UGC Admission: अब साल में दो बार होंगे यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में एडमिशन, जनवरी-2025 से लागू होगी नई व्यवस्था

UGC On Admissions Twice a Year: ये नया सिस्टम जनवरी-2025 से लागू होगा. इस फैसले से यूनिवर्सिटीज और दूसरे हायर एजुकेशन संस्थानों में रेग्युलर मोड में ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन और पीएचडी के सभी कोर्सेज में जनवरी-2025 से दाखिले होना शुरू हो जाएंगे.

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Rajasthan News: दुनिया के टॉप एजुकेशनल इंस्टीट्यूट से शिक्षा के क्षेत्र में मुकाबले के लिए अब देश भी आगे बढ़ने को तैयार है. अब भारत के हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूशन्स में भी साल में दो बार एडमिशन और एग्जाम दोनों हो सकेंगे. यूजीसी ने इस नई व्यवस्था के लिए अपनी मंजूरी दे दी है. दुनिया के टॉप ग्लोबल इंस्टीट्यूट्स में ऐसी व्यवस्था है कि वहां साल में दो बार प्रवेश प्रक्रिया शुरू होती है और दो बार ही एग्जाम का प्रोसेस आयोजित किया जाता है. अब हमारे देश में भी ये सिस्टम लागू होने जा रहा है. इसके तहत पहला सत्र जुलाई-अगस्त से शुरू होगा और दूसरे सत्र की शुरुआत जनवरी-फरवरी से की जाएगी. दोनों ही सेशन 12-12 महीनों के होंगे. दोनों सत्रों के लिए साल में दो बार एडमिशन प्रोसेस चलेगा और दो बार ही फाइनल एग्जाम होंगे. इसके अलावा दो-दो बार प्लेसमेन्ट के मौके भी मिलेंगे.

जनवरी 2025 से लागू होगा नया सिस्टम

ये नया सिस्टम जनवरी-2025 से लागू होगा. इस फैसले से यूनिवर्सिटीज और दूसरे हायर एजुकेशन संस्थानों में रेग्युलर मोड में ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन और पीएचडी के सभी कोर्सेज में जनवरी-2025 से दाखिले होना शुरू हो जाएंगे. अभी दुनियां की टॉप-300 यूनिवर्सिटीज में साल में दो बार एडमिशन का प्रोसेस होता है. यूजीसी चेयरमैन प्रो. एम. जगदीश कुमार का कहना है कि इस सिस्टम के तहत एक ही संस्थान में दो अलग-अलग सेशन चलाने का प्रोविजन सभी यूनिवर्सिटीज के लिए जरूरी नहीं है. लेकिन जिन इंस्टीट्यूशन्स के पास तय किए गए स्टैंडर्ड्स के हिसाब से माकूल बुनियादी इन्तेजामात हैं, वे विश्विद्यालय जनवरी-2025 से स्नातक, अधिस्नातक और पीएचडी आदि सभी कोर्सेज के लिए अपने यहां दूसरा सेशन शुरू कर सकते हैं. अभी इन संस्थानों के पास जनवरी-2025 में दूसरा सेशन शुरू करने के लिए 6 माह का वक्त बाकी है.

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50 फीसद बढ़ जाएगा एडमिशन प्रतिशत

हालांकि ये व्यवस्था लागू होने से सन 2035 तक यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में एडमिशन का प्रतिशत 50 फीसद बढ़ जाएगा. इसके लिए शिक्षा संस्थानों में सीटें भी बढ़ानी पड़ेंगी. मगर सीटें बढ़ाने से भविष्य में पढ़ाने वाली फैकल्टीज और दूसरे संसाधन कम पड़ सकते हैं. इसलिए फिलहाल इस व्यवस्था के देश के टॉप लेवल के संस्थानों में लागू होने की सम्भावना ज्यादा है. बाकी संस्थानों को फैकल्टी और संसाधनों की चुनौतियों से जूझना पड़ेगा.

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प्रसिद्ध शिक्षाविद ने की फैसले की सराहना

प्रसिद्ध शिक्षाविद और बॉटनी की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सोफिया जैदी का कहना है कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में ये एक बहुत अच्छा कदम है और यूजीसी द्वारा इसकी परमिशन दिए जाने की वे सराहना करती हैं. उनका मानना है कि देश की हायर एजुकेशन देने वाली इंस्टीट्यूशन्स में ये सिस्टम लागू हो जाने से हम विश्व के बेहतरीन शिक्षा संस्थानों के मुकाबले में खड़े हो सकेंगे और हमारे देश की प्रतिभाओं का उपयोग सही समय पर-सही जगह हो सकेगा. मगर डॉ. सोफिया का ये भी कहना है कि हमारे यहां अभी एडमिशन प्रोसेस काफी लम्बा होता है, उस प्रक्रिया को कम किया जाना चाहिए और एडमिशन प्रोसेस में प्रोफेसर्स को लगाने की बजाए संस्थान के दूसरे स्टाफ को इसकी जिम्मेदारी देनी चाहिए.

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