Rajasthan News: वैसे तो सावन में शिवालयों पर श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ ही जाती है, किंतु झालरापाटन (Jhalrapatan) के आनंद धाम (Anand Dham) स्थित पारद शिवलिंग (Parad Shivling) के दर्शनों के लिए श्रद्धालु सुदूर क्षेत्रों से भी यहां पहुंचते हैं. झालावाड़ से 7 किमी दूर झालरापाटन शहर के नवलखा किले (Navlakha Fort) पर आनंद धाम मन्दिर में यह पारद शिवलिंग स्थापित है. इसके बारे में यहां के भक्त बताते हैं कि यह राजस्थान का 1 मात्र प्राचीन शिवलिंग है जो पारे का बना है. दिखने में छोटा सा लगता है, मगर इसका वजन 108 किलो ग्राम है. यह पारे में कई कीमती धातुओं जैसे सोने और चांदी को मिलाकर बनाया गया है, जो पूरे राजस्थान में और कहीं भी नहीं है.
एक के बदले 100 अभिषेक का मिलता है लाभ
इस शिवलिंग की विशेषताएं बयान करते हुए यहां के पुजारी बताते हैं कि आप किसी भी शिवलिंग पर 100 अभिषेक करो और इस पारे के शिवलिंग पर 1 अभिषेक करो, तो इसका पुण्य बराबर होता है. इसकी पूजा अर्चना और अभिषेक से इतना फल मिलता है जितना साधारण तौर पर 100 अभिषेक करने से प्राप्त होता है. यही नहीं, आप इसके दर्शन भर से अपने मन की शांति और सुख पा सकते हैं. यहां आने वाले श्रद्धालु कहते हैं कि यहां आकर अलग ही अनुभव होता है. इसी कारण सुदूर क्षेत्रों से भी लोग यहां इस शिवलिंग के दर्शन हेतु पहुंचते हैं. यहां आने वाले शिव भक्त कहते हैं कि यहां आकर आत्मा की सच्ची शांति मिलती है.
दूध-दही-घी-शहद और चीनी से अभिषेक
वर्तमान में सावन का महीना चल रहा है. ऐसे में शिवालयों में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ जाती है, लेकिन यहां आनंद धाम मंदिर में पारद शिवलिंग स्थापित होने के चलते बहुत बड़ी तादाद में श्रद्धालुओं का तांता लगता है. यहां सावन के अतिरिक्त भी वर्ष भर क्षेत्र के आसपास के भक्त जनों का आना जाना लगा रहता है. लेकिन सावन मास के सोमवार और शिवरात्रि जैसे विशेष पर्व पर यहां भक्तों की अलग ही उपस्थिति नजर आती है. सावन के सोमवार पर तो यहां मेले जैसा माहौल रहता है, तथा यहां अभिषेक करने वालों का तांता लगा रहता है. पूजा अर्चना करने वाले पंडित रमाकांत शर्मा ने बताया कि यहां पर अभिषेक करवाने दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं तथा दूध, दही, घी, शहद, चीनी इत्यादि सामग्री से अभिषेक किया जाता है और पंचामृत को प्रसाद के रूप में लेकर श्रद्धालु वापस लौटते हैं.
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