Vijayadashami 2024: 184 सालों से यहां रहता है रावण का पूरा कुनबा, पूजा के बाद प्रसाद में मिलते हैं मंदोदरी के वस्त्र

Dussehra 2024: यहां रावण दरबार में रावण का पूरा कुनबा और उसके चार पहरेदारों की प्रतिमाएं हैं. सभी पर हर साल दशहरे के अवसर पर झालरापाटन नगर पालिका की तरफ से रंग रोगन का कार्य करवाया जाता है. इन सभी प्रतिमाओं को सजाया संवारा जाता है, जिसका पूरा खर्च झालरापाटन नगर पालिका वहन करती है.

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झालावाड़ में आज भी मौजूद है रावण का दरबार.

Rajasthan News: राजस्थान में झालावाड़ जिले के झालरापाटन शहर में एक ऐसी जगह है जहां रावण का पूरा कुनबा आज भी मौजूद है. रावण का यह कुनबा आज से 184 साल पहले सन 1840 में यहां स्थापित किया गया, जो आज भी यहां है. यहीं पर रावण का दरबार लगता है, और यहीं पर 184 वर्षों से विजयदशमी वाले दिन रावण का वध परंपरागत रूप से किया जाता रहा है. खास बात यह है कि यहां रावण के अतिरिक्त कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले भी जलाए जाते हैं.

सन 1840 में बनाए गए थे पुतले

रावण के इस कुनबे को देखने दूर-दूर से लोग आते हैं. नेशनल हाइवे से गुजरने वाले लोग की नजर जब सड़क किनारे खड़े इस रावण के कुनबे पर पड़ती है तो भी उन्हें देखने के लिए रुक जाते हैं. इस रावण दरबार की स्थापना झालावाड़ के तत्कालीन नरेश महाराजा मदन सिंह ने वर्ष 1840 में की थी. उस समय यह पूरा दरबार और उसके पुतले मिट्टी से बनाए गए थे, जिनको लगातार सार संभल करते हुए रखा गया. उसके बाद वर्ष 1920 में झालावाड़ के नरेश महाराजा भवानी सिंह ने यहां जीर्णोद्धार का कार्य करवाया एवं इन पुतलों को पक्का बनवा दिया गया. तभी से यहां प्रतिवर्ष रंगरोपण गांव रखरखाव कार्य संपन्न होता है, जिसके चलते यह पूरी संरचना सकुशल आज भी मौजूद है.

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पूजा करके जाटू-टोना से मुक्ति

बीमारियों एवं कथित तौर पर जादू टोने से ग्रस्त लोग यहां पूजा अर्चना करने आते हैं. ऐसा माना जाता है कि जो लोग किसी भी प्रकार की बीमारी और जादू टोने से ग्रसित है, वह यहां पूजा करें तो उनका लाभ होता है तथा बीमारी से मुक्ति मिल जाती है. इसी के चलते यहां अक्सर लोग पहुंचते हैं, जिन्हें यहां पर पूजा करते देखा जा सकता है.

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प्रसाद के तौर पर ले जाते हैं मंदोदरी के वस्त्र

यहां प्रतिवर्ष दशहरे के अवसर पर मंदोदरी की प्रतिमा पर वस्त्र पहनाए जाते हैं. यह काम झालरापाटन नगर पालिका की तरफ से किया जाता है. मंदोदरी के वस्त्रों को फाड़कर उसके टुकड़े लोग प्रसाद के रूप में ले जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि उसके वस्त्र के टुकड़े घर में रखने से समृद्धि आती है और सुख शांति बनी रहती है.

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