Arundhati Chaudhary: राजस्थान की पहली महिला बॉक्सर, बास्केटबॉल से की थी शुरूआत

राजस्थान की पहली महिला बॉक्सर ने अपने खेल के शुरुआती दिनों में बॉक्सिंग की जगह बास्केटबॉल को चुना था. बॉक्सर ने पिता ने उन्हें स्पोर्ट्स छोड़ आईआईटी करने की सलाह दी थी.

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अरुंधति ने खेलो इंडिया गेम्स में लगातार तीन साल तक स्वर्ण पदक जीता था.

राजस्थान के कोटा की रहने वाली अरुंधति चौधरी जब चीन में होने वाले एशियन गेम्स में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी तो उनकी नजरें ओलंपिक का टिकट कटाने पर होगी. अरुंधति चौधरी अगर 66 किलो भार वर्ग में गोल्ड मेडल जीत जाती हैं तो ओलंपिक खेलने का उनका रास्ता साफ हो जाएगा. वर्ल्ड बॉक्सिंग में गोल्ड मेडल जीत चुकीं अरुंधति चौधरी ऐसे में इस मौके को हाथ से नहीं जाने देना चाहेंगी क्योंकि एशियन गेम्स के लिए क्वालीफाई करने के लिए उन्हें संघर्ष करना पड़ा था. हालांकि, जितना संघर्ष उन्होंने एशियन गेम्स के लिए क्वालीफाई करने के लिए किया है, उससे कहीं अधिक संघर्ष उन्हें बॉक्सिंग में अपना करियर बनाने को लेकर करना पड़ा. अरुंधति चौधरी ने पिता नहीं चाहते थे कि उनकी बेटी स्पोर्ट्स में अपना करियर बनाए. अरुंधति चौधरी के पिता की इच्छा थी कि उनकी बेटी आईआईटी करें. लेकिन बास्केटबॉल से अपना स्पोर्ट्स करियर शुरू करने वालीं अरुंधति चौधरी को कुछ और ही मंजूर था.

पिता ने कहा था आईआईटी करना है

ओलंपिक चैनल से बात करते हुए अरुंधति चौधरी ने कहा था कि कोटा से आने के चलते उनके पिता चाहते थे कि उनकी बेटी आईआईटी करें. अरुंधति पढ़ाई में अच्छी थीं और मेथ्स पर उनकी पकड़ काफी मजबूत थी. ऐसे में उनके लिए दुविधा की घड़ी थी क्योंकि उनके पिता चाहते थे कि अरुंधति स्पोर्ट्स में अपना करियर आगे ना बढ़ाए.

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अरुंधति ने स्पोर्ट्स को अलविदा कहने का मन बना लिया था. हालांकि, एक दिन वो रोने लगीं और अपनी मां से इस बारे में बात की. जिसके बाद अरुंधति की मां ने उनके पिता को इसके लिए राजी किया कि अरुंधति पढ़ाई से साथ-साथ अपने खेल के सपने को आगे बढ़ाए. लेकिन उनके पिता ने अरुंधति के सामने शर्त रखी कि उन्हें कोई व्यक्तिगत खेल में चुनना होगा. इसके बाद लड़ाई करना पंसद करने वाली अरुंधति ने बॉक्सिंग को चुना, क्योंकि इसमें वो अपने विरोधी को पंच कर सकती थी.

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अरुंधति के लिए परेशानी इसके बाद भी बढ़ती रही, क्योंकि उन्हें कोटा में बॉक्सिंग का कोई कोच नहीं मिला. काफी प्रयास के बाद उनकी मुलाकात वुशु कोच अशोक गौतम से हुई. लेकिन फिर भी, उसने उनसे कोचिंग लेनी शुरू कि.

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अरुंधति सुबह 4:30 बजे अपना अभ्यास शुरू करती थीं. फिर स्कूल से वापस आने के बाद मैं फिर से अभ्यास के लिए जाती थीं. अरुंधति जब 10वीं कक्षा में थी तो उनका चयन राष्ट्रीय शिविर के लिए हुआ था. बोर्ड परीक्षा से पहले, उसने सिर्फ 12 दिन पढ़ाई की और फिर भी फर्स्ट डिविजन से पास हुई थी और उन्होंने अपने पहले जूनियर नेशनल में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता और उन्हें सर्वश्रेष्ठ मुक्केबाज के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया.

अरुंधति ने खेलो इंडिया गेम्स में लगातार तीन साल तक स्वर्ण पदक जीता और घरेलू सर्किट में अपना नाम बनाया. इसके बाद उन्होंने यूक्रेन में खेले अपने पहले अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भी स्वर्ण पदक जीता. उन्होंने 2019 में एएसबीसी यूथ एशियन पुरुष और महिला चैंपियनशिप मंगोलिया में कांस्य पदक जीता. इसके बाद उन्होंने एआईबीए वर्ल्ड यूथ बॉक्सिंग चैंपियनशिप पोलैंड में स्वर्ण पदक अपने नाम किया था.