट पर मह‍िला की हुई ड‍िलीवरी, परिजन ने काटा नाल; मेड‍िकल अफसर बोले-जानकारी नहीं 

Rajasthan: प्रसूता पीठ पीएचसी के गेट पर खून से लथपथ तड़पती रही. पर‍िजन का आरोप है क‍ि नर्स‍िंगकर्मी देखते रहे. दो नर्स‍िंग स्‍टाफ सीमलवाड़ा अस्‍पताल रेफर कर द‍िया. 

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Rajasthan: चौरासी के पीठ पीएचसी में सोमवार (2 द‍िसंबर) को गर्भवती महिला ने बच्‍चे को जन्‍म द‍िया. पर‍िजन का कहना है क‍ि उन्होंने ही बच्चे का नाल भी काटा. मह‍िला पीएचसी के पोर्च में तड़पती रही. आरोप है क‍ि स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों ने ध्‍यान तक नहीं द‍िया. पीएचसी में मेडिकल अफसर डॉ. जयसिंह चौधरी ने जानकारी से इनकार किया है. इसके बाद मंगलवार (3 द‍िसंबर) को स्थानीय लोगों ने अस्पताल प्रशासन के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया. कार्रवाई की मांग की.  डूंगरपुर सीएमएचओ डॉ अलंकार गुप्ता भी पीठ पहुंचे और ग्रामीणों से समझाया. इसके बाद पीठ पीएचसी के डॉक्टर जय सिंह चौधरी को एपीओ कर दिया है. 

कॉल करने के बाद भी नहीं पहुंची एंबुलेंस 

सुरा पत्नी महेश डामोर चौरासी विधानसभा के पीठ क्षेत्र के नवाघरा भचडिया गांव की रहने वाली है. उसे सोमवार सुबह लेबर पेन होने लगा. पर‍िजन का कहना है क‍ि उन्होंने एंबुलेंस 108 पर कॉल किया. लेकिन, एक घंटे बाद भी एंबुलेंस नहीं पहुंची.  महिला के ससुर और उसकी बड़ी भाभी प्राइवेट गाड़ी से पीठ पीएचसी लेकर पहुंचे. उस समय अस्पताल परिसर में दो नर्सिंग स्टाफ मौजूद थे.

पर‍िजन का आरोप स्‍वास्‍थ्‍य कर्मी ने नहीं क‍िय इलाज 

उन्होंने डिलीवरी केस देखते ही सीमलवाड़ा अस्पताल के लिए रेफर कर दिया. दोनों नर्सिंगकर्मियों ने लेबर पेन से पीड़ित महिला के दर्द को समझने की कोशिश भी नहीं की. दर्द से पीड़ित महिला ने अस्पताल के पोर्च की जमीन पर लेट गई. परिजन उसकी सुध लेते रहे. और पोर्च में ही डिलेवरी हो गई. उसके चिल्लाने की आवाज पर भी स्वास्थ्यकर्मी देखते रहे. खून से लथपथ महिला तड़पती रही. डिलेवरी के बाद बच्चे ही नाल को भी परिजन ने ही काटा. लेकिन, नर्सिंगकर्मी नहीं आए.  

दर्द से कराहती रही मह‍िला, फि‍र भी नहीं पसीजा द‍िल  

महिला के लेबर पेन ज्यादा होने के कारण अस्पताल परिसर के बाहर ही लेट गई थी. उस समय दोनों स्वास्थ्यकर्मी ड्यूटी पर थे. आरोप है क‍ि उन्होंने सिर्फ रेफर करने की औपचारिता निभा दी. महिला के पोर्च में डिलेवरी होने पर करीब आधे घंटे तक दर्द से चिल्लाती रही. फिर भी दोनों नर्सिंगकर्मी उसके पास भी नहीं आए. परिजन ने साधारण ब्लेड से नाल काटी. उस तरफ भी ध्यान नहीं दिया. करीब आधे घंटे तक जच्चा बच्चा ठंड के मौसम में फर्श पर पड़े रहे. 

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डॉक्टर बोले-मुझे पता ही नहीं

पीएचसी में मेडिकल अफसर डॉ. जयसिंह चौधरी ने कहा, "मैं क्वार्टर में बनाए गए अस्पताल में ही मौजूद था. मेरे आने के बाद किसी महिला की डिलीवरी हुई ही नहीं. अगर कोई डिलेवरी हुई हो तो इसकी मुझे कोई जानकारी नहीं है."  सीएमएचओ डॉ अलंकार गुप्ता ने बताया, "ऐसी जानकारी आई है. महिला की डिलेवरी कहां हुई और किस स्तर पर लापरवाही बरती गई, इसकी जांच मैं स्वयं कर रहा हूं. जांच के बाद ही स्थित साफ हो पाएगी."

 2 डॉक्टर और 13 का स्टाफ फ‍िर भी इलाज नहीं मिलता

पीठ पीएचसी का भवन जर्जरहाल हो चुका है. पीडब्ल्यूडी ने पीएचसी भवन को नकारा घोषित कर दिया है. इसके बाद से पीएचसी को परिसर में ही बने क्वाटर्स में शिफ्ट कर दिया गया है. अस्पताल में 2 डॉक्टर और 13 लोगों का स्टाफ है. इसके बावजूद एक गर्भवती को इलाज नहीं मिलना सबसे बड़ी लापरवाही को दिखाता है.  

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