Rajasthan News: राजस्थान बालोतरा पुलिस ने साइबर अपराध के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए एक राष्ट्रीय स्तर की फर्जी सिम कार्ड गैंग का पर्दाफाश किया है. एसपी रमेश के नेतृत्व में साइबर सेल ने तीन महीने की कड़ी निगरानी के बाद इस संगठित गिरोह के 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया. पुलिस ने इनके पास से 19 मोबाइल फोन, 3 लैपटॉप और करोड़ों रुपये के लेनदेन के रिकॉर्ड बरामद किए हैं. इस गैंग ने बालोतरा जिले में 12,000 और पूरे राजस्थान में करीब 50,000 फर्जी सिम कार्ड बेचे, जिससे साइबर फ्रॉड और अन्य अपराधों को बढ़ावा मिला.
कैसे शुरू हुआ खुलासा
पुलिस को एक एनडीपीएस मामले में फर्जी सिम कार्ड का सुराग मिला, जो बालोतरा के एक युवक के नाम पर था. जांच में पता चला कि यह सिम एक संगठित गैंग ने फर्जी तरीके से एक्टिव की थी. साइबर सेल ने तार जोड़ते हुए बालोतरा, पचपदरा, सिणधरी और जयपुर से इस गिरोह के सदस्यों को पकड़ा. गैंग का सरगना जयपुर के जोबनेर का लोकेश जाजोरिया निकला, जबकि बालोतरा के संदीप माली ने इस गोरखधंधे की शुरुआत की थी.
कौन-कौन गिरफ्तार
पुलिस ने 10 आरोपियों को हिरासत में लिया है. इनमें लोकेश जाजोरिया (जयपुर), संदीप माली, विक्रम, राहुल, नारायण राम (बालोतरा), हरिश्चंद्र, मोहनगिरी, राकेश चौधरी (सिणधरी), मुकेश कुमार (जसोल) और भीमसिंह (जोधपुर) शामिल हैं. इनसे पूछताछ में और बड़े खुलासे की संभावना है.
फर्जीवाड़े का तरीका
यह गैंग सिम कार्ड वितरकों के साथ मिलकर धोखाधड़ी करता था. ग्राहकों की बायोमेट्रिक और लाइव फोटो लेने के दौरान बहाना बनाकर कई बार फोटो खींची जाती थी. इसके जरिए एक ग्राहक के नाम पर कई सिम एक्टिव कर दी जाती थीं. ग्राहक को एक सिम दी जाती, जबकि बाकी सिम साइबर अपराधियों, नशा तस्करों और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों के लिए ऊंचे दामों पर बेच दी जाती थीं.
पुलिस की आगे की कार्रवाई
साइबर सेल अब पुलिस मुख्यालय के साथ मिलकर पूरे प्रदेश में इस फर्जीवाड़े की गहराई जांच रही है. फर्जी सिम कार्ड को ब्लॉक करने और सिम वितरकों के लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.
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