Christmas 2025: राजस्थान के इस गांव को कहते है 'छोटा यरूशलम', 104 साल से हर धर्म के लोग मिलकर मनाते हैं क्रिसमस

Rajasthan News: बारां जिले में एक ऐसा गांव है जहां क्रिसमस बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. यहां के एक मात्र चर्च में 104 सालों से प्रभु यीशु का जन्मदिन मेले के जैसे मनाया जाता है.

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जंगल मंगल मंडली सीएनआई चर्च , पिपलोद
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Rajasthan Mini Jerusalem: राजस्थान के बारां जिले में एक ऐसा गांव है जहां क्रिसमस (Chirstmas 2025)  केवल एक धार्मिक त्यौहार नहीं, बल्कि एक सामुदायिक उत्सव है. जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर अटरू तहसील का पिपलोद गांव सांप्रदायिक सद्भाव की एक अनूठी मिसाल पेश करता है. यहां पिछले 104 सालों से प्रभु यीशु ( Jesus Christ)  का जन्मदिन पूरी दुनिया से आए लोगों के साथ मनाया जा रहा है. इस गांव में ईसाइयों की जनसंख्या ज्यादा होने  के कारण इसे राजस्थान का 'मिनी यरूशलम' भी कहा जा सकता है.

121 साल पहले मिशनरियों ने बसाया था यह गांव

इस गांव का इतिहास 1904 से शुरू होता है, जब अंग्रेजी शासन के दौरान ईसाई मिशनरियों ने पानी की उपलब्धता और उपजाऊ भूमि (लगभग 6 हजार बीघा) को देखते हुए इसे बसाया था. 'जंगल मंगल मंडली सीएनआई चर्च' के फादर रेव. एरिक मसीह बताते हैं कि गांव का चर्च जिले का एकमात्र और सबसे पुराना चर्च है, जिसका निर्माण 1904 में हुआ था और बाद में 1931 व 1967-68 में इसका जीर्णोद्धार (Renovation) किया गया.

 2 दिन का लगता है शानदार मेला

क्रिसमस के मौके पर पिपलोद में रौनक देखते ही बनती है. गांव में 5 दिनों तक विभिन्न खेलकूद और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं. 25 और 26 दिसंबर को गांव में विशाल मेला भरता है, जिसमें न केवल ईसाई बल्कि सहरिया, बैरवा, गुर्जर, मीणा और खाती समाज के लोग भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं. दुनिया के किसी भी कोने में रह रहे इस गांव के मूल निवासी क्रिसमस पर अपने परिवार के पास पिपलोद जरूर पहुंचते हैं.

 मिट्टी का लेप और रंग-बिरंगी रोशनी

गांव की बुजुर्ग महिला घीसी बाई और बुजुर्ग मिंटू बताते हैं कि यहां क्रिसमस बिल्कुल दिवाली की तरह मनाया जाता है. घरों की साफ-सफाई होती है, मिट्टी का लेप किया जाता है और हर घर को रोशनी से सजाया जाता है. हमारी बेटियां और मेहमान दूर-दूर से इस मेले का हिस्सा बनने आते हैं. गांव में शांति और भाईचारे का माहौल ऐसा है कि हर धर्म का व्यक्ति दूसरे के त्यौहार को अपना मानता है."

गांव का सामाजिक ढांचा

करीब 1200 वोटरों वाले इस गांव की आबादी का गणित काफी दिलचस्प है, यहां ईसाई समुदाय 60% (लगभग 200 परिवार),सहरिया के 25%, बैरवा के 10% और अन्य (गुर्जर, मीणा, खाती) शेष आबादी में रहते है.

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Report: Arjun Arvind

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