अनुष अग्रवाला ने गुरुवार को यहां एशियाई खेलों की घुड़सवारी प्रतियोगिता में भारत को पहला व्यक्तिगत ड्रेसेज पदक दिलाया. ‘एट्रो' पर घुड़सवारी कर रहे अग्रवाला ने 73.030 अंक जुटाये जिससे वह तीसरे स्थान पर रहे और इस तरह उन्होंने एशियाड में अपना दूसरा पदक हासिल किया.
भारत ने 1951 से घुड़सवारी स्पर्धा में 13 एशियाड पदक जीते हैं जिसमें मंगलवार को यहां जीता गया ड्रेसेज टीम स्वर्ण पदक भी शामिल हैं. लेकिन इससे पहले भारत ने ड्रेसेज में कभी भी व्यक्तिगत पदक नहीं जीता था. मलेशिया के बिन मोहम्मद फाथिल मोहम्मद काबिल अम्बाब ने 75.780 अंक के कुल स्कोर से स्वर्ण पदक और हांगकांग के जैकलीन विंग यिंग सियू ने 73.450 अंक से रजत पदक जीता.
इस स्पर्धा में शामिल अन्य भारतीय हृदय विपुल छेदा पदक स्पर्धा तक नहीं पहुंच सके क्योंकि उनके घोड़े चेम्क्सप्रो एमराल्ड के बायें पैर में खून निकलता दिखा. बुधवार को हृदय ने क्वालीफाइंग में पहला स्थान हासिल किया था.
टीम के मैनेजर और डॉक्टर मोहम्मद आदिल याकूब ने पीटीआई से कहा,"विपुल के घोड़े के आगे वाले बायें पैर में खरोंच लगी थी और इसमें थोड़ा खून निकल रहा था. इसलिये नियमों के अनुसार वह बाहर हो गया। यह दुर्भाग्यपूर्ण था, हमें उससे भी पदक की उम्मीद थी."
मंगलवार को अग्रवाला ने छेदा, दिव्यकृति सिंह और सुदिप्ती हाजेला के साथ मिलकर भारत को 41 साल के बाद ड्रेसेज टीम स्पर्धा का स्वर्ण पदक दिलाया था.
अग्रवाला ने ऐतिहासिक कांस्य पदक जीतने के बाद कहा,"मैं जानता था कि यह अच्छा रहेगा. मेरी अपने घोड़े से अच्छा तालमेल है. सुबह में जब मैं उठा तो मैंने अपनी मां को संदेश भेजा कि अच्छा होगा और हमें आज पदक मिलेगा। मेरा घोड़ा शानदार रहा. अभी तक कि यात्रा लंबी और मुश्किल भरी रही है. लेकिन आज इस पदक को हाथ में रखकर लग रहा कि मेहनत सफल रही। मैं खुश हूं."
छेदा के बाहर होने पर अग्रवाला ने कहा,"यह दुर्भाग्यपूर्ण रहा, वह अच्छा प्रतिस्पर्धी है. लेकिन यह खेल का हिस्सा है. हम बढ़ते हैं और गिरते भी हैं। वह अब भी एशियाड स्वर्ण पदक चैम्पियन है. बस आज वह दुर्भाग्यशाली रहा."
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