Rajasthan: साल में सिर्फ दो महीने ही मिलती है ये खास मिठाई, स्वाद चखने के लिए लंबी कतारों में खड़े रहते हैं लोग

Rajasthan: भरतपुर के खजले', मैदे से बनाई जाने वाली यह मिठाई अलग-अगल स्वाद में बनती है. इसका टेस्ट मीठा भी होता है और नमकीन भी. इसके अलावा यह मिठाई फीकी भी खाई जाती है.

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भरतपुर के खजले

Bharatpur ka khajla: राजस्थान में त्योहारों और मेलों के मौके पर हमेशा अलग-अलग स्वाद की मिठाइयां बनाई जाती हैं. इनमें से कुछ ऐसी भी होती है जो सिर्फ खास मौकों पर ही बनाई जाती हैं. इनमें से एक सबसे मशहूर मिठाई है "भरतपुर के खजले', मैदे से बनाई जाने वाली यह मिठाई अलग-अगल स्वाद में बनती है. इसका टेस्ट मीठा भी होता है और नमकीन भी. इसके अलावा यह मिठाई फीकी भी खाई जाती है. यह  भरतपुर जिले के डीग में लगने वाले जवाहर प्रदर्शनी मेले के मौके पर हमेशा बनाई जाती है. इस मिठाई की सबसे खास बात यह है कि इसका स्वाद लोगों के मुंह में इस कदर समा जाता है कि मेले में इसके लिए अलग से खास बाजार लगाया जाता है. इसे खाने के लिए लोग दूर-दूर से भरतपुर आते हैं.

कैसे बनते है ये खजलें

डीग में लगने वाला जवाहर प्रदर्शनी मेला देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं और खजला चखे बिना नहीं जाते. इसलिए बाजार में जाकर इसका स्वाद जरूर लेते हैं. इस बाजार में हर तरह के मीठे, नमकीन, मावा आधारित कई वैरायटी के स्वादिष्ट खजले मिलते हैं. डीग भरतपुर में लगने वाले मेले में यह सबसे ज्यादा बिकने वाली मिठाई है. खजला बनाने वाले पन्ना लाल हलवाई बताते हैं कि इसे मैदा से तैयार किया जाता है. करीब 1 किलो मैदा से करीब 20 खजले बनते हैं, जिन्हें पहले रिफाइंड तेल में तल कर फुलाया और सेका जाता है और फिर सभी को चाशनी में डुबो कर अलग कर दिया जाता है.यह मिठाई राजा-महाराजाओं के समय से चली आ रही है. इसका सीजन सिर्फ दो महीने सितंबर-अक्टूबर तक रहता है. 

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 एक खजला का वजन करीब 200 ग्राम 

खजला आकार में बड़ा होता है. एक खजला का वजन करीब 200 ग्राम होता है. खजला तीन तरह से बनाया जाता है. खोया खजला करीब 240 रुपए किलो का होता है.नमकीन खजला 160 रुपए किलो और मीठा खजला 120 रुपए किलो का होता है. डीग में जवाहर प्रदर्शनी मेले और भरतपुर में जसवंत प्रदर्शनी मेले के अवसर पर खजला सबसे ज्यादा बिकने वाली मिठाई है.

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