Dhanteras 2023: राजस्थान में हर जिले में धनतेरस को लेकर लोगों में काफी उत्साह देखा जा रहा है. शहर से लेकर गांव तक दुकाने सजी हुई नजर आ रही हैं. धनतेरस का त्योहार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है. इस वर्ष दिवाली 12 नवंबर को मनाई जा रही है. दिवाली उत्सव की शुरुआत दो दिन पहले धनतेरस के पर्व से होती है. इस दिन को धनतेरस, धनत्रयोदशी, धनवंतरी जयंती, नरक चतुर्दशी और छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है. धनतेरस को दीपावली का आगाज माना जाता है. इस दिन लोग नए बर्तन, सोना-चांदी, गहने, वाहन आदि की खरीदारी करते हैं. इस दिन लोग अपने घरों को साफ-सुथरा करके दीवारों पर रंग-बिरंगी रोशनियां लगाते हैं.
धनतेरस का महत्व
धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरी की पूजा की जाती है. भगवान धन्वंतरी को आयुर्वेद के पितामह माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान धन्वंतरी ने अमृत कलश लेकर देवताओं को अमरता प्रदान की थी. इसलिए इस दिन नए बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है. इस दिन लोग नए बर्तन खरीदकर अपने घरों में रखते हैं.
धनतेसर पूजा का समय क्या है?
पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर, जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि पंचांग के अनुसार कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 10 नवंबर को दोपहर में 12:35 मिनट से होगा. यह तिथि अगले दिन 11 नवंबर को दोपहर में 1:57 मिनट तक रहेगी. ऐसे में धनतेरस का आज पूजन मुहूर्त शाम 5 बजकर 47 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 43 मिनट तक रहेगा, जिसकी अवधि 1 घंटा 56 मिनट रहेगी.
धनतेसर पर खरीददारी का शुभ मुहूर्त
धनतेरस पर खरीददारी के तीन शुभ मुहूर्त हैं. पहला अभिजीत मुहूर्त, जो सुबह 11 बजकर 43 बजे से लेकर 12 बजकर 26 मिनट तक रहेगा. इसे सबसे शुभ मुहूर्त माना जाता है. दूसरा है शुभ चौघड़िया मुहूर्त, जो सुबह 11 बजकर 59 बजे से दोपहर 1 बजकर 22 मिनट तक रहेगा. तीसरा मुहूर्त चर चौघड़िया है, जो आज शाम 4 बजकर 7 मिनट से लेकर शाम 5 बजकर 30 मिनट तक रहेगा.
धनतेरस की पूजा विधि
धनतेरस के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ कपड़े पहन लें. इसके बाद अपने घर को साफ-सुथरा कर लें. घर के मुख्य द्वार पर गणेश जी और लक्ष्मी जी की प्रतिमा स्थापित करें. इसके बाद भगवान धन्वंतरी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें. भगवान धन्वंतरी की प्रतिमा के सामने एक कलश रखें. कलश में अमृत, गंगाजल, चावल, दूध, दही, शहद आदि भरें. इसके बाद भगवान धन्वंतरी की विधि-विधान से पूजा करें. पूजा में भगवान धन्वंतरी को फूल, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें. पूजा के बाद आरती करें.
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