सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला- राजस्थान में भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद नहीं बदल सकते नियम

Rajasthan News: पांच जजों की संविधान पीठ के सामने ये सवाल था कि क्या भर्ती प्रक्रिया के बीच में नियमों में बदलाव किया जा सकता है या नहीं. मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया कि भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियमों को बीच में नहीं बदल सकते हैं.

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SC decison on Jobs in Rajasthan: सरकारी नौकरियों के लिए भर्ती प्रक्रिया में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. पांच जजों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया कि सार्वजनिक सेवाओं में भर्ती के लिए उम्मीदवारों के चयन के नियमों को प्रक्रिया के बीच में या प्रक्रिया पूरी होने के बाद नहीं बदला जा सकता है. पारदर्शिता और गैर-भेदभाव सार्वजनिक भर्ती की पहचान होनी चाहिए. यह फैसला साल 2013 में राजस्थान हाईकोर्ट में भर्ती से जुड़ा है. खास बात यह है कि यह फैसला तब आया है, जब भजनलाल सरकार (Bhajanlal Government) 1 लाख भर्तियों का ऐलान कर चुकी है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का यह फैसला निर्णायक साबित हो सकता है. 

साल 2013 में हाईकोर्ट भर्ती से जुड़ा है मामला

इस पीठ के सामने ये सवाल था कि क्या भर्ती प्रक्रिया के बीच में नियमों में बदलाव किया जा सकता है या नहीं. मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया कि भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियमों को बीच में नहीं बदल सकते हैं. दरअसल, 2013 में अनुवादकों के पदों पर भर्ती के दौरान कुछ नियमों में बदलाव किया गया था. जिन उम्मीदवारों ने पहले ही लिखित परीक्षा और मौखिक परीक्षा दे दी थी, उन्हें प्रक्रिया के बीच में ही बताया गया कि केवल वही उम्मीदवार नियुक्ति के लिए योग्य होंगे, जिन्होंने अपनी परीक्षा में कम से कम 75 प्रतिशत अंक हासिल किए होंगे. भर्ती परीक्षा में 75% क्वालीफाइंग नंबर पर ही नियुक्ति करने के नियम के चलते बहुत से अभ्यर्थी नौकरी पाने से वंचित रह गए थे. इसी मामले में 3 अभ्यर्थियों ने इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी. उनका कहना था कि एक बार प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियमों में बदलाव नहीं किया जा सकता.

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नियमित अंतराल पर भर्तियों की समीक्षा के लिए कमेटी भी हो चुकी है गठित

भजनलाल सरकार ने बीते 10 महीनों के दौरान पेपर लीक मामले में जांच में तेजी की बात कही. युवाओं को न्याय दिलाने के साथ ही सरकारी नौकरियों के लिए नियमित भर्ती का भी आश्वासन दिया था. सरकार ने इस साल 1 लाख नौकरियां देने का वादा किया था. इसके लिए बाकयदा मुख्यमंत्री ने भर्तियों की प्रगति की नियमित अंतराल पर समीक्षा के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय कमेटी बनाने के निर्देश दिए. CM ने कहा कि यह कमेटी भर्तियों में आने वाली व्यवहारिक बाधाओं को दूर करने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश देने और नियमित मॉनिटरिंग का कार्य करेगी. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का यह डिसीजन कई मायनों में अहम है. 

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