Mahakumbh Mela: महाकुंभ में स्नान करने के लिए एक बुजुर्ग महिला तारादेवी घर छोड़कर प्रयागराज आ गई. घर में पति और बेटे को बताए बिना ही बुजुर्ग महिला यहां पहुंचीं. हालांकि उन्होंने अपनी पोती को इस बारे में बताया और उसे टिकट कराने का भी बोला. एनडीटीवी से बातचीत में उन्होंने बताया कि 1945 से हर कुंभ में स्नान करने पहुंचती हैं. पति और बेटे को बिना बताए ही वह महाकुंभ में आ गईं. महिला का कहना है कि परिवार के लोग आने नहीं देते हैं, इसलिए वह छुपकर आ जाती है. बेटा-पति बोलते हैं कि अकेले जाएंगी तो बीमार हो जाएगी, गिर जाएगी या ठोकर लग जाएगी. इसलिए जब पति 9 बजे दुकान गया तो रात 11 बजे वब ट्रेन पकड़कर आ गई.
'अब 1 महीने तक महाकुंभ में ही रहेंगी अम्मा'
उन्होंने बताया कि अभी तक उन्होंने बेटे से बात नहीं की है. प्रयागराज आने के लिए पोती को बोलते हैं, "टिकट कटा दे और फिर आ जाती हैं. अब अगले एक महीने वह महाकुंभ में ही रहेंगी. कुंभ ही नहीं, वह वृदांवन समेत कई मंदिरों में जाने के लिए घर से बिना बताए निकल जाती हैं. जब बेटा नहीं जाने देते तो भागकर आ जाते हैं. भागवत सुनने नहीं जाने देते हैं तो भागकर चले जाते हैं. अब जब यहां से घर जाएंगे तो बेटा रोने लगेगा."
साल 1954 में प्रयागराज की भगदड़ भी देख चुकी हैं महिला
तारादेवी बोली कि किसी भी कार्यक्रम में वह भीड़ से नहीं डरती हैं. उनके जहन में 1954 प्रयागराज कुंभ की यादें भी ताजा हैं. उस वक्त जब मौनी अमावस्या के दिन भगदड़ हुई तो पिता जैसे-तैसे बचाकर ले गए थे. वहीं, जब 2003 में नासिक में कुंभ में भगदड़ मची तब भी तारादेवी मौजूद थी. हजारों तीर्थयात्री रामकुंड की तरफ बढ़ रहे थे और जब स्नान करने के वक्त भगदड़ मची तो हालात बिगड़ गए थे. महिला ने बताया कि तब वह खिड़की से कूदकर भाग गई थी.
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