'बांग्लादेश में अब सब सैटल', NDTV से बातचीत में एस जयशंकर ने विदेश नीति का रोडमैप बताया

मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने के मौके पर विदेशमंत्री एस जयशंकर ने NDTV के एडिटर-इन-चीफ़ संजय पुगलिया से एक खास बातचीत में कहा कि तीसरे कार्यकाल की शुरुआत काफी अच्छी रही है और इस कार्यकाल में भारत में बहुत तेज प्रगति होगी.

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S Jaishankar Interview: भारत के विदेश मंत्री मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल की शुरुआत काफी अच्छी रही है और इस कार्यकाल में भारत में बहुत तेज प्रगति होगी. मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने के मौके पर विदेशमंत्री एस जयशंकर ने NDTV के एडिटर-इन-चीफ़ संजय पुगलिया से एक खास बातचीत में यह बात कही. जयशंकर ने इस इंटरव्यू में भारत की विदेश नीति से जुड़े प्रमुख मुद्दों पर तीसरे कार्यकाल में अब तक किए गए प्रयासों का ब्यौरा दिया. विदेश मंत्री एस जयशंकर के एक्सक्लूसिव इंटरव्यू की कुछ बड़ी बातें - 

एस जयशंकर ने कहा कि आज तीसरे कार्यकाल के 100 दिन हो चुके हैं. हमारी तैयारी पहले से थी. हमने बहुत तेज शुरुआत की है. विदेश नीति के भारत के संदर्भ में दो परिप्रेक्ष्य हैं. पहला यह कि भारत सरकार अपनी विदेश नीति के माध्यम से अपने राष्ट्रीय विकास के लक्ष्य को कैसे प्राप्त करे. इस सिलसिले में विदेश यात्राएं और कूटनीतिक कार्यक्रम हुए हैं. दूसरा भारत की यह भी जिम्मेदारी है कि दुनिया में शांति और स्थिरता रहे. यह दुनिया की भी जरूरत है और हमारी भी जरूरत है. हमारा राष्ट्रहित और दुनिया की भलाई के लिए किए जाने वाले हमारे प्रयासों में कोई विरोधाभास नहीं है, हम यह दोनों काम करने के लिए बहुत अच्छी स्थिति में हैं.

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भारत-बांग्लादेश रिश्तों पर विदेश मंत्री

भारत-बांग्लादेश रिश्तों पर विदेश मंत्री ने कहा, "बांग्लादेश में जो भी घटनाएं हुई हैं, उनके यहां पर उनकी अपनी पॉलिटिक्स होगी. वहां जो भी उनका वह उनका आंतरिक मामला है. हमारा काम वर्तमान सरकार के साथ रिश्ता कायम कर आगे बढ़ना है. सभी पड़ोसी एक दूसरे पर निर्भर होते हैं. पहले भी वहां पर राजनीतिक घटनाएं हुई थीं, लेकिन बाद में सब सैटल हो गया. बांग्लादेश के आंतरिक मामलों में हमें टिप्पणी नहीं करनी चाहिए. हम इसे आगे बढ़ाना चाहते हैं. हमारा आपसी सहयोग और व्यापार अच्छा है तो हम उसी रास्ते पर जाना चाहते हैं.

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अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए कूटनीतिक प्रयास

पिछले 100 दिनों में कई घटनाक्रम हुए हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने सिंगापुर का दौरा किया और इस दौरान सेमीकंडक्टर के बारे में बड़ी प्रगति हुई. इसी प्रकार मलेशिया के प्रधानमंंत्री ने भारत का दौरा किया और एक ऐसा समझौता किया जिससे कि भारत से कुशल कामगार मलेशिया जाकर रोजगार कर सकें.

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भारत में आने वाले समय में 12 इंडस्ट्रियल नोड बनने वाले हैं और बुनियादी विकास का काम और आगे बढ़ाने के लिए कार्य किए जाएंगे. बहुत सारे देश इससे जुड़ना चाहते हैं. प्रधानमंत्री के निजी संबंधों की वजह से यह जुड़ाव आगे बढ़ रहा है.

रूस और यूक्रेन का युद्ध तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुका है. इनके अलावा मध्य पूर्व और गाजा में लड़ाई चल रही है. भारत की यह कोशिश है कि वह अंतरराष्ट्रीय शांति की स्थापना के लिए प्रयासरत रहे. इसी संदर्भ में प्रधानमंत्री मोदी ने जुलाई में रूस और अगस्त में यूक्रेन का दौरा किया. जी-7 के सदस्यों समेत अन्य देशों से भी बातचीत हो रही है. प्रधानमंत्री अभी इस स्थति में हैं कि वह दोनों देशों के साथ खुलकर बातचीत कर सकते हैं.

मैनुफैक्चरिंग को बढ़ाना बहुत जरुरी

जब तक हमारे पास टेक्नोलॉजी नहीं होगी तब तक हम विकसित नहीं बन सकते हैं. मगर जब तक मैनुफैक्चरिंग नहीं होगी, तब तक टेक्नोलॉजी कहां से आएगी. हमें मैनुफैक्चरिंग को आगे बढ़ाना चाहिए. सामान्य मैनुफैक्चरिंग को भी बढ़ाना चाहिए और नई टेक्नोलॉजी वाली मैनुफैक्चरिंग, जैसे सेमीकंडक्टर और ड्रोन की मैनुफैक्चरिंग को भी बढ़ाना ही चाहिए. हमारा दुर्भाग्य है कि पिछले कई दशकों से हम इसमें पीछे रह गए हैं. मगर जब तक मैनुफैक्चरिंग नहीं बढ़ेगी तब तक रोजगार नहीं बढ़ेगा. मोदी सरकार ने मैनुफैक्चरिंग पर जोर दिया है. इसके लिए जो स्किल चाहिए बजट में उसे भी महत्व दिया गया है.

प्रधानमंत्री ने तीसरे कार्यकाल में कूटनीति के हिसाब से कई बड़े प्रयास किए गए. उनका पहला विदेश दौरा जी-7 के शिखर सम्मेलन के लिए इटली का दौरा था. इसके बाद मैंने अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में हिस्सा लिया जहां रूस, चीन, ईरान और मध्य एशिया के देश जुटे थे. प्रधानमंत्री ने आसियान की बैठक में भी हिस्सा लिया. कुछ ही समय बाद क्वाड की भी बैठक होने वाली है. प्रधानमंत्री के शपथ समारोह में कई पड़ोसी देशों के नेता आए. 

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