Rajasthan: टैक्सी ड्राइवर की बेटी बनी RAS अफसर, पिता ने कर्जा लेकर पढ़ाया; मां बोलीं- 'मेरी बच्ची ने लाज रख ली'

RAS Result 2023: रक्षा शर्मा के घर के हालात अच्छे नहीं हैं. एक ही कमरे में पूरा परिवार एक साथ रहता है. इन्हीं परिस्थितियों में उन्होंने पढ़ाई करते हुए सफलता हासिल की है.

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रामदेवरा: टैक्सी ड्राइवर मदन शर्मा की बेटी रक्षा शर्मा बनीं RAS अधिकारी.
NDTV Reporter

Rajasthan News: कहते हैं, सफलता किसी की मोहताज नहीं होती और जैसलमेर के रामदेवरा (Ramdevra) की रक्षा शर्मा (Raksha Sharma) ने इस बात को सच कर दिखाया है. मुश्किल हालात और सीमित साधनों के बीच पली-बढ़ी, एक टैक्सी ड्राइवर की बेटी ने राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) परीक्षा में 570वीं रैंक हासिल कर अंतिम रूप से चयन पाया है. यह सफलता सिर्फ रक्षा की नहीं, बल्कि उनके पिता मदन शर्मा के संघर्ष, उनकी मां मैना देवी के हौसले और उन सभी माता-पिता के भरोसे की जीत है, जो अपनी बेटियों के लिए बड़े सपने देखते हैं.

जैसे ही रिजल्ट आया, रामदेवरा में रक्षा के घर पर शुभचिंतकों का तांता लग गया. रात देर तक बधाई देने वालों की भीड़ लगी रही. खुशी से भावुक हुईं मां मैना देवी रो पड़ीं और उन्होंने अपनी बेटी की कामयाबी को दूसरे माता-पिता के लिए एक सबक बताया.

कर्जा लेकर पढ़ाया, टैक्सी चलाकर चुका रहे ब्याज

रक्षा शर्मा के पिता मदन शर्मा खुद सिर्फ 8वीं तक पढ़े हैं. वह बचपन से ही टैक्सी चलाकर अपने परिवार का पालन-पोषण करते आए हैं. घर में पर्याप्त सुविधाएं नहीं थीं. रक्षा ने जिस एक कमरे में रहकर पढ़ाई की, उसी में उनका पूरा परिवार भी रहता था, जिससे पढ़ाई करना बहुत मुश्किल काम था. लेकिन, पिता ने अपनी बेटी के सपनों को पूरा करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी. पिता मदन शर्मा ने अपनी बेटी को पढ़ाने के लिए कई लोगों से कर्जा लिया, जिसे वे आज भी ब्याज के साथ चुका रहे हैं.

'अब लगता है कि मेरा सारा संघर्ष सफल हो गया'

NDTV से बात करते हुए पिता मदन शर्मा ने कहा, 'मुझमें ज्यादा पढ़ाई की ताकत नहीं थी, लेकिन मैंने बेटी को पढ़ाने के लिए दिन-रात मेहनत की. कर्जा लिया, ब्याज भी भर रहा हूं, पर मेरी बेटी ने आज मेरी लाज रख ली. अब लगता है कि मेरा सारा संघर्ष सफल हो गया.'

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पिता ने दी पढ़ने की 'आजादी'

रक्षा शर्मा ने अपनी शुरुआती पढ़ाई ग्रामीण क्षेत्र रामदेवरा में ही पूरी की. उन्होंने बताया कि ग्रामीण इलाका होने की वजह से लड़कियों को ज्यादा पढ़ाना-लिखाना और उन्हें अकेले बाहर भेजना एक बहुत मुश्किल काम माना जाता था. रक्षा शर्मा ने बताया, 'मेरे पिता ने मुझे सबसे बड़ी ताकत दी. उन्होंने मुझे प्रेरित किया और पढ़ने के लिए पूरी फ्रीडम दी. मैं जोधपुर और जयपुर गई और वहां तैयारी की. पहले प्रयास में उन्हें सफलता नहीं मिली, लेकिन हार नहीं मानी. मैंने दूसरी बार अपनी सभी कमियों को दूर किया. लगातार 8, 10, और यहां तक कि 12 घंटे तक पढ़ाई की. सामाजिक, धार्मिक या वैवाहिक कार्यक्रमों से भी दूरी बनाए रखी, क्योंकि लक्ष्य सबसे बड़ा था.'

साक्षात्कार में बेबाकी से जवाब, मां हुई भावुक

रक्षा ने बताया कि इंटरव्यू देने के बाद उन्हें पूरा भरोसा था कि उनका चयन हो जाएगा. इंटरव्यू में उनसे गृह जिले जैसलमेर से जुड़े कई तरह के सवाल पूछे गए, जिनका उन्होंने बेबाकी से जवाब दिया था. 570वीं रैंक आने के बाद उन्हें बहुत खुशी है. उनकी मां, मैना देवी, खुशी के मारे रो पड़ीं. उन्होंने कहा, 'मेरी बेटी ने जो करके दिखाया है, वो बड़ी बात है. मैं सभी माता-पिता से अपील करती हूं कि वो अपनी बच्चियों को आगे बढ़ने दें, उन्हें पढ़ाने के लिए आगे भेजें और उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए लगातार प्रोत्साहित करें.'

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एक ही कमरे में रहता है पूरा परिवार

एक ही कमरे में पूरे परिवार के साथ रहकर भी, रक्षा शर्मा ने अपनी मेहनत के दम पर इस असंभव से काम को संभव कर दिखाया. उनके पिता आज भी टैक्सी चला रहे हैं, लेकिन उनकी बेटी अब RAS अधिकारी बन गई है, जिससे पूरे परिवार की तकदीर और तस्वीर बदल गई है. रक्षा ने अपनी सफलता का सारा श्रेय अपने माता-पिता और गुरुजनों को दिया है.

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