Rajasthan News: हिंदुस्तान में सनातन धर्म में चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी (Sheetala Ashtami) का त्योहार मनाया जाता है. यह तिथि मां शीतला को समर्पित है. इस दिन मां शीतला की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और बासी चीजों का भोग लगाया जाता है. नागौर जिले में भी शीतला अष्टमी व्रत का विशेष महत्व है. क्योंकि इस धार्मिक पर्व पर वैसे तो सभी जातियां भाग लेती हैं, लेकिन माली समुदाय के लोग इसमें विशेष ज्यादा रुचि रखते हैं.
यहां पर देश-विदेश में रहने वाले परिवार भी इस शीतलाष्टमी पर्व पर नागौर में आकर माता की पूजा कर मेले में धार्मिक प्रोग्राम में सरिक होते हैं. पूरे दिन माता के मंदिर के आसपास में मेला भरा हुआ होता है, जिसमें बच्चे औरतें पुरुष सभी माता को प्रसाद चडाकर पूजा कर इस धार्मिक मेले का आनंद लेते हैं. पने परिवार के सुख एवं समृद्धि एवं रोगों से दूर रखने के लिए माता से प्रार्थना भी करते हैं.
इस बार शीतला अष्टमी 02 अप्रैल को है. इस दिन मां शीतला को बासी चीजों का भोग लगाया जाता है. हर वर्ष चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी का पर्व मनाया जाता है. इसे बसौड़ा अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. शास्त्रों के अनुसार, होली के आठवें दिन शीतला अष्टमी व्रत किया जाता है. इस अवसर पर मां शीतला की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और बासी भोजन का भोग लगाया जाता है. मान्यता है कि ऐसा करने से साधक को रोग से मुक्ति मिलती है और दीर्घ आयु का वरदान प्राप्त होता है.
शीतला अष्टमी 2024 शुभ मुहूर्त
चैत्र माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ 01 अप्रैल को रात 09 बजकर 09 मिनट से होगी और इसके अगले दिन 02 अप्रैल को रात 08 बजकर 08 मिनट और तिथि का समापन होगा. ऐसे में अष्टमी का पर्व 02 अप्रैल को मनाया जाएगा. इन्हीं सब शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए नागौर के जिला कलेक्टर अरुण कुमार पुरोहित ने धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए 01 अप्रैल की जगह संशोधित कर 02 अप्रैल 2024 को अवकाश घोषित किया है.
कौन हैं मां शीतला ?
शास्त्रों के अनुसार, मां शीतला के स्वरूप को कल्याणकारी माना गया है. मां पार्वती का दूसरा स्वरूप मां शीतला हैं. स्कंद पुराण में मां शीतला के स्वरूप और उनकी कथा के बारे में उल्लेख किया गया है. मां शीतला का वाहन गर्दभ है. वह नीम के पत्ते, कलश, सूप और झाड़ू धारण करती हैं. धार्मिक मान्यता है कि सच्चे मन से शीतला माता की पूजा करने से साधक जीवन में सदैव निरोग रहता है. साथ ही परिवार के सभी सदस्य बुखार, नेत्र संबंधी रोग और चेचक की जैसी बीमारियों से भी दूर रहते हैं. शास्त्रों की मानें तो शीतला अष्टमी के दिन मां शीतला की पूजा करने के बाद उन्हें बासी भोजन का भोग लगाया जाता है. इस भोग को सप्तमी तिथि को बनाया जाता है. माता शीतला के भोग के लिए चावल, पुए और मीठी रोटी समेत कई चीजें बनाई जाती है.