Arvind Kejriwal Bail: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से मिली अतरिंम जमानत

Arvind Kejriwal News: ईडी के कड़े विरोध के बावजूद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है. जेल से बाहर आने के बाद वो चुनाव प्रचार कर पाएंगे. इस दौरान उनके बयानों पर किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं रहने वाली है.

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Arvind Kejriwal SC Hearing : दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाज को मिली जमानत

Arvind Kejriwal Bail : कथित शराब घोटाला नीति (Delhi Excise Policy Scam) से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) मामले में गिरफ्तार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 1 जून तक अंतरिम जमानत दे दी है. 40 दिन बाद आज शाम वे तिहाड़ जेल (Tihar Jail) से बाहर आ सकते हैं. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने शुक्रवार को सुनवाई के बाद फैसला सुनाते हुए कहा कि जमानत के दौरान केजरीवाल के चुनाव प्रचार या बयानों पर कोई प्रतिबंध नहीं रहेगा. लेकिन 2 जून को उन्हें आत्मसमर्पण करना होगा और वापस जेल जाना होगा.

'21 दिनों में कुछ नहीं होगा'  

सुप्रीम कोर्ट में अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी थी कि केजरीवाल को जुलाई तक जमानत दे दी जाए, क्योंकि 4 जून तक तो लोकसभा चुनाव के नतीजे ही आएंगे, उसके बाद भी बहुत सी कार्रवाई होगी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की इस मांग को खारिज कर दिया. इसके बाद केजरीवाल की तरफ से कहा गया कि समय 5 जून तक का कर दिया जाए, लेकिन कोर्ट ने इस मांग को भी खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने जमानत मंजूर करते हुए साफ-साफ कहा है कि अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) को 2 जून को कोर्ट में सरेंडर करना होगा. वहीं अदालत ने ईडी के विरोध पर कहा कि डेढ साल तक अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार नहीं किया गया तो 21 दिनों में कुछ नहीं होगा. अदालत ने कहा कि उनको पहले भी गिरफ्तार किया जा सकता था. 

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ED ने किया कड़ा विरोध

इससे पहले पीठ ने केजरीवाल को आगामी लोकसभा चुनाव (lok sabha election 2024) के लिए प्रचार करने के लिए अंतरिम जमानत देने का संकेत दिया था. हालांकि, यह भी कहा गया था कि अगर अंतरिम जमानत दी गई तो केजरीवाल को मुख्यमंत्री के रूप में कोई भी आधिकारिक कर्तव्य निभाने की अनुमति नहीं दी जाएगी. ठीक आज की तरह, उस वक्त भी प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शीर्ष अदालत में जमानत का कड़ा विरोध किया था. ईडी का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पिछली सुनवाई में पीठ से कहा था कि 'एक मुख्यमंत्री के साथ आम आदमी से अलग व्यवहार कैसे किया जा सकता है? केवल इसलिए कोई विचलन नहीं हो सकता क्योंकि वह एक मुख्यमंत्री है? क्या चुनाव के लिए प्रचार करना अधिक महत्वपूर्ण होगा.' हालांकि पीठ ने उस वक्त कहा था कि चुनाव हर पांच साल में एक बार होते हैं.

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