Year Ender 2024: थोड़ा ग़म है सबका हिस्सा... कभी रुलाया तो कभी हंसाया; राजस्थान के लिए ऐसा रहा साल 2024 

New Year 2025: साल के दौरान राज्य में कई गंभीर घटनाएं हुईं, जो राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बनीं. जयपुर-अजमेर राष्ट्रीय राजमार्ग पर एलपीजी टैंकर और ट्रक की टक्कर में 20 लोगों की मौत और 39 वाहनों के जलने जैसी त्रासदी ने सभी को झकझोर दिया

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Rajasthan Incidents In Year 2024: साल 2024 को अलविदा कहने का वक्त आन पहुंचा है. आज साल का आखिरी दिन है. ऐसे में जब पीछे मुड़कर देखते हैं तो राजस्थान के लिए यह साल मिला जुला ही रहा. प्रदेश में राइजिंग राजस्थान के ज़रिये लाखों का निवेश ने चेहरे पर मुस्कान लाइ तो दिसंबर में हुए टैंकर हादसे ने सब की आंखें नम कर दीं. प्रदेश में बोरवेल में गिरने से कई मौते हुईं तो बोरवील में गिरी नीरु को बचाया भी गया. राजनीतिक लिहाज से भी यह साल 'ना जीत, ना हार' वाला रहा. सबको दुःख हुआ सबको ख़ुशी मिली. 

कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों में हार का सामना करने के बाद लोकसभा चुनावों में वापसी की और 25 में से 8 सीटें जीतकर अंदरूनी कलह की चर्चाओं पर विराम लगाया. वहीं, भाजपा ने 14 सीटों पर सिमट गई. भजनलाल सरकार ने उपचुनावों में बेहतर प्रदर्शन किया और 7 में से 5 सीटें जीतीं. सरकार ने पेपर लीक मामलों में सख्त कदम उठाकर जनता में विश्वास बहाल करने की कोशिश की. इसके अलावा, साल के अंत में मंत्रिमंडल की बैठक में पिछली कांग्रेस सरकार द्वारा बनाए गए 9 जिले और 3 संभागों को खत्म करने का फैसला लिया गया.

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अब राज्य में केवल 41 जिले और 7 संभाग रह गए हैं. इसी दौरान, राइजिंग राजस्थान समिट के माध्यम से राज्य को 35 लाख करोड़ रुपये के निवेश का वादा मिला, जिससे मुख्यमंत्री ने अपनी स्थिति और मजबूत की.

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जब टैंकर हादसे ने नम कर दीं आंखें 

साल के दौरान राज्य में कई गंभीर घटनाएं हुईं, जो राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बनीं. जयपुर-अजमेर राष्ट्रीय राजमार्ग पर एलपीजी टैंकर और ट्रक की टक्कर में 20 लोगों की मौत और 39 वाहनों के जलने जैसी त्रासदी ने सभी को झकझोर दिया. दौसा में बोरवेल में गिरे एक बच्चे की मौत और मुख्यमंत्री के काफिले में दुर्घटना के चलते दो लोगों की मौत भी दुखदाई घटनाएं रहीं.

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तेंदुए ने खूब मचाया आतंक 

अक्टूबर में उदयपुर के 20 गांवों में तेंदुए के हमलों ने 10 लोगों की जान ली, जिससे ग्रामीणों में दहशत फैल गई. वन विभाग ने अभियान चलाकर स्थिति पर काबू पाया, लेकिन ये घटनाएं राज्य की वन्यजीव प्रबंधन नीति पर सवाल उठाती हैं.

बोरवेल हादसे : आर्यन को खो दिया, लेकिन नीरू बच गई 

वहीं खुले बोरवेल की दौसा में बोरवेल में गिरे 5 साल के आर्यन को बचाया नहीं जा सका, लेकिन 3 साल की नीरू को बचाव राहत कर्मियों ने बाहर निकाल लिया गया. दौसा के बांदीकुई इलाके के जोधपुरिया गांव में 2 साल की एक बच्ची, नीरू, अचानक बोरवेल में गिर गई थी. बच्ची की मां ने बताया कि नीरू बच्चों के साथ खेल रही थी, जब शाम 4 बजे वह गड्ढे में जा गिरी. यह बोरवेल 600 फीट गहरा था.

बच्ची को निकालने के लिए NDRF और SDRF की टीमों ने बचाव अभियान चलाया. इसके तहत बोरवेल के पास 35 फीट गहरा गड्ढा खोदा गया था. इस काम में एक एलएनटी, चार जेसीबी और दो ट्रैक्टर की मदद ली गई. बचाव दल ने पाइपों का 20 फीट लंबा टनल बनाया. आखिरकार, बचावकर्मियों ने लगातार 18 घंटे तक अभियान चलाने के बाद नीरू को सुरक्षित बाहर निकालने में सफलता पाई.

राजनीति : बेनीवाल की हार BAP की उठान 

राजनीतिक मोर्चे पर, भाजपा और कांग्रेस दोनों ने अंदरूनी चुनौतियों का सामना किया. भाजपा में कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने पेपर लीक और उपचुनावों में हार के लिए पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाए. पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी को बदलकर मदन राठौर को नियुक्त किया, जिनके लिए विधानसभा उपचुनावों को अग्निपरीक्षा माना गया. दूसरी ओर, कांग्रेस ने उपचुनावों में भाजपा के खिलाफ लड़ाई में बेहतर प्रदर्शन किया. हालांकि, कांग्रेस ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के साथ गठबंधन नहीं किया, जिसका असर बेनीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी पर पड़ा.

आरएलपी को विधानसभा उपचुनावों में करारी हार का सामना करना पड़ा, और पार्टी का विधानसभा में कोई प्रतिनिधि नहीं बचा. वहीं, आदिवासी बहुल वागड़ क्षेत्र में भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) ने चार विधायकों और एक सांसद के साथ अपनी ताकत दिखाई. चोरासी सीट पर जीत बरकरार रखते हुए बीएपी क्षेत्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगी. इन घटनाओं ने राज्य की राजनीति में नई ताकतों का उदय दिखाया.