मारवाड़ के स्मैक किंग जितेंद्र मेघवाल को पुलिस ने दबोचा, तस्करी से बनाई करोड़ों की संपत्ति; टिकट बुकिंग में खुलासा 

राजस्थान की एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (ANTF) और एटीएस की टीम ने मारवाड़ के बड़े स्मैक तस्कर जितेंद्र मेघवाल को पकड़ लिया है. यह तस्कर हर महीने में 50 लाख तक कमाता ड्रग्स से कमा लेता था.

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पुलिस की गिरफ्त में आरोपी.

Rajasthan News: राजस्थान में नशे के खिलाफ लड़ाई तेज हो गई है. नई बनी एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (ANTF) और एटीएस की टीम ने मारवाड़ के बड़े स्मैक तस्कर जितेंद्र मेघवाल को पकड़ लिया. यह कार्रवाई ऑपरेशन 'जिस्मन्ना' नाम से चलाई गई. जितेंद्र पर बाड़मेर पुलिस ने 25 हजार रुपये का इनाम रखा था. इस गिरफ्तारी से इलाके में नशे का बड़ा नेटवर्क टूट गया है.

सपनों की राह से बनाई अपराध की दुनिया 

जितेंद्र का जीवन गलत रास्तों पर चल पड़ा. वह सिर्फ आठवीं तक पढ़ा. बड़ा आदमी बनने का सपना देखकर पढ़ाई छोड़ दी. पिता ने चिंता में उसे बेंगलुरु भेजा जहां वह दो साल मोबाइल दुकान पर काम करता रहा. लेकिन सफलता नहीं मिली तो घर लौट आया. धोरीमन्ना में आवारागर्दी शुरू हो गई. तभी उसकी मुलाकात बड़े तस्कर प्रकाश से हुई. पहले ड्राइवर बना फिर साझेदार. इस तरह स्मैक तस्करी का सफर शुरू हो गया.

गुरु जेल में चेला बना राजा

तीन साल में जितेंद्र स्मैक का बड़ा सरगना बन गया. उसका गुरु प्रकाश जेल में रहा लेकिन जितेंद्र ने पूरे इलाके में अपना साम्राज्य फैला लिया. करोड़ों की कमाई से कई कोठियां और खेत खरीद लिए. ANTF के मुताबिक वह हर महीने कम से कम 20 किलो स्मैक बेचता था. हर किलो पर दो से तीन लाख रुपये का मुनाफा. बिना कोई वैध काम के महीने में 50 लाख तक कमाता. तीन साल में उसके खिलाफ आठ केस दर्ज हुए और तीन बार जेल गया. परिवार वाले कसम दिलाते रहे लेकिन नशे की कमाई का लालच जीतता रहा.

नशे की लत ने तोड़ा सबकुछ

जितेंद्र खुद स्मैक का शिकार हो गया. स्वास्थ्य खराब हुआ तो परिवार ने नशा मुक्ति केंद्र में भेजा. इलाज में काली कमाई से बनी संपत्तियां बिक गईं. कंगाल हो गया लेकिन ठीक होते ही फिर तस्करी शुरू कर दी. पुलिस की नजरें तेज हो गईं. कई केस के बाद 25 हजार का इनामी घोषित हुआ. खानाबदोश जीवन जीने लगा.

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सतर्कता बढ़ी पर पत्नी की सलाह बनी जाल

इनाम के डर से जितेंद्र ने मोबाइल बंद कर दिए. परिवार से दूर रहा. पुरानी महिला दोस्तों के सहारे छिपता रहा. पत्नी को पुलिस का डर बताता. पत्नी ने सलाह दी कि बेंगलुरु जाकर छिप जाए. इससे महिला दोस्तों से भी दूरी बनेगी. यह बात ANTF तक पहुंच गई. टीम ने पत्नी की गतिविधियों पर नजर रखी. बस ट्रेन और फ्लाइट टिकटों की जांच शुरू की.

टिकट बुकिंग से हुआ खुलासा

एक व्यक्ति ने गलत नाम से टिकट बुक कराया लेकिन मजबूरी में जितेंद्र का नाम लिखवाया. वह पत्नी का करीबी निकला. इससे पता चला कि 14 नवंबर की रात बेंगलुरु जाने वाली बस में जितेंद्र होगा. ATS और ANTF ने रामजी के गोल के पास नाकाबंदी की. गणेश ट्रेवल्स की बस रोकी गई. सोते हुए जितेंद्र को बिना विरोध के पकड़ लिया.

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ऑपरेशन 'जिस्मन्ना' का रहस्य

इस ऑपरेशन का नाम जितेंद्र के नाम से 'जि' स्मैक से 'स्म' और धोरीमन्ना से 'न्ना' मिलाकर बनाया गया. ATS के डेल्टा मॉड्यूल और ANTF की टीमें इसमें आगे रहीं. ATS महानिरीक्षक विकास कुमार ने कहा कि टीमों को मुख्यालय में सम्मान मिलेगा. 

लोगों से अपील 

ATS ने लोगों से कहा कि नशा तस्करी या अपराध की कोई खबर हो तो कंट्रोल रूम नंबर 0141-2601583 या व्हाट्सएप 9001999070 पर बताएं. नाम गुप्त रखा जाएगा. यह गिरफ्तारी नशे के खिलाफ बड़ी जीत है.

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