शेयर मार्केट में निवेश कर मोटा पैसा कमाने वालों की संख्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है. लेकिन निवेश का ये जरिया जोखिमभरा भी है. क्योंकि कई बार कंपनियां सेबी और शेयर मार्केट से जानकारी छिपाते हुए कुछ ऐसा खेल कर जाती है, जिससे कंपनी को तो फायदा होता लेकिन निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ता है. ऐसे मामलों में निवेशक अपनी जमापूंजी गंवा देते हैं. सेबी के बनाए सख्त कानून के बाद भी कई कंपनियां निवेशकों को धोखे में रखते हैं. ऐसा ही एक मामला राजस्थान के अलवर जिले से सामने आया है. जहां स्थानीय कोर्ट ने एक ऐसा फैसला सुनाया, जिससे जानकारी छिपाकर निवेशकों के साथ धोखा करने की कोशिश करने वाली कंपनियों की अक्ल ठिकाने आ सकती है.
विकास लाइफ केयर क्यूपिड लिमिटेड से जुड़ा मामला
वास्तव में यह पूरा मामला दो कंपनियों के बीच के डील से जुड़ा है. ये दो कंपनियां है विकास लाइफ केयर और क्यूपिड लिमिटेड. जिसमें कोर्ट ने क्यूपिड के खिलाफ आदेश दिया है और सेबी और कंपनी दोनों को निर्देश भी जारी किए हैं. विकास लाइफ केयर के वकील ने सेबी को क्यूपिड लिमिटेड की ओर से अदालत के आदेश और सेबी के नियमों के उल्लंघन को लेकर ईमेल भेजा है। ईमेल जानकारी दी गई है कि क्यूपिड लिमिटेड की ओर से 30 मार्च के कोर्ट के आदेश की अवमानना और सेबी नियमों का उल्लंघन का प्रयास किया गया है. ईमेल में क्यूपिड लिमिटेड पर आरोप लगाया गया है कि कंपनी ने बड़े पैमाने पर आम जनता के साथ 2 अप्रैल को फ्रॉड करने का काम किया है. क्यूपिड लिमिटेड ने सेबी से एक अहम जानकारी शेयर नहीं की है.
बताया गया कि कंपनी ने सेबी से जानबूझकर छिपाया है कि कोर्ट ने मेसर्स क्यूपिड लिमिटेड को कैपिटल स्ट्रक्चर में तब तक कोई बदलाव नहीं करेगा, जब कंपनी कोर्ट में 149.52 करोड़ रुपए बैंक गारंटी के तौर पर कोर्ट में डिपॉजिट नहीं करा देती. कोर्ट ने क्यूपिड लिमिटेड को शेयरों में किसी भी थर्ड पार्टी को अधिकार देने से रोक दिया गया है, जिसमें शेयरों का विभाजन, तरजीही और बोनस शेयर जारी करना आदि शामिल है, जो इन्हीं तक सीमित नहीं है.
ईमेल के मुताबिक क्यूपिड की ओर से सेबी को दी गई पूरी सूचना अपमानजनक, गैरकानूनी और दिखावटी है. मेसर्स क्यूपिड लिमिटेड ने पब्लिकली यह कहकर कोर्ट का अपमान किया है कि प्रतिपक्ष द्वारा अवैध आदेश प्राप्त किए जा रहे हैं. इस संबंध में सेबी ने मेसर्स क्यूपिड लिमिटेड को तत्काल संचार जारी करने का अनुरोध किया था. ताकि उसे कोर्ट के दिनांक 3 मार्च के आदेश का अनुपालन करने का निर्देश दिया जा सके और कोर्ट के आदेश दिनांक 30 मार्च के अनुपालन के संबंध में पब्लिक नोटिस भी जारी किया जा सके.
यह है पूरा मामला
क्यूपिड लिमिटेड नाम की कंपनी के डायरेक्टर्स ओम प्रकाश गर्ग और वीना गर्ग ने कंपनी में अपनी 44.84 फीसदी शेयर होल्डिंग से संबंधित 59,81,036 इक्विटी शेयर विकास लाइफकेयरLtd को बेचने की डील की थी. आरोप है कि यह दोनों इस एग्रीमेंट का पालन करने में आनाकानी करते रहे और विकास लाइफकेयर के पक्ष में शेयर ट्रांसफर करने से बचते रहे. विकास लाइफकेयर को फ्रॉड की आशंका हुई तो उन्होंने क्यूपिड लिमिटेड के खिलाफ अलवर कोर्ट में मुकदमा दायर कर दिया. इसके बाद कोर्ट ने क्यूपिड के डायरेक्टर्स को समन जारी कर किया. सुनवाई के दौरान इन्होंने अदालत को बताया कि वह अपनी शेयर होल्डिंग दूसरी कंपनी को टांसफर करने की डील कर चुके हैं. जिसके बाद कोर्ट ने 08 दिसंबर 2023 को उन्हें आदेश दिया कि क्यूपिड लिमिटेड के शेयरों के ट्रांसफर प्रोसेस में किसी दूसरी थर्ड पार्टी को शामिल नहीं किया जाए.
नहीं रोका ट्रांसफर प्रोसेस!
आरोप है कि क्यूपिड लिमिटेड ने शेयर होल्डिंग ट्रांसफर करने के लिए कोलंबिया पेट्रोकॉम और आदित्य कुमार हलवासिया को शेयर ट्रांसफर करने के प्रोसेस को नहीं रोका. इस मामले में विकास लाइफकेयर ने आशंका जताई कि क्यूपिड लिमिटेड कोर्ट के 08 दिसंबर के आदेश का उल्लंघन कर रहा है. क्योंकि कंपनी द्वारा 22 लाख शेयरों को दूसरे एफपीआई/एफआईआई के पक्ष में जारी करने की प्रोसेस शुरू कर चुका था. इतना ही नहीं करीब 33 लाख शेयरों के मामले में भी ऐसा ही करने को प्रोसेस को भी शुरू कर दिया गया था. विकास लाइफकेयर ने आशंका जाहिर की कि कोलंबिया पेट्रोकॉम और आदित्य कुमार हलवासिया ना केवल उनके साथ बल्कि जनता के साथ भी बड़े पैमाने पर फ्रॉड की कोशिश कर रहे थे. जिसमें ओम प्रकाश और वीना गर्ग की भी मिलीभगत नजर आ रही थी.
अदालत ने दिखाया कड़ा रुख
मामला जब अदालत के सामने आया तो कोर्ट ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया. 30 मार्च 2024 को अलवर कोर्ट ने इस मामले में कोलंबिया पेट्रोकॉम और आदित्य कुमार हलवासिया को भी पार्टी के तौर पर मुक़दमे में शामिल करने का आदेश जारी कर दिया. इसके साथ ही क्यूपिड लिमिटेड और अन्य को शेयरों के स्ट्रक्चर में किसी भी तरह का बदलाव करने और उन्हें किसी थर्ड पार्टी को देने या ट्रांसफर करने से रोकने का आदेश भी कर दिया. कोर्ट ने क्यूपिड लिमिटेड और अन्य को कैपिटल स्ट्रक्चर या शेयर के संबंध में किसी भी तरह की डील करने से पहले अदालत में 149.52 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी जमा करानी होगी. साथ ही कोर्ट ने सेबी, एनएसडीएल, सीडीएसएल को इस आदेश का तुरंत पालन कराने के निर्देश दिए हैं.
अब ये लगाए आरोप
आरोप है कि क्यूपिड लिमिटेड के डायरेक्टर्स ने इक्विटी शेयरों को विभाजित करने का प्रोसेस शुरू कर दिया है. इसके लिए 04 अप्रैल को कंपनी ने ईजीएम बुलाने का फैसला भी कर लिया है. आशंका जताई जा रही है कि इस दौरान डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के 08 दिसंबर 2023 और 30 मार्च 2024 के आदेशों का उल्लंघन किया जा सकता है. विकास लाइफकेयर ने इस मामले में सेबी चेयरमेन माधबी पुरी बुच के अलावा सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अश्विनी कुमार भाटिया को ईमेल से अदालत के आदेश की जानकारी देते हुए, आदेशों का पालन सुनिश्चित कराने की गुहार लगाई है.
जिसके लिए सेबी की अधिकृत वेबसाइट पर इस संबंध में पारित आदेशों को अपलोड करने की मांग की गई है, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं किया गया है. जानकारों का कहना है कि सेबी की वेबसाइट पर आदेश अपलोड होने की स्थिति में आम जनता को उसकी जानकारी आसानी से मिल जाती है. इस स्थिति में कोई भी कंपनी अदालती आदेशों व किसी वाद की जानकारी छिपाकर धोखाधड़ी को अंजाम नहीं दे सकती.