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ऑस्ट्रेलिया, दुबई, साउथ अफ्रीका में धमाल मचा रही करौली की कूटेमा गजक, जानिए क्या है खासियत 

राजस्थान के करौली जिले की कूटेमा गजक की इन दिनों बहुत डिमांड हो रही है. यह गजक विदेशों में भी बहुत फेसम है और वहां से लगातार इसकी डिमांड होती है. इसके बाद इसे वहां भेजा जाता है.

ऑस्ट्रेलिया, दुबई, साउथ अफ्रीका में धमाल मचा रही करौली की कूटेमा गजक, जानिए क्या है खासियत 
करौली जिले की कूटेमा गजक.

Rajasthan News: राजस्थान के करौली जिले की कूटेमा गजक सर्दियों के दिनों में बहुत चर्चित रहती है. बताया जाता है कि यह गजक विदेशों तक फेसम है. वहीं जिले में इसका करोबार करीब 100 साल पुराना है. यह मिनी ब्रज खस्ता और स्वादिष्ट गजक के लिए प्रसिद्ध है. इस गजक की खासियत है कि यह खस्ता और स्वादिष्ट होती है.

वहीं अपनी खस्ता बनावट और बेहतरीन स्वाद के लिए लोकप्रिय है. साथ ही पुराने जमाने के बुजुर्ग लोग आज भी इसका बहुत उपयोग करते हैं. बताते हैं कि तिली और शुद्ध देशी घी से बनने वाली यह गजक स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद रहती है.

विदेशों में भी बनाई गजक ने पहचान

गजक बनाने वाले पप्पू खान ने बताया ऑस्ट्रेलिया, दुबई, साउथ अफ्रीका तक इस गजक की डिमांड है. डिमांड आने पर ही गजक को पैक करके भेजा जाता है. यह गजक तकरीबन एक सप्ताह तक खराब नहीं होती है.  इसमें 2 किलों गजक बनाने में तकरीबन 25 मिनट का समय लगता है.

इस खस्ता गजक को अरब देशों में रहने वाले लोग भी बहुत ज्यादा पसंद करते है. सभी अरब देशों में से इस गजक की भरी मात्रा में डिमांड होती है. वहीं देश में मकर संक्रांति और चौथ पर इस गजक की डिमांड बहुत बढ़ जाती है.

100 साल से अधिक पुराना कारोबार  

मिनी ब्रज के नाम से पहचाने जाने वाली धार्मिक करौली नगरी इसकी पहचान इस खस्ता गजक से है. इसका कारोबार 'मौला गजक भंडार' के नाम से चलता आ रहा है.

इस परिवार को इस गजक का कारोबार 10 दशक से अधिक का समय हो चुका है. उसके बाद पीढ़ी दर पीढ़ी गजक का काम चल रहा है. इस स्वादिष्ट गजक की पहचान को इस परिवार ने भारत सहित विदेशों तक इसकी खास पहचान दिलवाई है.

खास विधि और स्वाद इसकी अलग पहचान

शहर के बड़े बाजार में मौला गजक भंडार प्रसिद्ध है. यहां गजक को अलग-अलग स्वाद के साथ तैयार किया जाता है. इसकी बनावट भी इसकी अलग पहचान रखी है. पप्पू खान जैसे अनुभवी कारीगरों की मेहनत और समर्पण के कारण करौली की गजक एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर बन गई है. 100 साल से अधिक समय से यह मिठाई न केवल राजस्थान बल्कि पूरी दुनिया में करौली का नाम रोशन कर रही है.

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