रविकांत ओझा
लौहनगरी जमशेदपुर से निकला. पठन-पाठन से प्यार था लिहाजा पत्रकारिता से बेहतर पेशा कोई और लगा नहीं. अखबार से शुरु हुआ सफर टीवी से होते हुए डिजिटल माध्यम में जारी है. इस दौरान करीब ढाई दशक गुजर गए पता ही नहीं चला. किसी विषय विशेष में दक्षता तो नहीं है पर अध्ययन के शौक की वजह से हर विषय में दखल जरूर है.