Lok Sabha Elections 2024: UP में क्षेत्रीय दलों की भूमिका कितनी अहम? मायावती का वोटबैंक किधर जाएग... NDTV बैटलग्राउंड में एक्सपर्ट्स ने बताया

NDTV Battleground: एनडीटीवी के एडिटर-इन-चीफ संजय पुगलिया और राजनीतिक विश्लेषकों के एक पैनल ने वाराणसी में 'एनडीटीवी बैटलग्राउंड' (NDTV Battleground) कार्यक्रम में चुनाव के कई पहलुओं पर खास चर्चा की.

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वाराणसी में सजा NDTV Battleground का मंच.

NDTV Battleground: लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) पर अलग-अलग प्रदेशों की सियासी समीकरण पर विशेषज्ञों से विस्तृत बातचीत की खास सीरीज NDTV Battleground गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसदीय सीट वाराणसी पहुंचा. एनडीटीवी के एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया के इस खास प्रोग्राम में राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी, लोकनीति के नेशनल को-ऑर्डिनेटर संदीप शास्त्री और सी वोटर के फाउंडर डायरेक्टर यशवंत देशमुख ने यूपी की राजनीति से जुड़ी तमाम मुद्दों पर बातचीत की. इस दौरान विशेषज्ञों ने यूपी की राजनीति में क्षेत्रीय दलों की भूमिका के साथ-साथ मायावती के घटते सियासी आधार पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी. 

लो वोटर टर्नआउट का क्या है मतलब

NDTV Battleground के वाराणसी वाले प्रोग्राम में संजय पुगलिया ने लोकसभा चुनाव में कम वोटर टर्नआउट के सियासी मायने पर एक्सपर्ट से प्रतिक्रिया ली. लो वोटर टर्नआउट से जुड़े सवाल पर राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी ने कहा, "चुनाव में कम वोटर टर्नआउट कोई बड़ा फैक्टर नहीं होता. आप कम वोटिंग पर्सेंटेज से ये नहीं बता सकते कि सरकार जा रही है या रिपीट हो रही है. क्योंकि ऐसा कई बार हुआ है जब वोटर टर्नआउट कम रहा, लेकिन सरकार रिपीट हुई. ऐसा भी हुआ है, जब वोटर टर्नआउट ज्यादा रहा, लेकिन सरकार बदल गई." 

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मालूम हो कि लोकसभा चुनाव के लिए चार फेज की वोटिंग हो चुकी है. 19 अप्रैल को पहले चरण में 102 सीटों पर वोटिंग हुई. इनमें औसत मतदान 65.5% रहा, जो 2019 में इन्हीं सीटों के औसत वोटर टर्नआउट से 4.4% कम है. 26 अप्रैल को दूसरे चरण में 88 सीटों पर 61% वोटिंग हुई, जो 2019 के मुकाबले 7% कम है. तीसरे और चौथे फेज में भी 2019 की तुलना में कम वोटिंग हुई.

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यूपी में क्षेत्रीय दलों की भूमिका कितनी अहम

कहा जाता है कि दिल्ली की सत्ता का रास्ता यूपी-बिहार से होकर गुजरता है. यूपी में लोकसभा की सबसे अधिक 80 सीटें है, जबकि बिहार में 40 सीटें है. इन दोनों राज्यों में भाजपा, कांग्रेस के अलावा सपा, बसपा, रालोद, राजद, जदयू, हम सहित कई क्षेत्रीय पार्टियां भी है. NDTV Battleground में संजय पुगलिया ने एक्सपर्ट से यूपी के चुनाव में क्षेत्रीय पार्टियों की क्या भूमिका है, इसे भी समझने की कोशिश की. जिसपर सी-वोटर के फाउंटर यशवंत देशमुख ने कहा "चुनाव में रिजनल पार्टियां अहम हैं. पिछले 10 साल में बीजेपी ज्यादातर चुनाव जीती है. इस बार के लोकसभा चुनाव में 200 सीटों पर मुकाबला बीजेपी बनाम कांग्रेस है. जबकि 243 सीटों में बीजेपी बनाम रिजनल पार्टियां है."

यशवंत देशमुख ने आगे कहा कि कांग्रेस की स्थिति खराब है. पंजाब, कर्नाटक और तेलंगाना में यह अकेले लड़ रही है. वो अन्य राज्यों में जूनियर पार्टनर के रूप में है. इन कुछ राज्यों में उन्हें फायदा हो सकता है. एनडीए में बीजेपी की हिस्सेदारी बढ़कर 370 हो गई है और सहयोगी पार्टियों की हिस्सेदारी 30 हो गई है.

मायावती के वोट बैंक कहां जाएगा 

बहुजन समाज पार्टी की राजनीतिक आधार लगातार घटता जा रहा है. लोकनीति के नेशनल को-ऑर्डिनेटर संदीप शास्त्री ने लोकसभा चुनाव में मायावती की पार्टी की स्थिति को लेकर बात की. उन्होंने कहा, "बीएसपी के ओबीसी वोट लगता है कि बीजेपी के पास जा रहा है. नॉन-जाटव वोट कुछ बीजेपी और कुछ समाजवादी पार्टी के साथ जा सकता है. जाटव वोट काफी हद तक बीएसपी के साथ ही रहेगा. लेकिन इसका एक हिस्सा बीजेपी या सपा के साथ जा सकता है."

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