Patients are sick due to wrong treatment: बांसवाड़ा जिले में कुशलगढ़ थाना क्षेत्र के रिछवानी गांव में झोलाछाप डॉक्टर की दवाई से युवक की हालत गंभीर हो गई. जानकारी के मुताबिक, रिछवानी निवासी मनीष पुत्र निखिल कटारा को सर्दी-जुकाम और बुखार था. परिवारवालों ने पास के क्लिनिक पर उसे इलाज के लिए भेजा, जहां बंगाली झोलाछाप डॉक्टर ने उसे दवाई व इंजेक्शन दिया. लेकिन कुछ देर बाद मनीष की तबियत बिगड़ने लगी. हालत गंभीर देख क्लिनिक संचालक खुद युवक को लेकर कुशलगढ़ अस्पताल पहुंचा.
परिजनों ने लगाएं आरोप, जांच की मांग
अस्पताल में डॉक्टरों ने प्राथमिक इलाज के बाद मनीष की हालत नाजुक बताई और देर रात करीब 11 बजे उसे बांसवाड़ा के महात्मा गांधी अस्पताल (MG Hospital) रेफर कर दिया. एमजी अस्पताल में फिलहाल युवक का इलाज जारी है. परिजन बता रहे हैं कि दवा और इंजेक्शन देने के बाद ही तबियत बिगड़ी, उन्हें नहीं मालूम डॉक्टर ने क्या दवाइयां दीं. परिवार ने आरोप लगाया है कि झोलाछाप डॉक्टर के इलाज की वजह से ये हादसा हुआ, उन्होंने प्रशासन से लापरवाही की जांच की मांग की है.
स्वास्थ्य विभाग की मॉनिटरिंग पर उठ रहे सवाल
ग्रामीण इलाकों में बिना डिग्री-प्रमाणित डॉक्टरों के इलाज का खतरा बार-बार सामने आता है. इस घटना ने फिर प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के ऊपर सवाल खड़े कर दिए हैं कि ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों की निगरानी कितनी कारगर है. परिजन अब प्रशासन से जांच व कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.
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