Dhinga Gavar: नागौर के काठडियों का चौक बांशीवाला मंदिर के पास स्तिथ पुष्करणा समाज भवन में धींगा गवर त्यौहार मनाया गया. इस त्यौहार पर महिलाएं हाथों में सुसज्जित बेंत लिए निकलती है. इस बेंत से वे सामने आने वाले युवकों को दुलार से मारती है. और मार खाने वाला युवा स्वयं को भाग्यशाली समझता है.
क्यों मनाया जाता है धींगा गवर मनाया ?
लोक कथा के अनुसार एक बार देवी पार्वती ने एक भील महिला का स्वांग रच शिवजी को रिझाया था. शिवजी पार्वती के इस रूप पर इतना मोहित हो गए थे कि उसे घर ले जाने को तैयार हो गए. इसके बाद से सदियों में मारवाड़ की महिलाएं धींगा गवर का त्योहार मनाती आ रही है.
सोलह दिन गवर का पूजन करने वाली महिलाएं विभिन्न स्वांग रच हाथ में एक सुसज्जित बेंत लेकर शहर की सड़कों पर निकलती है. राह में आने वाले युवकों की वे इस बेंत से दुलार के साथ पिटाई करती है. ऐसी मान्यता है कि जिस कुंवारे युवक के बेंत पड़ जाती है उसकी शीघ्र शादी हो जाती है.
गौर माता की प्रतिमा रखी जाती है
इस कार्यक्रम में गौर माता की प्रतिमा रखी गई साथ ही महिलाओं ने भगवान राम, कृष्ण राधा, गौर, भेरुनाथ बाबा, झांसी की रानी, संतारा सहित कई माताओं की वेशभूषा में नृत्य किया और अपनी आवाज में गौर घूमर जैसे गीतों की प्रस्तुति दी.
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