Jalore News: राजस्थान के जालोर जिले की नगर परिषद में गंभीर प्रशासनिक लापरवाही और दस्तावेजी धोखाधड़ी का मामला सामने आया है. इसके तहत निवर्तमान चेयरमैन गोविंद टांक का नाम सामने आया है. दरअसल, निवर्तमान चेयरमैन गोविंद टांक के कार्यकाल खत्म होने के छह महीने बाद उनके हस्ताक्षर से 17 पट्टे जारी किए गए. जिसकी जानकारी रजिस्ट्रेशन समीक्षा बैठक के दौरान सामने आई. इसके तुरंत बाद शाखा प्रभारी अनिल कुमार को निलंबित कर दिया गया है.
प्रशासक के कार्यकाल में घोटाला उजागर
नगर परिषद के वर्तमान प्रशासक एवं एडीएम राजेश मेवाड़ा ने बताया कि सभापति गोविंद टांक का कार्यकाल 24 नवंबर 2024 को समाप्त हो गया था, उसी दिन से वे प्रशासक का पदभार संभाल रहे हैं. इसके बाद परिषद में सभी पट्टे प्रशासक के हस्ताक्षर से जारी होने चाहिए थे. लेकिन, 25 मई 2025 को जारी 17 पट्टों पर पूर्व सभापति गोविंद टांक के हस्ताक्षर पाए गए. पंजीयन आय समीक्षा बैठक में जब यह जानकारी सामने आई तो एडीएम मेवाड़ा ने तुरंत जांच के आदेश दिए। साथ ही वे स्वयं शाम साढ़े पांच बजे नगर परिषद कार्यालय पहुंचे और विस्तृत जानकारी जुटाई.
बाबू अनिल कुमार ने की मनमर्जी, आयुक्त की जगह किए हस्ताक्षर
इस पूरे मामले की जांच में सामने आया कि शाखा प्रभारी अनिल कुमार ने नगर परिषद आयुक्त की जगह खुद ही हस्ताक्षर कर पंजीयन शाखा को पत्र जारी किया था, जिसके आधार पर ये पट्टे फाइलों में आगे बढ़े और जारी हुए. इस गंभीर अनियमितता के चलते अनिल कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है.
पूर्व चेयरमैन बोले- "उन्होंने पहले ही हस्ताक्षर कर दिए होंगे, मुझे नहीं मालूम"
पूर्व चेयरमैन गोविंद टांक ने स्पष्ट किया कि हो सकता है कि हस्ताक्षर पहले हो गए हों, इसलिए पत्रावलियां भेजने में देरी हुई होगी. उन्होंने कहा कि उन्हें इस पूरी कार्रवाई की जानकारी नहीं है और न ही उन्हें इन 17 पट्टों के बारे में कोई जानकारी दी गई है.
जांच जारी, अन्य जिम्मेदार भी आ सकते हैं घेरे में
प्रशासक राजेश मेवाड़ा ने बताया कि मामले की आंतरिक जांच चल रही है. यदि अन्य अधिकारी या कर्मचारी भी इसमें दोषी पाए गए तो उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी.
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