राजस्थान का वो मंदिर जहां जंजीर से बंधे हैं भगवान, 900 साल पुरानी है 'अदृश्य योगी' की ये कहानी

कहा जाता है कि इस मंदिर आने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है, जिससे यह स्थान जन-जन की आस्था का केंद्र बना हुआ है.

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मूर्ति के बाईं तरफ आपको जंजीर लटकती हुई नजर आ जाएगी.

Rajasthan News: राजस्थान के जालोर जिले के सियाणा गांव में स्थित क्षेत्रपाल भैरव जी (खेतलाजी महाराज) का प्राचीन मंदिर अपनी अनोखी विशेषता के लिए प्रसिद्ध है. इस मंदिर में भगवान को जंजीर से बांधकर रखा गया है, जो इसकी विशिष्टता को दर्शाता है. सियाणा खेतलाजी मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह राजस्थान के वीर योद्धाओं की गाथा भी सुनाता है.

जंजीर से बांधने का क्या कारण?

मंदिर का इतिहास 900 साल पुराना है, जो कृष्णावती नदी के किनारे काछेला पहाड़ी की तलहटी में स्थित है. यहां की किंवदंतियों के अनुसार, एक रहस्यमय युवक (जो बाद में खेतलाजी महाराज के रूप में प्रसिद्ध हुए) होली के अवसर पर गैर नृत्य में शामिल होता था और अचानक किसी शूरवीर को उठाकर गायब हो जाता था, जिससे उसकी मृत्यु हो जाती थी. तब गांव वालों ने लोहार से लोहे की जंजीर बनवाकर उसे पकड़ लिया था. लेकिन बाद में उसने अभिशाप दे दिया. उसे काछेला पहाड़ी पर एक खेजड़ी के पेड़ के नीचे बिठाया गया, जहां आज मंदिर स्थित है.

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मंदिर में बनी हैं ऐतिहासिक छतरियां

मंदिर में ऐतिहासिक छतरियां हैं, जिनमें केसरदान चौहान, जेतसिंह चौहान और अन्य वीरों की छतरियां शामिल हैं. इसके अलावा, यहां 105 फीट लंबी साल्व (धर्मशाला) है, जिसमें 6 कमरे, 1 हॉल और 6 बाथरूम हैं.

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हर महीने लगता है विशाल मेला

हर महीने की शुक्ल पक्ष की तेरस-चौदस को यहां विशाल मेला लगता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु आते हैं. गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से भक्त यहां मन्नतें मांगने आते हैं. विवाह, मुंडन संस्कार और गुंगरी-मातर का भोग यहां की प्रमुख परंपराएं हैं.

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माली समाज करता है पूजा-अर्चना

मंदिर का एक ट्रस्ट संचालन ठाकुर प्रदीप सिंह चौहान द्वारा किया जा रहा है, जबकि माली समाज द्वारा पूजा-अर्चना की जाती है. नए गेट और सुविधाओं का निर्माण किया गया है, जो मंदिर को और भी आकर्षक बनाता है.

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