World Hindi Day: हिन्दी एक भाषा ही नहीं भारतीय संस्कृति की एक विशेष पहचान है. यह हमारे कई पड़ोसी देशों में भी बोली जाती है. भले ही इंग्लिश का चलन बढ़ गया हो लेकिन आज भी इसका महत्व तेजी से पूरी दुनिया में बढ़ रहा है. दुनिया के कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में हिन्दी की पढ़ाई करवाई जाती है. पंडित गोविंद बल्लभ पंत ने कहा था कि 'हिंदी का प्रचार और विकास कोई रोक नहीं सकता' यह आज के डिजिटल युग में सटीक साबित हो रहा है. आज के जमाने में भी सोशल मीडिया पर हिन्दी कंटेंट को यूजर सबसे ज्यादा पसंद करते है.
एक छोटे से इलाके से लेकर संयुक्त राष्ट्र महासभा तक हिंदी का बोलबाला है. दुनियाभर में हर साल 10 जनवरी को विश्व हिन्दी दिवस मनाया जाता है, इसका उदेश्य क्या है और इसकी शुरुआत कैसे हुई इसके बारे में हम आपको विस्तार से बताएंगे.
2006 से लगातार मनाया जा रहा विश्व हिन्दी दिवस
10 जनवरी हिन्दी के लिए बेहद खास दिन है. अगर हम थोड़ा पीछे मुड़कर देखें तो 10 जनवरी 1949 को हिन्दी को भारत की राजभाषा के रूप में अपनाया गया था. उसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पहला हिन्दी सम्मेलन 1975 में आयोजित करवाया, जिसमें 30 देशों के 122 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 10 जनवरी 2006 को पहली बार विश्व हिन्दी दिवस मनाया, जिसके बाद से यह परंपरा निरंतर चली आ रही है. इसका उद्देश्य पूरी दुनिया में हिन्दी भाषा का प्रसार करना है. साथ ही विदेश में रहने वाले लोगों को भी अपनी भाषा के प्रति लगाव बना रहे.
'एकता और सांस्कृतिक गौरव की वैश्विक आवाज'
पूरी दुनिया में सबसे अधिक बोली जाने वाले भाषाओं में से एक हिन्दी के साहित्य और फिल्मों को लोग काफी पसंद करते हैं. 2025 में मनाए जाने वाले विश्व हिंदी दिवस का विषय 'एकता और सांस्कृतिक गौरव की वैश्विक आवाज' रखा गया है. जिसका उद्देश्य भाषाई और अंतर्राष्ट्रीय आदान-प्रदान के लिए हिंदी भाषा के उपयोग को बढ़ावा देना है.
महात्मा गांधी ने हिन्दी को बताया 'आत्मा'
हिन्दी में एक से एक कवि, लेखक, साहित्यकार हुए, जिन्होंने अपने कृतियों के माध्यम से देश दुनिया को एक महान संदेश दिया. महात्मा गांधी ने कहा था कि 'हिंदी भारतीय संस्कृति की आत्मा है.' हिन्दी एक महान भाषा के साथ-साथ एक महान देश की सांस्कृतिक पहचान है. इसे संरक्षित करना और प्रसारित करना देश के नई पीढ़ियों की जिम्मेदारी है.