Jodhpur Mela News: राजस्थान की सांस्कृतिक राजधानी जोधपुर के भीतरी शहर परकोटे में शनिवार रात वर्ल्ड फेमस ऐतिहासिक धींगा गंवर मेले की धूम देखने को मिली. अपनी कला और संस्कृति के साथ विश्व में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले जोधपुर में साल में एक बार आयोजित होने वाले इस धींगा गंवर मेला जिसे 'बेंतमार' मेला भी कहा जाता है. इस मेले में महिलाएं अलग-अलग वेशभूषा और स्वांग रचकर सड़कों पर कुंवारे लड़कों की लाठी से पिटाई करती देखी जाती है. ऐसी मान्यता भी है कि जिस कुंवारे लड़कों की इस मेले में डंडे से पिटाई होती है, उन लड़कों की उसी वर्ष शादी भी हो जाती है.
इस दिन महिलाओं का रहता है दबदबा
इस ऐतिहासिक धींगा गंवर की धूम के बीच रातभर पारम्परिक गवर गीतों का दौर भी चलता रहता है. एकमात्र जोधपुर में आयोजित होने वाले अनूठे मेले के दौरान देर रात तक भीतरी शहर की तंग गलियों में महिलाओं का एक छत्र राज बना रहा. इस ऐतिहासिक मेले की परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है. इस परंपरा से जुड़े लोगों ने के अनुसार सदियों से चली आ रही इस परंपरा में 16 दिनों तक पूजा करने के बाद धींगा गौर मेला के दिन रात को महिलाओं का राज रहता है और इस दिन सर पर कोटि की सड़कों पर सिर्फ महिलाएं ही रहती है. इस दिन कुंवारे लड़कों को यह महिलाएं डंडों से पिटती है और इसे शुभ भी माना जाता है.
महिला सशक्तिकरण को बल देता ये त्यौहार
शहर के भीतरी क्षेत्र में धींगा गवर पूजन होने पर रतजगे की अलख में मस्ती और अनूठे स्वांग रची तीजणियों की धूम रहती है. धींगा गंवर की धूम और उमंग व मस्ती के आलम में रातभर पारम्परिक गवर गीतों का दौर भी चलता रहता है. महिला सशक्तिकरण से जुड़े देशभर में एकमात्र जोधपुर में आयोजित होने वाले अनूठे मेले के दौरान देर रात तक भीतरी शहर की तंग गलियों में महिलाओं का एक छत्र राज कायम रहता है.
सोलह दिवसीय गवर पूजन अनुष्ठान के अंतिम दिन रतजगे की रात मस्ती और भांति-भाति के स्वांग रची तीजणियां लड़कों पर बेंतों का प्रहार करते हुए गवर माता के दर्शनार्थ घरों से निकलते है. करीब एक दर्जन से ज्यादा स्थानों पर विराजित गवर प्रतिमाओं के दर्शनार्थ विभिन्न स्वांग रची तीजणियां हाथों में बेंत लेकर निकलती है और दर्शन के दौरान मार्ग में बाधक बनने वाले लोगों पर बेंत से पिटाई करती है.
जोधपुर में होता है यह अनोखा मेला
राजस्थान की सांस्कृतिक नगरी जोधपुर में ही यह एकमात्र अनूठा मेला आयोजित होता है. अच्छे वर की कामना और अखंड सुहाग के लिए गणगौर का परम्परागत पूजन तो पूरे प्रदेश में होली के दूसरे दिन चौत्र कृष्ण प्रतिपदा से चौत्र शुक्ल तृतीया तक होता है. लेकिन इसके तुरंत बाद महिला सशक्तिकरण से जुड़ा धींगा गवर का अनूठा पूजन केवल जोधपुर में होता है. देशभर में केवल जोधपुर में मनाए जाने वाले अनूठे धींगा गवर पूजन महोत्सव के समापन की रात जोधपुर परकोटे के भीतरी शहर में महिलाओं का एकछत्र राज होता है.
रास्ते में आए पुरुषों पर लाठियों की होती है बौछार
शहर परकोटे में अलग-अलग जगहों पर स्थापित आकर्षक गवर प्रतिमाओं के दर्शन के दौरान रास्ते में जो भी पुरुष बाधक बनता है. उसे तीजणियों के बेतों की बौछार झेलनी पड़ती है. धींगा गवर पूजन पूर्ण होने पर रतजगे की अलख में मस्ती और धूम मचाती अनूठे स्वांग रची तीजणियों का धींगाणा मस्ती व धमाल देखने पूरा शहर उमड़ता है.
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