छोटी काशी के नाम से मशहूर है राजस्थान का बूंदी, पर्यटन दिवस पर जुटे लोग, जानिए कहानी

हर साल 27 सितंबर को विश्‍व पर्यटन दिवस (World Tourism Day) मनाया जाता है. साथ ही हर साल विश्व पर्यटन दिवस की एक थीम भी रखी जाती है और इस बार की थीम "पर्यटन और हरित निवेश" है.

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कलाकारों ने कच्छी घोड़ी नृत्य को प्रस्तुत किया

World Tourism Day 2023: राजस्थान का बूंदी शहर को ''छोटी काशी'' के नाम से भी मशहूर है. आज 27 सितंबर को विश्‍व पर्यटन दिवस के दिन शहर के पर्यटन स्थलों पर में पर्यटन दिवस की खूब धूम रही है. यहां सुबह से ही पर्यटन स्थलों पर कई कार्यक्रम आयोजित हुए. पर्यटन विभाग द्वारा सभी पर्यटन स्थलों को आज नि:शुल्क प्रवेश रखा गया है. जिन्हे देखने छात्र -छात्राओं की भीड़ उमड़ी है. इस दौरान सुख महल में अलगोजा वादन भी हुआ.

जिसमे जिले से आए कलाकारों ने कच्छी घोड़ी नृत्य को प्रस्तुत किया. नृत्य में देशी पावणे भी जमकर थिरके और सभी ने  राजस्थानी कला का आनंद लिया. पर्यटन दिवस के इस अवसर पर पर्यटन विभाग द्वारा प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया.

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बूंदी किले की स्थापना 1242 में, हुई थी.

जिसमें राजस्थान और बूंदी के बारे में सवाल पूछे गए और विजेताओं को मौके पर ही अतिथियों द्वारा पुरस्कार का वितरण किया गया. कार्यक्रम के बाद यहां सभी को म्यूजियम का भम्रण करवाया गया. जिसमे राजाओं के ज़माने के हथियार, बन्दूक, रोक पेंटिंग, और सालों पुरानी मूर्तियों से भी छात्रों का परिचय करवाया गया.

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सभी पर्यटक स्थलों का भम्रण करवाया गया

पर्यटन विभाग द्वारा सभी छात्राओं को एक-एक कर सभी पर्यटक स्थलों का भम्रण करवाया गया. भारतीय पुरातत्व विभाग की ओर से रानी जी की बावड़ी, 84 खभों की छातरी, बूंदी गढ़ पैलेस, ऐतिहासिक चित्र शैली सहित विभिन्न स्मारक में प्रवेश निशुल्क रहा. इस दौरान एनडीटीवी राजस्थान की टीम ने बूंदी राजकीय संग्रहालय का जायजा लिया. यहां राजस्थान मेला प्राधिकरण के सदस्य भरत शर्मा, राज परिवार के पूर्व सदस्य वंश वर्धन सिंह, बूंदी ब्रश संस्थान के नंद सिंह से बातचीत की जहां उन्होंने बूंदी की विरासत के बारे में बताया.

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राज परिवार के सदस्य ने दी यह जानकारी

इस दौरान पूर्व राज परिवार के सदस्य वंश वर्धन सिंह ने बताया कि  राजस्थान में कला का अटूट अम्बार है. विश्व पर्यटन दिवस को लेकर हमने एक नई पहल की है इस बार हमने नारी शक्ति को साथ में लिया है. उन्हें संस्कृति से रूबरू करवाया है. ताकि वह जहां भी जाये बूंदी की संस्कृति के बारे में जाने दूसरे को भी बताएं. राजस्थान के सभी स्मारकों और संग्रहालयों पर पर्यटकों को फ्री में प्रवेश दिया जा रहा है.

सांस्कृतिक विरासत से रूबरू कराने की कोशिश

पर्यटन अधिकारी प्रेम शंकर ने बताया कि विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर प्रदेशभर के सभी स्मारक और संग्रहालय में पर्यटकों को नि:शुल्क प्रवेश दिया जा रहा है. इसके साथ ही रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन कर उन्हें राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत से रूबरू कराने की कोशिश की गई है. ताकि प्रदेश के पर्यटन को बढ़ावा मिल सके. यहां कच्छी घोड़ी नृत्य का आयोजन किया गया. 

785 साल पुराने बूंदी शहर में पहाड़ी पर बना है किला

बूंदी कई शानदार महलों, राजसी किलों के लिए जाना जाता है. यह क्षेत्र कई वीरता की लड़ाइयों और पौराणिक इतिहास का गवाह बना है. बूंदी की सबसे खास बात यह है कि पर्यटन स्थल के साथ बावड़ियां, झीलों और झरनों जैसे प्राकृतिक आकर्षणों से सजा हुआ है. 785 साल पुराने इस बूंदी शहर में पहाड़ी पर फोर्ट भी बना हुआ है.

आज सभी स्मारक और संग्रहालय में पर्यटकों को नि:शुल्क प्रवेश दिया गया.

हर साल हजारों की तादाद में आते हैं देश-विदेश से पर्यटक

जिसमें विश्व प्रसिद्ध चित्र शैली सहित कई देखने लायक चीजें हैं. जिन्हें देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक हर साल हजारों की तादाद में आते हैं. शहर के बाल चाँद पाडा स्थित तारागढ़ फोर्ट 1354 में बनाया गया था. बूंदी की स्थापना 1242 ई में बूंदा मीणा, राव देवा द्वारा की गई थी.

इस दौरान इस विशाल किले का निर्माण भी किया गया था. अरावली की पहाड़ी पर स्थित यह किला बूंदी शहर के मनोरम और मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करता है. जो भी पर्यटक इस किले को देखता है तो इस विशेषताओं की सराहना करता ही रहता है.

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