Kutema Gajak: राजस्थान की इस गजक का 100 सालों से विदेशों में छाया है जादू, मुंह में जाते ही पानी की तरह जाती है घुल

Karauli News: सर्दियों के आते ही उत्तर भारत की इस पारंपरिक मिठाई गजक का लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं.करौली की कुटेमा गजक का जादू ऐसा है कि न सिर्फ स्थानीय लोग, बल्कि जर्मनी, लंदन, पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया से घूमने आए विदेशी भी इसके स्वाद के दीवाने हो जाते हैं.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
karauli kutema gajak
NDTV

Rajasthan Famous Gajak: सर्दियों का मौसम शुरू होते ही सबसे पहले जो मिठाई लोगों की जुबान पर आती है, वो है गजक. सर्दियों के आते ही उत्तर भारत की इस पारंपरिक मिठाई का लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं, लेकिन राजस्थान के करौली की कुटेमा गजक का जादू ऐसा है कि न सिर्फ स्थानीय लोग, बल्कि देश-विदेश में रहने वाले भारतीय भी इसके स्वाद के दीवाने हो जाते हैं.

100 साल से भी ज्यादा पुराना स्वाद

 कुटेमा गजक हाथ से बनाई जाती है. इसका स्वाद 100 साल से भी ज्यादा पुराना है.इस कुरकुरी और भुरभुरी गजक ने अपनी मनमोहक खुशबू से दूर-दूर तक लोगों का दिल जीत लिया है. जिले के प्रसिद्ध 'मौला गजक भंडार' में इसे बनाने का काम कई पीढ़ियों से चला आ रहा है, जहां आज भी पारंपरिक तरीके से गजक तैयार की जाती है. यही कारण है कि आज भी इस दुकान स्थानीय लोगों की ही नहीं, बल्कि विदेशियों की भी पहली पसंद बन चुकी है.

 मशीन से नहीं हाथ से पीसकर की जाती है तैयार

इस गजक की सबसे बड़ी खासियत इसका कुरकुरा स्वाद और मुलायम बनावट है जो मुंह में डालते ही पानी ला देती है. इसी वजह से हर कोई इसका दीवाना हो जाता . खास बात यह है कि यह गजक मशीन से नहीं, बल्कि पारंपरिक रूप से हाथ से पीसकर तैयार की जाती है. जिसकी वजह से इसे 'कुटेमा गजक' कहा जाता है और इसका स्वाद बाजार में मिलने वाली आम गजक से बिल्कुल अलग होता है.

सुबह से शाम तक लगती है ग्राहकों की भीड़

इस गजक को लेने के लिए जिले के बड़े बाजार में स्थित मौला गजक भंडार के बाहर सर्दियों की शाम को लंबी कतारें देखी जा सकती हैं. स्थानीय चुन्नू बताते हैं कि इस कुटेमा गजक का स्वाद नंबर वन है. हमारे विदेशों में रहने वाले रिश्तेदार जैसे ही सर्दी शुरू होती है, इस गजक की मांग करना शुरू कर देते हैं. एक बार इसका स्वाद चखने के बाद कोई भी इसे भूल नहीं पाता.

कुटेमा गजक तैयार करते हुए कारीगर
Photo Credit: NDTV

कारीगरों की मेहनत और पुश्तों का अनुभव बनाते हैं इसे खास

गजक तैयार करने वाले कारीगरों का कहना है कि करौली की कुटेमा गजक इतनी मुलायम इसलिए होती है क्योंकि इसे हाथ से बहुत बारीकी से कूटा जाता है.तिल और गुड़ की कारीगरी इतनी बारीक होती है कि यह मुंह में जाते ही घुल जाती है. सर्दियों में इसका स्वाद स्वाभाविक रूप से बढ़ जाता है, क्योंकि ठंडा मौसम गुड़ और तिल को एक खास बनावट देता है.

Advertisement

जर्मनी, लंदन सहित कई देशों तक है कुटेमा गजक का स्वाद

करौली की 100 साल पुरानी 'कुटेमा गजक' आज भी मौला गजक भंडार पर पुश्तैनी तरीके और पुश्तैनी राज से बनाई जाती है. संचालक पप्पू भाई बताते हैं कि उनकी गजक की गुणवत्ता और खास स्वाद के कारण यह जर्मनी, लंदन, पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया सहित कई देशों तक भेजी जाती है. यह गजक ₹290 से ₹380 प्रति किलो की कीमत पर उपलब्ध है और अपनी परंपरा एवं गुणवत्ता के चलते आज भी लोगों की पहली पसंद बनी हुई है.

यह भी पढ़ें; ऑस्ट्रेलिया, दुबई, साउथ अफ्रीका में धमाल मचा रही करौली की कूटेमा गजक, जानिए क्या है खासियत 

Advertisement